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ब्रह्माकुमारी कमला की सेवाएं सदियों तक प्रेरणा देती रहेंगी…विधानसभा अध्यक्ष

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सादर प्रकाशनार्थ
ब्रह्माकुमारी कमला की सेवाएं सदियों तक प्रेरणा देती रहेंगी…विधानसभा अध्यक्ष

रायपुर, 18 दिसम्बर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की क्षेत्रीय निदेशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी कमला दीदी की याद में शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में श्रद्घाजंलि सभा का आयोजन किया गया। जहाँ पर उन्हें श्रद्घापूर्वक याद करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सहित गणमान्य नागरिकों ने उन्हें श्रद्घासुमन अर्पित किए।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महन्त ने कहा कि कमला दीदी की सेवाएं सदियों तक समाज को प्रेरणा देती रहेंगी। यह तो सृष्टि का क्रम है कि जो भी व्यक्ति यहाँ जन्म लेता है उन सभी को एक न एक दिन तो जाना ही पड़ता है लेकिन जाने वालों के कार्योंके आधार पर लोग उन्हें याद करते और उनसे प्रेरणाएं लेते हैं। कमला दीदी महान हस्ती थीं। वह सबको माँ की तरह स्नेह देती थीं। भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनके कार्य सदैव उनकी याद दिलाते रहेंगे।

ब्रह्माकुमारी$ज की एडीशनल चीफ ब्रह्माकुमारी जयन्ती दीदी ने अपने सन्देश में कहा कि कमला दीदी विशेष आत्मा थीं। उन्होने छत्तीसगढ़ में लोगों की बहुत सेवा की है। उनका मिलनसार और मधुर व्यवहार सबको आकर्षित करता था। उनके सम्पर्क में आने वालों को कुछ न कुछ जरूर सीखने को मिलता था।

पूर्व लोकायुक्त एवं विधि आयोग के सचिव रहे न्यायमूर्ति लालचन्द भादू ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सेवाओं को छत्तीसगढ़ में विस्तारित करने में कमला दीदी की प्रमुख भूमिका थी।  पिछले दिनों प्रशासकीय सम्मेलन करके उन्होंने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को एक मंच पर एकत्रित करके दिखाया था।

गृह सचिव (आईपीएस) अरूण देव गौतम ने कहा कि कमला दीदी दूसरों के दु:ख से द्रवित होने वाली महिला थीं। उन्होंने कभी अपने पद का अभिमान नहीं किया। वह इस भौतिक दुनिया में रहते हुए भी सबसे निर्लिप्त रहीं। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। उनके जाने से जो शून्य उभरा है उसे भर पाना मुश्किल होगा। उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारना ही उन्हें सच्ची श्रद्घाजंलि होगी।

प्रयागराज से पधारी धार्मिक सेवा प्रभाग की अध्यक्ष ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी ने कहा कि कमला दीदी में सबको साथ लेकर चलने की कला थी। वह सबका सम्मान करती थीं। उन्होंने अनेक आत्माओं को अध्यात्म से जोड़ा। जगदलपुर में पैसठ ग्रामों में आदिवासियों के आध्यात्मिक उन्नति के लिए वह प्रयासरत रहीं।

पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि कमला दीदी से मिलकर बेहद अपनापन महसूस होता था। उनसे सेवा करने की प्रेरणाएं मिला करती थी। उनके अधूरे कार्यों को हम पूरा करें तो यही उनको सच्ची श्रद्घाजंलि होगी।

पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा ने कहा कि उन्होंने हमें परोपकार की भावना के साथ जीवन पथ पर चलना सिखलाया। उनका जीवन सद्गुणों को धारण करने के लिए सदैव ही प्रेरित करता रहेगा। शान्ति सरोवर की पवित्र भूमि पर आने मात्र से सकारात्मक प्रेरणा मिलती थी। उन्होंने जो छ.ग. में सेवा की वह स्तुत्य है।

मुख्य क्षेत्रीय समन्वयक बीके हेमा दीदी ने कहा कि कमला दीदी ने अपना जीवन दूसरों के लिए जिया। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि सभी उनसे सन्तुष्ट रहते थे। वह लाखों लोगों का जीवन दिव्य बनाने में सफल रहीं। वह उम्र और पद में बड़ी होते हुए भी सबको सम्मान देती थीं। इसलिए वह सभी के सम्मान का पात्र बन सकी।

कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार वि.वि. के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि कमला दीदी की उपस्थिति मात्र से वातावरण आल्हादित हो जाता था। उनका व्यक्तित्व विराट था। उनका जीवन पवित्रता, प्रेम और शान्ति से भरपूर था। उनका जीवन व्यक्ति से मनुष्य बनने की प्रेरणा देता था। वह समाज के लिए कीर्तिस्तम्भ बन गई।

