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ब्रह्मा बाबा के समान सम्पूर्ण फरिश्ता भव:

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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर में अपने नियमित सदस्यों के लिए 5 जनवरी से ब्रह्मा बाबा के समान सम्पूर्ण फरिश्ता भव: विषय पर तीन दिवसीय गहन योग साधना कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस गहन योग साधना कार्यक्रम में मधुबन तपोभूमि से पधारे ब्रह्माकुमार सूरज भाई ने आज ब्रह्मा वत्सों की बहुत ही सारगर्भित क्लास कराई और सभी को भट्ठी का लक्ष्य स्पष्ट किया। उसी क्लास का सार यहाँ पर आप सबके लाभार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं, सो लाभ अवश्य लेना जी:

भाग्य बनाने के लिए निमित्त और निर्माण भाव तथा निर्मल स्वभाव जरूरी… बीके सूरज भाई

रायपुर, 07 जनवरी, 2024: शान्ति सरोवर रिट्रट सेन्टर रायपुर (छत्तीसगढ़) में भाईयों की योगभट्ठी का शुभारम्भ बीके सूरज भाई, ज्ञान सरोवर की बीके गीता दीदी, पुणे के बीके सन्दीप भाई और रायपुर संचालिका बीके सविता दीदी द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया।

उद्घाटन सत्र में क्लास कराते हुए ब्रह्माकुमार सूरज भाई ने कहा कि समय, श्वांस और संकल्प यह तीन खजाने बाबा ने हमको यज्ञ में सफल करने के लिए दिए हैं। किन्तु अगर हमारे जीवन में निमित्त और निर्माण भाव तथा निर्मल स्वभाव नहीं है तो हमारा भाग्य नहीं बनता है। इन तीनों बातों का अभाव हमें आगे बढऩे नहीं देते और हमारी अध्यात्म की राह में अवरोध पैदा करते हैं।

निमित्त और निर्माण भाव तथा निर्मल स्वभाव अध्यात्म की बुनियाद (नींव) हैं। इन्हें धारण करने से जीवन योगयुक्त बनता है। यह बाबा के नजदीक पहुंचने में भी मददगार हैं। इसका आधार है स्वमान और स्वमान में स्थिति तब बनती है जब हम स्वमान को मन से स्वीकार करते हैं। सिर्फ उसे रटना नहीं है। बाबा ने हमें अनेक स्वमान दिए हैं। जैसे कि आप सृष्टि की महान आत्मा हो, हीरो एक्टर हो, सृष्टि को बल देने वाली हो, इस जहान् के नूर हो आपके बिना जहान् वीरान हो जाता, आप मास्टर ज्ञानसूर्य हो आपकी किरणों से माया के किटाणु नष्ट हो रहे हैं, आप ईष्ट देव और देवी हो जिनकी मन्दिरों में पूजा हो रही है, आपके जैसा भाग्यवान दुनिया में दूसरा कोई नहीं है, आप मास्टर सर्वशक्तिवान हो, आपने शक्ति के बल पर माया को बारम्बार जीता है, आप कल्प-कल्प के विजयी आत्मा हो, आप पवित्रता के फरिश्ते हो, आपको इस संसार को दु:खों से मुक्त करना है, आप साधारण आत्मा नहीं हो आदि-आदि। सारे दिन में कम से कम एक बार इन स्वमानों का अभ्यास जरूर करना है।

बीके सूरज भाई ने आगे कहा कि स्वमान के एक-एक महान संकल्प हमारे अनेक व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करने में सक्षम हैं। बाबा ने अव्यक्त वाणी में कहा है कि आप व्यर्थ को अवाईड करो तो अवार्ड मिलेगा। इसलिए व्यर्थ को समाप्त करना हमारा लक्ष्य बन जाना चाहिए क्योंकि जब कोई लक्ष्य बना लेता है तो वह उसे छोडऩे का पुरूषार्थ करता है।

