Brahmakumaris Raipur
मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार हमें बीमार बना रहे हैं… ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार हमें बीमार बना रहे हैं… ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी
रायपुर, 10 मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित प्रेरणा समर कैम्प के छठवें दिन सबसे बड़ी सम्पत्ति खुशी विषय पर बोलते हुए ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी ने बच्चों को महत्वपूर्ण जानकारी दी।
राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी ने कहा कि मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार हमें बीमार बना रहे हैं। पैसा हमको कम्फर्ट दे सकता है खुशी नहीं। खुशी के लिए हमारी सोच जिम्मेदार होती है। अधिकांश बीमारियाँ मन से पैदा होती हैं। चिन्ता, तनाव, भय, दु:ख और अशान्ति के कारण बीमारियाँ बढ़ रही हैं। इसलिए खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि मन को अपना दोस्त बना लो। जब हम तनाव में होते हैं तो इससे हमारी धमनियों में ब्लाकेज होना शुरू हो जाता है। कोलस्ट्रोल बढ़ जाता है। जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने बतलाया कि अगर आपको अभी मुस्कुराने के लिए कहें तो मुस्कुरा देंगे किन्तु क्रोध करने के लिए कहें तो क्रोध नहीं कर पाएंगे। इसके पीछे मनोवैज्ञनिक कारण है। वह यह कि गुस्सा किसी कारण की वजह से आता है। जैसे किसी कार्य में असफल होना, मनचाही चीज नहीं मिलना अथवा अपमान होना आदि। गुस्सा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। खुश रहेंगे तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। दवाई या गोली आदि खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी ने जीवन को हार और जीत का खेल बतलाते हुए कहा कि जीतने पर तो सभी मुस्कुराते हैं किन्तु हारने पर मुस्कुराते हुए आगे बढऩा ही सच्चे अर्थों में जिन्दगी जीना है। उन्होंने बच्चों को बतलाया कि मुस्कुराना तो अच्छी बात है लेकिन किसी को मजबूर देखकर या किसी की लाचारी पर कभी नहीं मुस्कुराना चाहिए। ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए।
अगले सत्र में कैरियर काउंसिलर सुयश ठाकुर ने मेमोरी पावर के विषय में बच्चों को कुछ टिप्स दिए।
सुयश ठाकुर ने बतलाया कि हमारा ब्रेन वही दिखाता है जो कि हम देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम जो कुछ भी पढ़ते हैं उसमें से चौवालीस प्रतिशत हिस्सा एक घण्टे तक हमें याद रहता है। आधा से ज्यादा हिस्सा हम तत्काल भूल जाते हैं। एक दिन बाद तैंतीस प्रतिशत याद रह पाता है। एक सप्ताह बाद यह घटकर अ_ाईस प्रतिशत हो जाता है और एक महिने बाद केवल इक्कीस प्रतिशत ही याद रख पाते हैं।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग,
प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
दूरभाष: 0771- 2253253,2254254
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आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा

रायपुर, छ.ग.। आज छत्तीसगढ़ के नम्बर वन न्यूज चैनल आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा रखी गई थी।
परिचर्चा में छत्तीसगढ़ की विभिन्न विधाओं में पारंगत नारी शक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया।
परिचर्चा में ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने हिस्सा लिया और नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए आदि शक्तियों के महत्व को प्रतिपादित किया।
परिचर्चा में ब्र.कु. सविता दीदी के अलावा डॉ शिखा पाण्डेय- वैदिक ज्योतिषि, डॉ नीना मोइत्रा- वास्तु व टैरो कार्ड रीडर, विद्या दुबे- कथा वाचिका, गरिमा जैन- जसगीत गायिका, साध्वी डॉ किरण ज्योति प्रेम- विशेषज्ञ, योग विज्ञान, पद्मश्री फूलबासन बाई यादव- सामाजिक कार्यकर्ता, नीता डुमरे- पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, डॉ दिव्या देशपांडे- प्रोफेसर, संस्कृत कॉलेज ने भाग लिया।
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कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

