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Brahmakumaris Raipur

परमात्मा को अपना दोस्त बनाकर उनसे मन की बातें करें… ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी

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सादर प्रकाशनार्थ

 

परमात्मा को अपना दोस्त बनाकर उनसे मन की बातें करें… ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी

रायपुर, 9 मई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित प्रेरणा समर कैम्प के पांचवेे दिन भगवान के साथ सम्बन्ध विषय पर बोलते हुए ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी ने बच्चों को महत्वपूर्ण जानकारी दी।

राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी ने कहा कि परमात्मा को हम अपना सच्चा दोस्त बना लें। उन्हें अपना दोस्त बनाकर अपना सुख-दु:ख बाँटें। तनाव ग्रस्त होने पर उन्हें अपने मन की बातें कहकर हल्के हो जाएं। परमात्मा को अपना हमसफर बनाएं। इसके अलावा आप उन्हें पत्र लिखकर ब्रह्माकुमारी संस्थान में रखे विशेष बाक्स में भी डाल सकते हैं।

उन्होंने अच्छे दोस्त की विशेषताएं बतलाते हुए कहा कि अच्छे दोस्त से मिलने पर खुशी होती है। उससे मिलकर तनाव दूर हो जाता है। उससे हम अपने मन की बात कर हल्का हो सकते हैं। हमारा स्वभाव उससे मिलता जुलता हो। उस पर हमें पूरा विश्वास होता है। यदि हम परमात्मा को अपना दोस्त बना लेते हैं तो यह सभी विशेषताएं उसमें शामिल हैं।

ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी ने बच्चों को बड़े ही सरल ढंग से परमात्मा का यथार्थ परिचय देते हुए बतलाया कि परमात्मा का कर्तव्यवाचक नाम शिव है, जिसका अर्थ कल्याणकारी होता है। उनका रूप अतिसूक्ष्म ज्योतिबिन्दु स्वरूप और निवास स्थान परमधाम है। उनका कोई शारीरिक आकार नहीं है। इसीलिए उन्हें हम शरीर धारियों की तुलना में निराकार कहा जाता है। वह जन्म-मरण से न्यारे हैं। हमारे देश में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग भी उन्हीं की यादगार में बनाए गए हैं। पहले जमाने में शिवलिंग हीरे के बनाए जाते थे। ताकि पता चले कि ईश्वर ज्योतिस्वरूप है।

उन्होंने बतलाया कि परमात्मा के इस स्वरूप को सभी धर्मों में मान्य किया गया है। हिन्दू धर्म में ज्योतिस्वरूप परमात्मा शिव की निराकार प्रतिमा शिवलिंग के रूप में देखने को मिलती है, ज्योतिस्वरूप होने के कारण उन्हें ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। मुस्लिम धर्म के अनुयायी उन्हे नूर-(अर्थात ज्योति)-ए-इलाही, इसाई धर्म को मानने वाले परमात्मा को दिव्य ज्योतिपुंज (GOD is Kindly Light) मानते हैं, सिख धर्म के अनुगामी उन्हे एक ओंकार निराकार कहकर उनकी महिमा करते हैं।

ब्रह्माकुमारी स्मृति दीदी ने बाद में राजयोग के माध्यम से परमात्मा से सम्बन्ध जोडऩे की विधि बतलाते हुए मेडिटेशन का अभ्यास भी बच्चों को कराया। उन्होंने बतलाया कि रात्रि में सोने के पहले अपने मन की सारी बातें परमात्मा से करके सो जाएँ तो इससे मन का बोझ हल्का हो जाएगा और सुबह तरोताजा रहेंगे। यह बात बच्चों को बहुत पसन्द आयी।

 

प्रेषक: मीडिया प्रभाग,

प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय

दूरभाष: 0771-2253253, 2254254

 

 

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PM मोदी जी करेंगे ब्रह्माकुमारीज़ के ‘शांति शिखर’ का लोकार्पण, नवा रायपुर – लाइव 1 Nov, सुबह 10 बजे

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🚨 PM मोदी करेंगे ब्रह्माकुमारीज़ के ‘शांति शिखर’ का लोकार्पण, नवा रायपुर – लाइव 1 Nov, सुबह 10 बजे