उन्होंने बतलाया कि हमारे हर संकल्प में एनर्जी समाहित होती है। जब हम स्वमान के संकल्प करते हैं तो उससे बहुत ज्यादा एनर्जी पैदा होती है। विचार करें कि मैं देवकुल की महान और निर्विकारी आत्मा हूँ। यह कल्पना नहीं है। यह सत्य है कि हम देव कुल में सम्पूर्ण निर्विकारी थे। इसे दिल से स्वीकार करें। इससे पाजिटिव एनर्जी पैदा होगी जो कि हमारे ब्रेन में जाएगी। इससे हमारा अनकांसियश माइण्ड (अन्र्तचेतना) जागृत हो जाएगी। जब हम संकल्प करते हैं कि मैं देवकुल की आत्मा हूँ तो हमारे अन्दर देवत्व जागृत हो जाएगा। स्वमान को बढ़ाएंगे तो व्यर्थ पीछे छूट जाएगा। व्यर्थ सकंल्प हमें कमजोर बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि मन का काम है विचार करना। इसलिए अच्छा होगा कि हम उसे संकल्प दें अन्यथा वह स्वत: ही व्यर्थ संकल्प करने लगेगा। हम संकल्प देंगे तो उसकी भागदौड़ समाप्त हो जाएगी। मैंने किया, मैं करता हूँ, यह चीज मेरी है आदि विचार छोटे विचार हैं। माताओं को बच्चों से बहुत लगाव होता है जो कि नेचुरल है। लेकिन हमेशा सोचो कि पिछले जन्म में मेरे बच्चे यह नहीं बल्कि दूसरे थे। अगले जन्म में भी यह नहीं बल्कि दूसरे लोग बच्चे बनेंगे। तो मोह निकल जाएगा। बच्चों को पालना, बड़ा करना और योग्य बनाना आपकी ड््यूटी है। इसलिए वह सब करो किन्तु उनसे लगाव नहीं रखो।

बीके सूरज भाई ने कहा कि किसी भी कार्य को मैं कर रहा हूँ यह मत सोचो। हमेशा सोचो कि करन करावनहार बाबा करा रहा है। हमारी बागडोर बाबा ने अपने हाथ में ले ली है। अगर मैंपन आया तो यह मैंपन की दीवार बाबा की शक्तियों को हमारे अन्दर प्रवेश नहीं करने देगी। इसलिए मैंपन की दीवार पैदा नहीं करो। बाबा करा रहा है यह भाव पक्का करो। निमित्त भाव को बढ़ाएं। कोई भी कार्य भारी पड़ रहा हो तो उसे बाबा को सौप दें। आपका काम आसान हो जाएगा। कार या बाईक में बैठ रहे हों तो बैठने से पहले बाबा का आह्वान करो फिर उसमें बैठो और गन्तव्य में पहुंचने पर बाबा का धन्यवाद करो कि उन्होंने आपको सकुशल पहुंचा दिया।

उन्होंने बतलाया कि हमारी श्रेष्ठ स्थिति और उनसे फैलने वाले प्रकम्पन सैंकड़ों आत्मों की सुरक्षा करेंगे। प्रकम्पन श्रेष्ठ बनेंगे स्वमान से। जितना स्वमान बढ़ेगा उतना अभिमान और मैंपन खत्म होगा। आप जितना स्वमान में रहेंगे उतना आपको सम्मान मिलेगा। जो बच्चे स्वमान में रहते हैं तो ज्ञानसूर्य की किरणें उनकी छत्रछाया बनकर रक्षा करेंगी। स्वमान की सीट में सेट रहने वाले बच्चों का जिम्मेवार बाबा है। जो अपसेट रहते हैं वह अपना जिम्मेदार स्वयं होते हैं। अमृतबेले से अपनी शुरूआत श्रेष्ठ स्वमान से करो। अमृतबेले को अच्छा बनाने के लिए रात्रि का भोजन हल्का और जल्दी कर लेना चाहिए। ताकि सुबह जब उठें तो तरोताजा रहें। उठते ही स्वमान के संकल्प करें। जिनका अमृतबेला सफल होगा उनका पूरा कल्प सफल होगा। बाबा से हमें क्या-क्या मिला है वह याद करें। उसके लिए बाबा का शुक्रिया करें। जो कुछ मेरे पास है वह प्रभु की देन है।