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योग भट्ठी की क्लास

– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” पर क्लास…
– बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया है… ब्रह्माकुमार राजू भाई
– परखने की शक्ति के लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाना होगा…
रायपुर, 20 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजके रायपुर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर के शान्त एवं मनोरम वातावरण में माताओं और कन्याओं (शिवशक्तियों) की योग भट्ठी के बाद आज से पाण्डवों (अधरकुमार व कुमारों) की गहन योग तपस्या की शुरूआत हुई। माउण्ट आबू से ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष आदरणीय ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आज ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” विषय पर सारगर्भित क्लास कराई।
ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि पुरूषार्थी जीवन में माया भिन्न-भिन्न रीति से वार करती है जिनसे हमें अपनी सेफ्टी करनी पड़ती है। माया अनेक रूपों में भेष बदलकर आएगी। बाबा हमें अपनी रक्षा के लिए बहुत सारे सुरक्षा कवच दिए हैं। हम अभी युद्घ के मैदान में हैं। रामायण में भी वर्णन आता है कि राजमहल के ऐशो आराम का त्याग कर जंगल में आने वाली सीता भी माया को न पहचान सकी और सोने के हीरण के पीछे फंस गयी। फलस्वरूप उसे शोक वाटिका में दिन बिताने पड़े। लक्ष्मण ने मर्यादा की लकीर खींची थी उसका भी वह उल्लंघन कर बैठी।
ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आगे बतलाया कि बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। माया सिर्फ विकार के रूप में ही नहीं आती है। वह ईष्र्या, द्वेष, प्रलोभन आदि के साथ भी आती है। न जाने कब, कौन व्यक्ति छल करके चला जाएगा, पता ही नहीं पड़ेगा। हमें किसी के प्रभाव में नहीं आना है। भोला नहीं बनना है। हमको ज्ञानमार्ग में बहुत समझ और युक्ति से चलने की जरूरत है। परखने की शक्ति को बढ़ाना होगा। इसके लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आजकल बहुत अधिक और व्यर्थ सोचने की बिमारी बढ़ रही है जिसके कारण सुगर और ब्लडप्रेशर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि अधिकतर बिमारी ज्यादा सोचने के कारण हो रही हैं। जो चीजें मेरे काम की नहीं है उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचना है। हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना होनी चाहिए।
उन्होंने बतलाया कि दूसरा कोई आपके बारे में कितना ही बुरा क्यों न सोच रहा हो? यदि आपके उपर बाबा की याद का सुरक्षा कवच है तो उसका कोई असर आपके उपर नहीं पड़ेगा। बाबा ने निम्न सुरक्षा कवच हम बच्चों को दिए हैं:-
1. शुद्घ और पवित्र सोच का कवच: हमें न व्यर्थ बोलना है और न ही व्यर्थ सोचना है। सदैव स्वचिन्तन में रहना और शुद्घ व पवित्र संकल्प करना है। स्वमान के स्वचिन्तन में रहो। श्रेष्ठ विचारों का आभामण्डल (औरा) अपने चारों ओर बना लो। अच्छे विचारों में रमण करें।
2. ईश्वरीय नियम/मर्यादाओं का कवच: हमें यज्ञ के नियम/ मर्यादाओं का पूरा पालन करना है। मर्यादा के अन्दर रहेंगे तो तंत्र-मंत्र कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रावण किसी भी रूप में आए हम सदा सुरक्षित रहेंगे। बाबा ने संकल्प, बोल, कर्म और दृष्टि सबके लिए मर्यादाएं बतलायी हैं। जो नियमों में दृढ़ हैं वह सच्चे योगी हैं। नियमों में दृढ़ नहीं रहने से योग भी नहीं लगेगा। संकल्प हमारे श्रेष्ठ हों, बोल हमारे मर्यादित हों, दृष्टि हमारी पवित्र रहे, वृत्ति हमारी शुद्घ हो। कर्म हमारे न्यारे-प्यारे हों। व्यवहार में सरलता और नम्रता हो। दादियों की तरह एक-दो के विचारों को परस्पर सम्मान दें।
3. बाबा की छत्रछाया: सदैव बाबा की याद की छत्रछाया में रहें। कभी बाबा की याद की छतरी से बाहर नहीं निकलना। बाबा से दृष्टि और शक्ति लेकर बाबा को अपने साथ ले जाएं। कभी असफल नहीं होंगे। बाबा के साथ कम्बाईण्ड होकर रहें तो हमेशा सुरक्षित अनुभव करेंगे। ओमशान्ति।
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