Brahmakumaris Raipur
सेन्ट्रल बैंक के अधिकारियों का कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम…

सेन्ट्रल बैंक के अधिकारियों का कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम…
– ब्रह्माकुमारी बहनों ने प्रभावी संवाद कौशल और नेतृत्व कला विषय पर दिए उपयोगी टीप्स…
– अच्छा मैनेजर बनने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण जरूरी…
रायपुर, 25 जनवरी 2025: सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा बैंक के परिवीक्षाधीन अधिकारियों (पी.ओ.एस.) के लिए होटल आदित्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की ब्रह्माकुमारी अंशु और ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी का व्याख्यान आयोजित किया गया। विषय था-प्रभावकारी संवाद कौशल (Effective Communication Skill ) और नेतृत्व कला (Leadership Skill)।
ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी ने प्रभावी संवाद कौशल विषय पर बोलते हुए कहा कि बैंक मैनेजर्स को सकारात्मक दृष्टिकोण वाला होना चाहिए। उसके अन्दर प्रभावी संवाद कौशल का होना भी जरूरी है जिससे कि वह अपनी बात को खाताधारकों को अच्छी तरह से समझा सकें और उनकी समस्याओं का समाधान कर सकें। हमारी बातचीत में 7 प्रतिशत योगदान शब्दों का होता है बाकि 38 प्रतिशत बोलने का लहजा (Tone of Words) और 55 प्रतिशत बॉडी लैंग्वेज (Body Language) कार्य करता है।
उन्होंने आगे बतलाया कि कई बार हम कहते कुछ हैं और लोग समझते कुछ और हैं। इसका कारण है कि एक ही शब्द के कई अर्थ होते हैं। इसलिए शब्दों का चयन सोच समझकर करें। हमें बैंक में आए लोगों को समय पर और सही जानकारी देनी चाहिए। प्रभावी संवाद कौशल की बुनियाद ईमानदारी पर टिकी है। यह अन्य लोगों को समझने की कला है न कि तर्क जीतना या अपनी बात दूसरों पर थोपना। जिन समस्याओं का हल गूगल न दे सके उसका समाधान हम बतलाएं तो हम बुद्घिमान कहलाएंगे।
एक अच्छे मैनेजर की विशेषता बतलाते हुए उन्होंने कहा कि पहले हमें लोगों की समस्याओं को धैर्यवत होकर शान्त मन से सुनना चाहिए। उनसे घुल-मिल जाएं और पूरी जानकारी लेने के बाद उनकी समस्याओं को महसूस करें फिर उसका समाधान निकालें। बैंक में कार्य करते समय राजयोग मेडिटेशन की सहायता से मन को शान्त रखना सीखें। यदि आपका मन शान्त नहीं होगा तो किसी को सुन नहीं सकेंगे।
ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने नेतृत्व कला विषय पर बोलते हुए कहा कि एक अच्छा लीडर दूसरों से अपेक्षा करने की बजाए खुद आगे बढ़कर सहयोग करने वाला होगा। वह सबको साथ लेकर चलेगा। वह मिलनसार होगा। वह स्वयं शान्त रहकर सबकी बातों को धैर्यपूर्वक सुनेगा और सबका समुचित मार्गदर्शन करेगा। वह अकेले काम करने की बजाए टीमवर्क से काम करेगा।
उन्होंने बतलाया कि अच्छा लीडर बनने के लिए सबसे पहले उसे अपना स्वयं का लीडर बनना होगा। राजयोग साधना से उसे अपनी पांचों कर्मेन्द्रियों का मालिक बन सकते हैं। अगर उसकी अपनी कर्मेन्द्रियाँउसके नियंत्रण में नहीं होंगी तो दूसरे लोग कैसे उसका आदेश मानेंगे? इसके साथ ही उसे सबके विचारों को सम्मान देकर चलना होगा। एक अच्छा लीडर सबमें विशेषताएं देखेगा और अपने टीम के लोगों की अच्छाईयों की प्रशंसा करेगा। प्रशंसा से प्रोत्साहन मिलता है।
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आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा

रायपुर, छ.ग.। आज छत्तीसगढ़ के नम्बर वन न्यूज चैनल आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा रखी गई थी।
परिचर्चा में छत्तीसगढ़ की विभिन्न विधाओं में पारंगत नारी शक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया।
परिचर्चा में ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने हिस्सा लिया और नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए आदि शक्तियों के महत्व को प्रतिपादित किया।
परिचर्चा में ब्र.कु. सविता दीदी के अलावा डॉ शिखा पाण्डेय- वैदिक ज्योतिषि, डॉ नीना मोइत्रा- वास्तु व टैरो कार्ड रीडर, विद्या दुबे- कथा वाचिका, गरिमा जैन- जसगीत गायिका, साध्वी डॉ किरण ज्योति प्रेम- विशेषज्ञ, योग विज्ञान, पद्मश्री फूलबासन बाई यादव- सामाजिक कार्यकर्ता, नीता डुमरे- पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, डॉ दिव्या देशपांडे- प्रोफेसर, संस्कृत कॉलेज ने भाग लिया।
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कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

