Brahmakumaris Raipur
संस्कार परिवर्तन का आधार है हमारा योगबल… ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी, रूस

इन्दौर जोन के कुमारों की योगभट्ठी कराने रूस गणराज्य से बीके सन्तोष दीदी रायपुर पहुंची…
संस्कार परिवर्तन का आधार है हमारा योगबल… ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी, रूस
रायपुर (छ.ग.): इन्दौर जोन के तपस्वी कुमारों की योगभट्ठी कराने के लिए रसिया से आदरणीय ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी का रायपुर आगमन हुआ है। विमानतल पर उनका स्वागत रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और ब्रह्माकुमार महेश भाई ने किया। पश्चात शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में तिलक और गुलदस्ता भेंटकर उनका स्वागत इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेेमलता दीदी और ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने किया। योगभट्ठी का आयोजन शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर में किया जा रहा है। विषय रखा है-निर्विघ्न योगी जीवन।
आज शाम को योगभट्ठी का शुभारम्भ आदरणीय ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी, क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेेमलता दीदी, ब्रह्माकुमारी आशा दीदी और ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने दीप प्रज्वलित करके किया।
उद्घाटन सत्र में बोलते हुए आदरणीय ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी ने कहा कि संस्कार परिवर्तन का आधार हमारा योगबल है। योगबल माना एक बाबा और मैं बस। अगर योग में सेवा का संकल्प भी आया तो उसे योगबल नहीं कहेंगे। उसकी शक्ति कम हो जाती है। हमारा अविनाशी सम्बन्ध एक परमात्मा से है। बाकि सगे सम्बन्धियों से हमारा नाम मात्र तत्कालिक सम्बन्ध है। क्योंकि हर जन्म में हमारे रिश्तेदार बदल जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब तक हमें शिवबाबा नहीं मिला थे तब तक हम जानते भी नहीं थे कि हम कौन हैं? हमें अपनी खुद की पहचान नहीं थी। इसी प्रकार बाबा ने परमधाम से आकर बतलाया कि वापिस घर चलना है। घर जाने के लिए ज्ञानी और योगी बनना है। पवित्र बनना है। परमात्मा ने आकर हमें बतलाया कि तुम आत्मा हो, शरीर नहीं हो। किसका शरीर कब छूट जाए निश्चित रूप से हमें मालूम नहीं है?
जिस प्रकार जब हमें कहीं जाना होता है तब हम प्लानिंग करते हैं जिससे कि वहाँ पहुंचकर कोई कठिनाई न हो। उसी प्रकार अब हमें अपने भविष्य को सुखद बनाने के लिए प्लानिंग करना है कि वहाँ हम क्या-क्या लेकर जाएंगे? दुनिया में जब कोई नयी गाड़ी खरीदते हैं तब ड्राईवर गाड़ी को चलाकर बाहर लाता है और हम उसमें बैठते हैं। गाड़ी के साथ उसका आपरेटिंग मैनुअल भी मिलता है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि हमें शरीर रूपी गाड़ी ड्राइवर के साथ तो मिलती है। किन्तु उसके साथ आपरेटिंग मैनुअल नहीं मिलता है। फलस्वरूप उसे कैसे चलाना है? क्या देखना है और क्या नहीं देखना है? क्या सुनना है और क्या नहीं सुनना है? क्या करना है और क्या नहीं करना है? आदि की जानकारी हमेें नहीं मिलती है। हम शरीर रूपी गाड़ी को चलाने की कला सीखे बिना ही उसे चलाना शुरू कर देते हैं। गाड़ी तो हमें जबर्दस्त मिली है लेकिन उसे चलाने की टे्रनिंग नहीं मिली है। राजयोग इस शरीर रूपी गाड़ी को चलाने की कला है। बाबा की श्रीमत ही हमारा इन्स्ट्रक्सन मैनुअल है। राजयोग हमें सिखलाता है कि क्या संकल्प करना है और क्या नहीं करना है।
ब्रह्माकुमारी सन्तोष दीदी ने कहा कि जब हम अपना तन, मन, धन, समय और संकल्प बाबा को समर्पित कर देते हैं तब योग लगाना सहज हो जाता है। बाबा की श्रीमत हमारे जीवन की सबसे बड़ी सौगात है। बाबा की मुरली हमारे लिए इन्स्ट्रक्सन मैनुअल है। उससे जीवन के लिए प्रेरणाएं मिलती हैं। इस योगभट्ठी के अन्दर अमृतबेले से हम यही स्मरण करें कि मैं देव आत्मा हूँ। हमारा योग यथार्थ योग है। योग से हमें शान्ति और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। खुशी मिलती है। ओमशान्ति।
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आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा

