Connect with us

Brahmakumaris Raipur

नवा रायपुर के शान्ति शिखर में 88 वीं महाशिवरात्रि महोत्सव मनाया गया –

Published

on

परमात्मा के दिव्य अवतरण की यादगार है महाशिवरात्रि…ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
– द्वादश ज्योतिर्लिंग की झाँकी सभी के लिए दर्शनीय… अरूण देव गौतम, गृह सचिव
– ब्रह्माकुमारी संस्थान जीवन जीने की कला सिखला रहा है… प्रो. बल्देव भाई शर्मा, कुलपति
– नवा रायपुर के सेक्टर-20 में सजायी गयी है द्वादश ज्योतिर्लिंग की झाँकी

रायपुर, 03 मार्च 2024: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा नवा रायपुर के सेक्टर-20 स्थित एकेडमी फॉर ए पीसफुल वल्र्ड-शान्ति शिखर में आयोजित महाशिवरात्रि महोत्सव का शुभारम्भ कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक साकेत कुमार सिंह, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया।

इस अवसर पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि शान्ति शिखर भवन में आयोजित प्रदर्शनी मनुष्यता के सही अर्थ को परिभाषित कर सुख, शान्ति और सौहाद्र्र का पथ प्रदर्शित करता है। ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा जीवन को जीने की कला को जिस सहजता और सरलता से सिखाया जाता है वह सराहनीय है। वास्तव में इसी से वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का साकार होगी।

गृह सचिव अरूण देव गौतम ने कहा कि यहाँ आकर द्वादश ज्योतिर्लिंग का एक जगह दर्शन करने का सौभाग्य मिला। यह झाँकी बहुत ही सुन्दर एवं रोचक होने के कारण सभी के लिए दर्शनीय है। खासकर आज के दिशाहीन युवाओं और बच्चों के लिए उपयोगी है। यहाँ पर लगाई गई प्रदर्शनी से जीवन की अनेक समस्याओं का अध्यात्म के द्वारा समाधान करने की प्रेरणा मिलती है।

केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक साकेत कुमार सिंह ने कहा कि यहाँ आकर असीम शान्ति की अनुभूति हुई। उन्होंने इस सुन्दर आयोजन के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि इस आयोजन से शिव भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग को जीवन में अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।

रायपुर सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि महाशिवरात्रि त्यौहार परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का यादगार है। जब इस धरा पर चारों ओर अज्ञान अन्धकार छाया होता है तथा मनुष्यात्माएं काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार रूपी विकारों के वशीभूत हो जाती हैं तब ऐसे अतिधर्मग्लानि के समय पर मनुष्यों को निर्विकारी और पवित्र बनाने के लिए परमात्मा शिव का दिव्य अवतरण इस धरा पर होता है।

प्रेषक: मीडिया प्रभाग,

Brahmakumaris Raipur

आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा

Published

on

By

रायपुर, छ.ग.। आज छत्तीसगढ़ के नम्बर वन न्यूज चैनल आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा रखी गई थी।

परिचर्चा में छत्तीसगढ़ की विभिन्न विधाओं में पारंगत नारी शक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया।

परिचर्चा में ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने हिस्सा लिया और नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए आदि शक्तियों के महत्व को प्रतिपादित किया।

परिचर्चा में ब्र.कु. सविता दीदी के अलावा डॉ शिखा पाण्डेय- वैदिक ज्योतिषि, डॉ नीना मोइत्रा- वास्तु व टैरो कार्ड रीडर, विद्या दुबे- कथा वाचिका, गरिमा जैन- जसगीत गायिका, साध्वी डॉ किरण ज्योति प्रेम- विशेषज्ञ, योग विज्ञान, पद्मश्री फूलबासन बाई यादव- सामाजिक कार्यकर्ता, नीता डुमरे- पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, डॉ दिव्या देशपांडे- प्रोफेसर, संस्कृत कॉलेज ने भाग लिया।

Continue Reading

Brahmakumaris Raipur

कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

Published

on

By

काम, क्रोध आदि विकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत…. ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
रायपुर, 07 अगस्त, 2025: केन्द्रीय कारागार में कैदियोंं को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की दैवी बहनों ने रक्षाबन्धन का आध्यात्मिक महत्व समझाते हुए प्रवचन किया और उनकी सूनी कलाइयों में राखी बाँधी। कार्यक्रम मेंं जेल के कल्याण अधिकारी दिलेश पाण्डे, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी, सौम्या दीदी, सिमरण दीदी, अंशु दीदी और जागृति दीदी आदि उपस्थित रहीं।
कैदियों को सम्बोधित करते हुए रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन का पर्व हमें मन-वचन-कर्म से पवित्रता को अपनाने का सन्देश देता है। वरन् हमें काम, क्रोध आदि मनोविकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत है। रक्षा का अभिप्राय शारीरिक रक्षा से नहीं है। रक्षाबन्धन में जो तिलक लगाते हैं वह आत्म स्मृति का प्रतीक है। इससे यह याद कराया जाता है कि हम शरीर नहीं हैं अपितु इसके माध्यम से कर्म करने वाली चैतन्य आत्मा हैं। मुख मीठा कराना इस बात का सूचक है कि मुख से सदैव मधुर बोल ही निकलें। हमारी जुबान से कभी दूसरों को दु:ख पहुंचाने वाले कटु वचन न निकलें। इसी प्रकार रक्षासूत्र बांधने का मतलब जीवन में आगे बढऩे के लिए कोई न कोई दृढ़ संकल्प करने का सूचक है।
उन्होंने कैदियों से अपने समय का सदुपयोग स्वचिन्तन में करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह विचार करने की जरूरत है कि मेरे अन्दर कौन-कौन सी बुराइयाँ हैं? उन्होने श्रेष्ठï कर्मों को सुख-शान्ति का आधार बतलाते हुए कहा कि जीवन को सुखी बनाना है तो हमें अपने कर्मों को श्रेष्ठï बनाना होगा। ऐसे समय में परमात्मा हमें रक्षा का वचन दे रहे हैं कि हे आत्माओं अब देह से न्यारे बनो और मुझे याद करो तो मैं तुम्हारी सभी मनोविकारों से रक्षा करूंगा।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने विचारों की शक्ति को स्पष्ट करते हुए व्याख्यान दिया। ब्रह्माकमारी रश्मि दीदी ने कैदियों को जीवन में अच्छाइयों को अपनाने की प्रतिज्ञा कराई। अन्त में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी को रक्षासूत्र बाँधकर मुख मीठा कराया। संचालन ब्रह्माकुमारी सिमरण दीदी ने किया।
Continue Reading