हमारे मन में अभिमान, ईर्ष्या, द्वेष होने से हमारे बोल बिगड़ जाते हैं। क्रोध मनुष्य की क्षमता को कम कर देते हैं। इसलिए भावनाओं को सुन्दर बनाएं। सबके लिए शुभ कामनाएं रखें। हमारे बोल दूसरों को प्रोत्साहित करने वाले हों। दूसरों की अच्छाइयों को एप्रीसिएट करें। ओमशान्ति।

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गीता रहस्य प्रवचनमाला

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शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में तीन दिवसीय गीता रहस्य प्रवचनमाला का दूसरा दिन…
 – भगवान को नकारने और अहंकार से इतराने वाले बच नहीं पाए उनका संहार हो गया…ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी
 – स्वयं खुश रहने के लिए दूसरों को खुशियाँ बाँटना सीखो…
   रायपुर, 4 जून 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग पर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित गीता ज्ञान महोत्सव के दूसरे दिन गीता मर्मज्ञ ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी ने कहा कि दुनिया में जितने भी लोग अहंकार वश इतराते थे उन सभी का अन्त हो गया। भगवान को नकारकर उनका अपमान करने वाले रावण, कंस आदि कोई भी बच नहीं पाए। आप मानो या न मानो लेकिन भगवान जरूर है। उसके अस्तित्व से इंकार नहीं किया जा सकता।
  उन्होंने कहा कि गीता में भगवान ने अपना परिचय खुद दिया है और कहा कि मैं देवताओं और महर्षियों से भी आदि हूँ। मैं अपना परिचय खुद देता हूँ। मनुष्यात्माएं परमात्मा का परिचय नहीं दे सकती हैं। खुश रहने के लिए भगवान ने गीता के माध्यम से हमें स्पष्ट रूप से अपना परिचय दिया और अनन्य एवं अव्यभिचारी भाव से याद करने को कहा है। कितने भी लोगों के बीच में रहो किन्तु मन से एकान्त में रहो। यदि आप स्वयं खुश रहना चाहते हैं तो आपको दूसरों को खुशी देनी पड़ेगी। जितना हो सके ज्ञान ओर खुशी बाँटते रहो। बाँटने से खुशी मिलेगी।
  उन्होंने कहा कि भगवान एक है तो एक में मन को लगाओ। यहाँ-वहाँ मन को मत भटकाओ। भगवान ने कहा कि जो भी जिस भी भावना से भक्ति करेगा उसका फल मैं ही देता हूँ। जैसे चांद सितारों आदि की अपनी कोई रोशनी नहीं होती। यह सभी सूरज से रोशनी लेकर हमें देते हैं वैसे ही जितने भी देवआत्माएं, महात्माएं और पुण्यात्माएं हैं वह सभी परमात्मा से शक्ति लेकर हमें देते हैं। दाता एक परमात्मा ही है। इसीलिए गीता कहती है कि जब दाता एक ही है तो उसी एक की शरण में आओ जिससे परम शान्ति और आनन्द की प्राप्ति होगी। मन को इधर-उधर भटकाना बन्द करो। एक परमात्मा को अच्छे से समझकर साफ दिल से याद करो।
  उन्होंने कहा कि परमात्मा अजन्मा हैं। वह सर्व के माता-पिता हैं उनके अपने कोई माता-पिता नहीं हैं। परमात्मा सूर्य-चांद तारों से पार परमधाम निवासी हैं उनको यहाँअनुभव करने के लिए हमने यहाँमन्दिरों में निराकार परमात्मा की प्रतिमा शिवलिंग बनाई। हम परमात्मा के पास शरीर के साथ नहीं जा सकते हैं इसे यहीं छोडऩा पड़ेगा। इसी की निशानी मन्दिर में जूता-चप्पल बाहर निकालकर प्रवेश करते हैं। जूता प्रतीक है शरीर और देह अभिमान का।
उन्होंने कहा कि पहले टीवी मोटा होता था और हम पतले थे लेकिन आज टीवी पतला और हम मोटे हो रहे हैं। पुरानी बीती हुई बातों को सोंच-सोंच कर अन्दर से भी और बाहर से भी मोटे हो गए हैं। कोई बात हुई तो माफ करो और भूल जाओ। मन में दबाकर मत रखो। इससे तो बिमारी को निमंत्रण दे रहे हैं।
  उन्होंने कहा कि हमें परिवर्तन की शुरूआत खुद से करनी है। खुद को बदलें और खुद की सोच को बदलें। हमने इस दुनिया को नर्क बनाया है तो हमें ही इसे बदलना होगा। आज मनुष्य इतना डरावना हो गया है कि अस्सी साल की बुढ़ी महिला से लेकर तीन साल की छोटी बच्ची तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। कैसी दुनिया हो गई है? यह ही धर्मग्लानि का समय है। यदि अब नहीं तो कब आएंगे भगवान। आज सभी बातों  के मायने बदल गए हैं, अर्थ बदल गए हैं। शब्द वही है भावना बदल गए हैं। भावनाओं को पुन श्रेष्ठ बनाने, कर्मों को सुखदायी और जीवन को सुखमय बनाने के लिए भगवान ने जो बातें बतलायी हैं उसे धारण करना जरूरी है।
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पर्यावरण महोत्सव