एडीशनल कलेक्टर उज्जवल पोरवाल ने कहा कि माउण्ट आबू के बाहर संस्थान का प्रथम रिट्रीट सेन्टर के रूप में शान्ति सरोवर का निर्माण कमला दीदी के ही अथक परिश्रम से सम्भव हो सका। उनके अन्दर संकल्पों को सिद्घ करने की जबर्दस्त जीजीविषा थी।

श्रद्घाजंलि समारोह में नगर विधायक कुलदीप जुनेजा, पूर्व मंत्री चन्द्रशेखर साहू, पूर्व विधायक गुरूमुख सिंह होरा, सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल,डॉ. देवेन्द्र नायक, भिलाई की बीके आशा दीदी, लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष (आईएएस) आर. एस. विश्वकर्मा,  समाजसेविका शताब्दि पाण्डे, भाजपा नेता श्रीचन्द सुन्दरानी और संजय श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के पूर्व विधि सलाहकार मनीष त्यागी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

प्रेषक: मीडिया प्रभाग,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
रायपुर, छ.ग. (सम्पर्क: 94074 94674)

 

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आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा

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रायपुर, छ.ग.। आज छत्तीसगढ़ के नम्बर वन न्यूज चैनल आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा रखी गई थी।

परिचर्चा में छत्तीसगढ़ की विभिन्न विधाओं में पारंगत नारी शक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया।

परिचर्चा में ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने हिस्सा लिया और नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए आदि शक्तियों के महत्व को प्रतिपादित किया।

परिचर्चा में ब्र.कु. सविता दीदी के अलावा डॉ शिखा पाण्डेय- वैदिक ज्योतिषि, डॉ नीना मोइत्रा- वास्तु व टैरो कार्ड रीडर, विद्या दुबे- कथा वाचिका, गरिमा जैन- जसगीत गायिका, साध्वी डॉ किरण ज्योति प्रेम- विशेषज्ञ, योग विज्ञान, पद्मश्री फूलबासन बाई यादव- सामाजिक कार्यकर्ता, नीता डुमरे- पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, डॉ दिव्या देशपांडे- प्रोफेसर, संस्कृत कॉलेज ने भाग लिया।

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कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

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काम, क्रोध आदि विकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत…. ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
रायपुर, 07 अगस्त, 2025: केन्द्रीय कारागार में कैदियोंं को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की दैवी बहनों ने रक्षाबन्धन का आध्यात्मिक महत्व समझाते हुए प्रवचन किया और उनकी सूनी कलाइयों में राखी बाँधी। कार्यक्रम मेंं जेल के कल्याण अधिकारी दिलेश पाण्डे, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी, सौम्या दीदी, सिमरण दीदी, अंशु दीदी और जागृति दीदी आदि उपस्थित रहीं।
कैदियों को सम्बोधित करते हुए रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन का पर्व हमें मन-वचन-कर्म से पवित्रता को अपनाने का सन्देश देता है। वरन् हमें काम, क्रोध आदि मनोविकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत है। रक्षा का अभिप्राय शारीरिक रक्षा से नहीं है। रक्षाबन्धन में जो तिलक लगाते हैं वह आत्म स्मृति का प्रतीक है। इससे यह याद कराया जाता है कि हम शरीर नहीं हैं अपितु इसके माध्यम से कर्म करने वाली चैतन्य आत्मा हैं। मुख मीठा कराना इस बात का सूचक है कि मुख से सदैव मधुर बोल ही निकलें। हमारी जुबान से कभी दूसरों को दु:ख पहुंचाने वाले कटु वचन न निकलें। इसी प्रकार रक्षासूत्र बांधने का मतलब जीवन में आगे बढऩे के लिए कोई न कोई दृढ़ संकल्प करने का सूचक है।
उन्होंने कैदियों से अपने समय का सदुपयोग स्वचिन्तन में करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह विचार करने की जरूरत है कि मेरे अन्दर कौन-कौन सी बुराइयाँ हैं? उन्होने श्रेष्ठï कर्मों को सुख-शान्ति का आधार बतलाते हुए कहा कि जीवन को सुखी बनाना है तो हमें अपने कर्मों को श्रेष्ठï बनाना होगा। ऐसे समय में परमात्मा हमें रक्षा का वचन दे रहे हैं कि हे आत्माओं अब देह से न्यारे बनो और मुझे याद करो तो मैं तुम्हारी सभी मनोविकारों से रक्षा करूंगा।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने विचारों की शक्ति को स्पष्ट करते हुए व्याख्यान दिया। ब्रह्माकमारी रश्मि दीदी ने कैदियों को जीवन में अच्छाइयों को अपनाने की प्रतिज्ञा कराई। अन्त में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी को रक्षासूत्र बाँधकर मुख मीठा कराया। संचालन ब्रह्माकुमारी सिमरण दीदी ने किया।
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योग भट्ठी की क्लास