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योग भट्ठी की क्लास

– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” पर क्लास…
– बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया है… ब्रह्माकुमार राजू भाई
– परखने की शक्ति के लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाना होगा…
रायपुर, 20 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजके रायपुर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर के शान्त एवं मनोरम वातावरण में माताओं और कन्याओं (शिवशक्तियों) की योग भट्ठी के बाद आज से पाण्डवों (अधरकुमार व कुमारों) की गहन योग तपस्या की शुरूआत हुई। माउण्ट आबू से ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष आदरणीय ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आज ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” विषय पर सारगर्भित क्लास कराई।
ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि पुरूषार्थी जीवन में माया भिन्न-भिन्न रीति से वार करती है जिनसे हमें अपनी सेफ्टी करनी पड़ती है। माया अनेक रूपों में भेष बदलकर आएगी। बाबा हमें अपनी रक्षा के लिए बहुत सारे सुरक्षा कवच दिए हैं। हम अभी युद्घ के मैदान में हैं। रामायण में भी वर्णन आता है कि राजमहल के ऐशो आराम का त्याग कर जंगल में आने वाली सीता भी माया को न पहचान सकी और सोने के हीरण के पीछे फंस गयी। फलस्वरूप उसे शोक वाटिका में दिन बिताने पड़े। लक्ष्मण ने मर्यादा की लकीर खींची थी उसका भी वह उल्लंघन कर बैठी।
ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आगे बतलाया कि बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। माया सिर्फ विकार के रूप में ही नहीं आती है। वह ईष्र्या, द्वेष, प्रलोभन आदि के साथ भी आती है। न जाने कब, कौन व्यक्ति छल करके चला जाएगा, पता ही नहीं पड़ेगा। हमें किसी के प्रभाव में नहीं आना है। भोला नहीं बनना है। हमको ज्ञानमार्ग में बहुत समझ और युक्ति से चलने की जरूरत है। परखने की शक्ति को बढ़ाना होगा। इसके लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आजकल बहुत अधिक और व्यर्थ सोचने की बिमारी बढ़ रही है जिसके कारण सुगर और ब्लडप्रेशर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि अधिकतर बिमारी ज्यादा सोचने के कारण हो रही हैं। जो चीजें मेरे काम की नहीं है उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचना है। हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना होनी चाहिए।
उन्होंने बतलाया कि दूसरा कोई आपके बारे में कितना ही बुरा क्यों न सोच रहा हो? यदि आपके उपर बाबा की याद का सुरक्षा कवच है तो उसका कोई असर आपके उपर नहीं पड़ेगा। बाबा ने निम्न सुरक्षा कवच हम बच्चों को दिए हैं:-
1. शुद्घ और पवित्र सोच का कवच: हमें न व्यर्थ बोलना है और न ही व्यर्थ सोचना है। सदैव स्वचिन्तन में रहना और शुद्घ व पवित्र संकल्प करना है। स्वमान के स्वचिन्तन में रहो। श्रेष्ठ विचारों का आभामण्डल (औरा) अपने चारों ओर बना लो। अच्छे विचारों में रमण करें।
2. ईश्वरीय नियम/मर्यादाओं का कवच: हमें यज्ञ के नियम/ मर्यादाओं का पूरा पालन करना है। मर्यादा के अन्दर रहेंगे तो तंत्र-मंत्र कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रावण किसी भी रूप में आए हम सदा सुरक्षित रहेंगे। बाबा ने संकल्प, बोल, कर्म और दृष्टि सबके लिए मर्यादाएं बतलायी हैं। जो नियमों में दृढ़ हैं वह सच्चे योगी हैं। नियमों में दृढ़ नहीं रहने से योग भी नहीं लगेगा। संकल्प हमारे श्रेष्ठ हों, बोल हमारे मर्यादित हों, दृष्टि हमारी पवित्र रहे, वृत्ति हमारी शुद्घ हो। कर्म हमारे न्यारे-प्यारे हों। व्यवहार में सरलता और नम्रता हो। दादियों की तरह एक-दो के विचारों को परस्पर सम्मान दें।
3. बाबा की छत्रछाया: सदैव बाबा की याद की छत्रछाया में रहें। कभी बाबा की याद की छतरी से बाहर नहीं निकलना। बाबा से दृष्टि और शक्ति लेकर बाबा को अपने साथ ले जाएं। कभी असफल नहीं होंगे। बाबा के साथ कम्बाईण्ड होकर रहें तो हमेशा सुरक्षित अनुभव करेंगे। ओमशान्ति।
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