भारत के गौरवशाली आध्यात्मिक इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है! ब्रह्माकुमारीज़ के नव-निर्मित मेडिटेशन सेंटर ‘शांति शिखर, एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड’ के भव्य लोकार्पण समारोह का यह आधिकारिक प्रोमो देखें। यह केंद्र केवल एक भवन नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्थल है, जहाँ राजयोग, ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान से जीवन में संतुलन आएगा और मन को शांति मिलेगी। इस प्रभावशाली स्थान का लोकार्पण भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कर-कमलों द्वारा किया जाएगा। 📍 स्थान: नवा रायपुर, छत्तीसगढ़” 🗓️ तिथि और समय: शनिवार, 1 नवंबर 2025, सुबह 10:00 बजे (IST)” इस समारोह की शोभा बढ़ाएंगे :

    • छत्तीसगढ़ के माननीय राज्यपाल, श्री रामेन डेका
    • माननीय मुख्यमंत्री, श्री विष्णु देव साय
    • माननीय विधानसभा अध्यक्ष, डॉ. रमन सिंह
    • राजयोगिनी जयंती दीदी जी
    • राजयोगी मृत्युंजय भाई जी और अन्य वरिष्ठ राजयोगिनी एवं राजयोगी।
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आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा

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रायपुर, छ.ग.। आज छत्तीसगढ़ के नम्बर वन न्यूज चैनल आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा रखी गई थी।

परिचर्चा में छत्तीसगढ़ की विभिन्न विधाओं में पारंगत नारी शक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया।

परिचर्चा में ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने हिस्सा लिया और नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए आदि शक्तियों के महत्व को प्रतिपादित किया।

परिचर्चा में ब्र.कु. सविता दीदी के अलावा डॉ शिखा पाण्डेय- वैदिक ज्योतिषि, डॉ नीना मोइत्रा- वास्तु व टैरो कार्ड रीडर, विद्या दुबे- कथा वाचिका, गरिमा जैन- जसगीत गायिका, साध्वी डॉ किरण ज्योति प्रेम- विशेषज्ञ, योग विज्ञान, पद्मश्री फूलबासन बाई यादव- सामाजिक कार्यकर्ता, नीता डुमरे- पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, डॉ दिव्या देशपांडे- प्रोफेसर, संस्कृत कॉलेज ने भाग लिया।

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कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

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काम, क्रोध आदि विकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत…. ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
रायपुर, 07 अगस्त, 2025: केन्द्रीय कारागार में कैदियोंं को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की दैवी बहनों ने रक्षाबन्धन का आध्यात्मिक महत्व समझाते हुए प्रवचन किया और उनकी सूनी कलाइयों में राखी बाँधी। कार्यक्रम मेंं जेल के कल्याण अधिकारी दिलेश पाण्डे, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी, सौम्या दीदी, सिमरण दीदी, अंशु दीदी और जागृति दीदी आदि उपस्थित रहीं।
कैदियों को सम्बोधित करते हुए रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन का पर्व हमें मन-वचन-कर्म से पवित्रता को अपनाने का सन्देश देता है। वरन् हमें काम, क्रोध आदि मनोविकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत है। रक्षा का अभिप्राय शारीरिक रक्षा से नहीं है। रक्षाबन्धन में जो तिलक लगाते हैं वह आत्म स्मृति का प्रतीक है। इससे यह याद कराया जाता है कि हम शरीर नहीं हैं अपितु इसके माध्यम से कर्म करने वाली चैतन्य आत्मा हैं। मुख मीठा कराना इस बात का सूचक है कि मुख से सदैव मधुर बोल ही निकलें। हमारी जुबान से कभी दूसरों को दु:ख पहुंचाने वाले कटु वचन न निकलें। इसी प्रकार रक्षासूत्र बांधने का मतलब जीवन में आगे बढऩे के लिए कोई न कोई दृढ़ संकल्प करने का सूचक है।
उन्होंने कैदियों से अपने समय का सदुपयोग स्वचिन्तन में करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह विचार करने की जरूरत है कि मेरे अन्दर कौन-कौन सी बुराइयाँ हैं? उन्होने श्रेष्ठï कर्मों को सुख-शान्ति का आधार बतलाते हुए कहा कि जीवन को सुखी बनाना है तो हमें अपने कर्मों को श्रेष्ठï बनाना होगा। ऐसे समय में परमात्मा हमें रक्षा का वचन दे रहे हैं कि हे आत्माओं अब देह से न्यारे बनो और मुझे याद करो तो मैं तुम्हारी सभी मनोविकारों से रक्षा करूंगा।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने विचारों की शक्ति को स्पष्ट करते हुए व्याख्यान दिया। ब्रह्माकमारी रश्मि दीदी ने कैदियों को जीवन में अच्छाइयों को अपनाने की प्रतिज्ञा कराई। अन्त में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी को रक्षासूत्र बाँधकर मुख मीठा कराया। संचालन ब्रह्माकुमारी सिमरण दीदी ने किया।
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