Brahmakumaris Raipur

योग भट्ठी की क्लास

Published

on

By

– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” पर क्लास…
– बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया है… ब्रह्माकुमार राजू भाई
– परखने की शक्ति के लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाना होगा…

रायपुर, 20 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजके रायपुर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर के शान्त एवं मनोरम वातावरण में माताओं और कन्याओं (शिवशक्तियों) की योग भट्ठी के बाद आज से पाण्डवों (अधरकुमार व कुमारों) की गहन योग तपस्या की शुरूआत हुई। माउण्ट आबू से ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष आदरणीय ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आज ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” विषय पर सारगर्भित क्लास कराई।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि पुरूषार्थी जीवन में माया भिन्न-भिन्न रीति से वार करती है जिनसे हमें अपनी सेफ्टी करनी पड़ती है। माया अनेक रूपों में भेष बदलकर आएगी। बाबा हमें अपनी रक्षा के लिए बहुत सारे सुरक्षा कवच दिए हैं। हम अभी युद्घ के मैदान में हैं। रामायण में भी वर्णन आता है कि राजमहल के ऐशो आराम का त्याग कर जंगल में आने वाली सीता भी माया को न पहचान सकी और सोने के हीरण के पीछे फंस गयी। फलस्वरूप उसे शोक वाटिका में दिन बिताने पड़े। लक्ष्मण ने मर्यादा की लकीर खींची थी उसका भी वह उल्लंघन कर बैठी।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आगे बतलाया कि बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। माया सिर्फ विकार के रूप में ही नहीं आती है। वह ईष्र्या, द्वेष, प्रलोभन आदि के साथ भी आती है। न जाने कब, कौन व्यक्ति छल करके चला जाएगा, पता ही नहीं पड़ेगा। हमें किसी के प्रभाव में नहीं आना है। भोला नहीं बनना है। हमको ज्ञानमार्ग में बहुत समझ और युक्ति से चलने की जरूरत है। परखने की शक्ति को बढ़ाना होगा। इसके लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आजकल बहुत अधिक और व्यर्थ सोचने की बिमारी बढ़ रही है जिसके कारण सुगर और ब्लडप्रेशर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि अधिकतर बिमारी ज्यादा सोचने के कारण हो रही हैं। जो चीजें मेरे काम की नहीं है उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचना है। हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना होनी चाहिए।

उन्होंने बतलाया कि दूसरा कोई आपके बारे में कितना ही बुरा क्यों न सोच रहा हो? यदि आपके उपर बाबा की याद का सुरक्षा कवच है तो उसका कोई असर आपके उपर नहीं पड़ेगा। बाबा ने निम्न सुरक्षा कवच हम बच्चों को दिए हैं:-

1. शुद्घ और पवित्र सोच का कवच: हमें न व्यर्थ बोलना है और न ही व्यर्थ सोचना है। सदैव स्वचिन्तन में रहना और शुद्घ व पवित्र संकल्प करना है। स्वमान के स्वचिन्तन में रहो। श्रेष्ठ विचारों का आभामण्डल (औरा) अपने चारों ओर बना लो। अच्छे विचारों में रमण करें।

2. ईश्वरीय नियम/मर्यादाओं का कवच: हमें यज्ञ के नियम/ मर्यादाओं का पूरा पालन करना है। मर्यादा के अन्दर रहेंगे तो तंत्र-मंत्र कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रावण किसी भी रूप में आए हम सदा सुरक्षित रहेंगे। बाबा ने संकल्प, बोल, कर्म और दृष्टि सबके लिए मर्यादाएं बतलायी हैं। जो नियमों में दृढ़ हैं वह सच्चे योगी हैं। नियमों में दृढ़ नहीं रहने से योग भी नहीं लगेगा। संकल्प हमारे श्रेष्ठ हों, बोल हमारे मर्यादित हों, दृष्टि हमारी पवित्र रहे, वृत्ति हमारी शुद्घ हो। कर्म हमारे न्यारे-प्यारे हों। व्यवहार में सरलता और नम्रता हो। दादियों की तरह एक-दो के विचारों को परस्पर सम्मान दें।

3. बाबा की छत्रछाया: सदैव बाबा की याद की छत्रछाया में रहें। कभी बाबा की याद की छतरी से बाहर नहीं निकलना। बाबा से दृष्टि और शक्ति लेकर बाबा को अपने साथ ले जाएं। कभी असफल नहीं होंगे। बाबा के साथ कम्बाईण्ड होकर रहें तो हमेशा सुरक्षित अनुभव करेंगे। ओमशान्ति।

Continue Reading

News