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पर्यावरण महोत्सव में पर्यावरण सरंक्षण पर चर्चा हुई…
– प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने की जरूरत… रामसेवक पैकरा, अध्यक्ष वन विकास निगम
– प्लास्टिक से प्रकृति का दम घुट रहा है… प्रेम कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक
– प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत… ब्रह्माकुमारी सविता

रायपुर,01 जून, 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में पर्यावरण दिवस पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा, वन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार और ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने की। चर्चा का विषय था -पर्यावरण सरंक्षण और हमारा दायित्व।

इस अवसर पर बोलते हुए वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुमूल्य सम्पदा के रूप में अनेक उपहार दिए हैं। एक ओर विकास हो रहा है तो दूसरी ओर विनाश हो रहा है। प्रकृति को प्रदूषित करने के लिए हम सब दोषी हैं। प्राकृतिक वन को हमने उजाड़ा है। वन सरंक्षण के लिए लोगों में जन जागृति लाने की जरूरत है। हमें प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने के लिए कार्य करना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश नदी-नालों और जंगलों से घिरा हुआ है। उन्हें सरंक्षित करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक असन्तुलन के कारण हमें अतिवृष्टि और अनावृष्टि का सामना करना पड़ रहता है। इसी प्रकार खेती में रसायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाने की जरूरत है। वन विकास निगम ने इस वर्ष औद्योगिक क्षेत्रों में 15 से 18 लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है।

अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार ने कहा कि वर्तमान समय प्रदूषण इतना विकराल रूप ले चुका है कि हरेक को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। आजकल प्लास्टिक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे प्रकृति का दम घुट रहा है। हर साल हम तिरालिस लाख टन प्लास्टिक कचरा धरती और नदियों में हम डाल रहे हैं। प्लास्टिक का कुछ अंश हमारे ब्लड में भी घुल चुका है।