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– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” पर क्लास…
– बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया है… ब्रह्माकुमार राजू भाई
– परखने की शक्ति के लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाना होगा…

रायपुर, 20 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजके रायपुर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर के शान्त एवं मनोरम वातावरण में माताओं और कन्याओं (शिवशक्तियों) की योग भट्ठी के बाद आज से पाण्डवों (अधरकुमार व कुमारों) की गहन योग तपस्या की शुरूआत हुई। माउण्ट आबू से ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष आदरणीय ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आज ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” विषय पर सारगर्भित क्लास कराई।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि पुरूषार्थी जीवन में माया भिन्न-भिन्न रीति से वार करती है जिनसे हमें अपनी सेफ्टी करनी पड़ती है। माया अनेक रूपों में भेष बदलकर आएगी। बाबा हमें अपनी रक्षा के लिए बहुत सारे सुरक्षा कवच दिए हैं। हम अभी युद्घ के मैदान में हैं। रामायण में भी वर्णन आता है कि राजमहल के ऐशो आराम का त्याग कर जंगल में आने वाली सीता भी माया को न पहचान सकी और सोने के हीरण के पीछे फंस गयी। फलस्वरूप उसे शोक वाटिका में दिन बिताने पड़े। लक्ष्मण ने मर्यादा की लकीर खींची थी उसका भी वह उल्लंघन कर बैठी।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आगे बतलाया कि बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। माया सिर्फ विकार के रूप में ही नहीं आती है। वह ईष्र्या, द्वेष, प्रलोभन आदि के साथ भी आती है। न जाने कब, कौन व्यक्ति छल करके चला जाएगा, पता ही नहीं पड़ेगा। हमें किसी के प्रभाव में नहीं आना है। भोला नहीं बनना है। हमको ज्ञानमार्ग में बहुत समझ और युक्ति से चलने की जरूरत है। परखने की शक्ति को बढ़ाना होगा। इसके लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आजकल बहुत अधिक और व्यर्थ सोचने की बिमारी बढ़ रही है जिसके कारण सुगर और ब्लडप्रेशर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि अधिकतर बिमारी ज्यादा सोचने के कारण हो रही हैं। जो चीजें मेरे काम की नहीं है उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचना है। हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना होनी चाहिए।

उन्होंने बतलाया कि दूसरा कोई आपके बारे में कितना ही बुरा क्यों न सोच रहा हो? यदि आपके उपर बाबा की याद का सुरक्षा कवच है तो उसका कोई असर आपके उपर नहीं पड़ेगा। बाबा ने निम्न सुरक्षा कवच हम बच्चों को दिए हैं:-

1. शुद्घ और पवित्र सोच का कवच: हमें न व्यर्थ बोलना है और न ही व्यर्थ सोचना है। सदैव स्वचिन्तन में रहना और शुद्घ व पवित्र संकल्प करना है। स्वमान के स्वचिन्तन में रहो। श्रेष्ठ विचारों का आभामण्डल (औरा) अपने चारों ओर बना लो। अच्छे विचारों में रमण करें।

2. ईश्वरीय नियम/मर्यादाओं का कवच: हमें यज्ञ के नियम/ मर्यादाओं का पूरा पालन करना है। मर्यादा के अन्दर रहेंगे तो तंत्र-मंत्र कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रावण किसी भी रूप में आए हम सदा सुरक्षित रहेंगे। बाबा ने संकल्प, बोल, कर्म और दृष्टि सबके लिए मर्यादाएं बतलायी हैं। जो नियमों में दृढ़ हैं वह सच्चे योगी हैं। नियमों में दृढ़ नहीं रहने से योग भी नहीं लगेगा। संकल्प हमारे श्रेष्ठ हों, बोल हमारे मर्यादित हों, दृष्टि हमारी पवित्र रहे, वृत्ति हमारी शुद्घ हो। कर्म हमारे न्यारे-प्यारे हों। व्यवहार में सरलता और नम्रता हो। दादियों की तरह एक-दो के विचारों को परस्पर सम्मान दें।

3. बाबा की छत्रछाया: सदैव बाबा की याद की छत्रछाया में रहें। कभी बाबा की याद की छतरी से बाहर नहीं निकलना। बाबा से दृष्टि और शक्ति लेकर बाबा को अपने साथ ले जाएं। कभी असफल नहीं होंगे। बाबा के साथ कम्बाईण्ड होकर रहें तो हमेशा सुरक्षित अनुभव करेंगे। ओमशान्ति।

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