रायपुर, छ.ग.। आज छत्तीसगढ़ के नम्बर वन न्यूज चैनल आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा रखी गई थी।
परिचर्चा में छत्तीसगढ़ की विभिन्न विधाओं में पारंगत नारी शक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया।
परिचर्चा में ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने हिस्सा लिया और नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए आदि शक्तियों के महत्व को प्रतिपादित किया।
परिचर्चा में ब्र.कु. सविता दीदी के अलावा डॉ शिखा पाण्डेय- वैदिक ज्योतिषि, डॉ नीना मोइत्रा- वास्तु व टैरो कार्ड रीडर, विद्या दुबे- कथा वाचिका, गरिमा जैन- जसगीत गायिका, साध्वी डॉ किरण ज्योति प्रेम- विशेषज्ञ, योग विज्ञान, पद्मश्री फूलबासन बाई यादव- सामाजिक कार्यकर्ता, नीता डुमरे- पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, डॉ दिव्या देशपांडे- प्रोफेसर, संस्कृत कॉलेज ने भाग लिया।
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कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

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योग भट्ठी की क्लास

– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” पर क्लास…
– बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया है… ब्रह्माकुमार राजू भाई
– परखने की शक्ति के लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाना होगा…
रायपुर, 20 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजके रायपुर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर के शान्त एवं मनोरम वातावरण में माताओं और कन्याओं (शिवशक्तियों) की योग भट्ठी के बाद आज से पाण्डवों (अधरकुमार व कुमारों) की गहन योग तपस्या की शुरूआत हुई। माउण्ट आबू से ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष आदरणीय ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आज ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” विषय पर सारगर्भित क्लास कराई।
ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि पुरूषार्थी जीवन में माया भिन्न-भिन्न रीति से वार करती है जिनसे हमें अपनी सेफ्टी करनी पड़ती है। माया अनेक रूपों में भेष बदलकर आएगी। बाबा हमें अपनी रक्षा के लिए बहुत सारे सुरक्षा कवच दिए हैं। हम अभी युद्घ के मैदान में हैं। रामायण में भी वर्णन आता है कि राजमहल के ऐशो आराम का त्याग कर जंगल में आने वाली सीता भी माया को न पहचान सकी और सोने के हीरण के पीछे फंस गयी। फलस्वरूप उसे शोक वाटिका में दिन बिताने पड़े। लक्ष्मण ने मर्यादा की लकीर खींची थी उसका भी वह उल्लंघन कर बैठी।
ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आगे बतलाया कि बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। माया सिर्फ विकार के रूप में ही नहीं आती है। वह ईष्र्या, द्वेष, प्रलोभन आदि के साथ भी आती है। न जाने कब, कौन व्यक्ति छल करके चला जाएगा, पता ही नहीं पड़ेगा। हमें किसी के प्रभाव में नहीं आना है। भोला नहीं बनना है। हमको ज्ञानमार्ग में बहुत समझ और युक्ति से चलने की जरूरत है। परखने की शक्ति को बढ़ाना होगा। इसके लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आजकल बहुत अधिक और व्यर्थ सोचने की बिमारी बढ़ रही है जिसके कारण सुगर और ब्लडप्रेशर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि अधिकतर बिमारी ज्यादा सोचने के कारण हो रही हैं। जो चीजें मेरे काम की नहीं है उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचना है। हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना होनी चाहिए।
उन्होंने बतलाया कि दूसरा कोई आपके बारे में कितना ही बुरा क्यों न सोच रहा हो? यदि आपके उपर बाबा की याद का सुरक्षा कवच है तो उसका कोई असर आपके उपर नहीं पड़ेगा। बाबा ने निम्न सुरक्षा कवच हम बच्चों को दिए हैं:-
1. शुद्घ और पवित्र सोच का कवच: हमें न व्यर्थ बोलना है और न ही व्यर्थ सोचना है। सदैव स्वचिन्तन में रहना और शुद्घ व पवित्र संकल्प करना है। स्वमान के स्वचिन्तन में रहो। श्रेष्ठ विचारों का आभामण्डल (औरा) अपने चारों ओर बना लो। अच्छे विचारों में रमण करें।
2. ईश्वरीय नियम/मर्यादाओं का कवच: हमें यज्ञ के नियम/ मर्यादाओं का पूरा पालन करना है। मर्यादा के अन्दर रहेंगे तो तंत्र-मंत्र कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रावण किसी भी रूप में आए हम सदा सुरक्षित रहेंगे। बाबा ने संकल्प, बोल, कर्म और दृष्टि सबके लिए मर्यादाएं बतलायी हैं। जो नियमों में दृढ़ हैं वह सच्चे योगी हैं। नियमों में दृढ़ नहीं रहने से योग भी नहीं लगेगा। संकल्प हमारे श्रेष्ठ हों, बोल हमारे मर्यादित हों, दृष्टि हमारी पवित्र रहे, वृत्ति हमारी शुद्घ हो। कर्म हमारे न्यारे-प्यारे हों। व्यवहार में सरलता और नम्रता हो। दादियों की तरह एक-दो के विचारों को परस्पर सम्मान दें।
3. बाबा की छत्रछाया: सदैव बाबा की याद की छत्रछाया में रहें। कभी बाबा की याद की छतरी से बाहर नहीं निकलना। बाबा से दृष्टि और शक्ति लेकर बाबा को अपने साथ ले जाएं। कभी असफल नहीं होंगे। बाबा के साथ कम्बाईण्ड होकर रहें तो हमेशा सुरक्षित अनुभव करेंगे। ओमशान्ति।
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