उन्होंने कहा कि अगर जीवन में खुशी चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनका संवर्धन करें। लोग जंगलों में घूमने जाते हैं तो प्लास्टिक वहीं छोड़कर आ जाते हैं जिसको हिरन आदि जानवर खाकर मर रहे हैं। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि प्रकृति ने हमारी जरूरत के मुताबिक सब कुछ दिया है लेकिन जब हम लोभवश उसका अत्यधिक दोहन करने लगते हैं तब समस्या शुरू होती है। हमें पानी की कीमत तब पता चली जब वह बोतल में बिकने लगा। इसी प्रकार आक्सीजन का महत्व हमें कोविड के दौरान पता चली। आज दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत है कि हम प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। अपने साथ एक खाली कपड़े की थैली जरूर रखें।

इससे पहले ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जानवरों की सुरक्षा से ही पर्यावरण सरंक्षण संभव है। उन्होंने बतलाया कि प्रकृति के साथ-साथ मन के प्रदूषण को भी खत्म करने की जरूरत है। किसी के घर में मृत्यु होने पर उसके नाम से एक पेड़ जरूर लगाएं।

इस अवसर पर वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा और अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक प्रेमकुमार ने शान्ति सरोवर में वृक्षारोपण भी किया।

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समर कैम्प का समापन……

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रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ समर कैम्प का समापन…
– समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवर रहा है…राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम
– बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आध्यात्मिक शिक्षा जरूरी… डॉ. पी.के. पात्रा, कुलपति आयुष वि.वि.
– बच्चों के चारित्रिक विकास में ब्रह्माकुमारीज का समर कैम्प मददगार… ले. जन. अशोक जिन्दल, डायरेक्टर एम्स
– राजयोग मेडिटेशन से मिलेगी मन की शान्ति… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, रायपुर संचालिका

रायपुर, 12 मई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित प्रेरणा समर कैम्प का समापन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ। शान्ति सरोवर मे आयोजित समापन समारोह में छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल,दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने विचार व्यक्त किए।

छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने समर कैम्प आयाजित करने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवारने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आजकल माता-पिता को बच्चों की चिन्ता कम हो गई है। सब बच्चों के हाथों में मोबाईल आ गई है। बच्चे स्कूल से आकर माबाईल में व्यस्त हो जाते हैं। उनकी आँखे कमजोर हो रही है। उनकी फिजीकल एक्टीवीटी खत्म हो गई है। खेलकूद में उनकी रूचि नहीं रही। फलस्वरूप बच्चों का मानसिक स्तर कमजोर होता जा रहा है। इसके लिए माता-पिता को दोषी बतलाते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को फिजीकल एक्टीवीटी के लिए प्रेरित करने की जरूरत है।

दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नैतिक मूल्यों के बिना जीवन आसुरियत से भरा हो जाता है। आजकल हमारा जीवन मशीन जैसा हो गया है। धीरे-धीरे समाज से नैतिक और मानवीय मूल्य कमजोर होते जा रहे हंै। नैतिक मूल्यों के बिना अच्छे समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते। माता-पिता दोनों नौकरी करने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि बच्चों के लिए उनके पास समय ही नहीं है। पहले दादा-दादी से बच्चे कहानियाँ सुनते थे उससे भी नैतिक मूल्यों की शिक्षा मिलती थी। अब वह सब समाप्त हो गया है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल ने कहा कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि इसमें बच्चों में रचनात्मकता की झलक दिखाई देती है। बच्चों को सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा की भी जरूरत है। बच्चों को यहाँ टीमवर्क सिखने को मिला जो कि विकास और शान्ति के लिए जरूरी है।

रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि राजयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी राजयोग मेडिटेशन जरूरी है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और मन को शान्ति मिलती है।

कार्यक्रम की शुरूआत में बच्चों के द्वारा गणेश वन्दना सहित विभिन्न गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने किया। समर कैम्प में विजयी बच्चों को पुरस्कार व प्रमाण पत्र भी दिया गया।

 

 

 

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