Brahmakumaris Raipur
शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर में ब्रह्मा भोजन रखा गया… – हजारों की संख्या में ब्रह्मावत्सों ने लिया लाभ… – भिलाई की निदेशिका बीके आशा दीदी ने कराई प्रेरणादायी क्लास… – भाग्य बनाने के लिए अपना सब कुछ यज्ञ में सफल करना है… ब्रह्माकुमारी आशा दीदी

रायपुर, 29 दिसम्बर 2024: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ब्रह्मा भोजन का आयोजन किया गया जिसमें रायपुर और उसके कनेक्शन के हजारों भाई-बहनों ने लाभ लिया।
इस अवसर पर प्रेरणादायी उद्बोधन में भिलाई सेवाकेन्द्र की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कहा कि हमें अपना सौभाग्य बनाने के लिए संगमयुग में अपना श्वांस, संकल्प, स्थूल-सूक्ष्म शक्तियाँ और तन,मन,धन आदि सब कुछ ईश्वरीय यज्ञ में सफल करना है। बाबा ने सबको समान अवसर प्रदान किया है। जो लोग अपना सब कुछ सफल नहीं कर पाते हैं उसका सूक्ष्म कारण होता है अभिमान। बहुत छोटी-छोटी बातें अभिमान के रूप में आती हैं। सबको समान अवसर मिलता है लेकिन अलबेलेपन के कारण कुछ लोग मौका गंवा देते हैं। यह पुरूषार्थ की रेस है। अगर मौका गंवाया तो वह मौका दूसरे व्यक्ति को मिल जाता है। फिर सूक्ष्म में ईष्र्या का भाव आ जाता है। इन सबका मूल कारण है-सुस्ती।
उन्होंने कहा कि सुस्ती खुद की होती है किन्तु दोष दूसरों पर मढ़ देते हैं। इसलिए मिले हुए सेवा के अवसर को कभी नहीं गंवाना चाहिए। अभी गंवाया तो कल्प-कल्प गंवाना पड़ेगा। ईश्वरीय सेवा करना माना अनन्त दुआओं का पात्र बनना। आपकी सेवा से जिनको भी सुख-शान्ति-आनन्द मिलेगा उनके मुख से आपके लिए दुआएं निकलेंगी। बाबा ने हमको सिरताज बनाया है तो हमको जीवन में इससे अधिक और क्या चाहिए? गाया भी हुआ है कि अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के खजाने में। चेक करो कि मेरे जीवन में कहीं कोई कमी तो नहीं है? हमें जीवन में सदा प्राप्ति स्वरूप होकर रहना है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर जीवन में सदा प्राप्ति स्वरूप रहना है तो चार बातों को सदैव याद रखो। (१). मैं कौन सी आत्मा हूँ? (२). मैं किसकी हूँ? (३). मैं कहाँ से आयी हूँ? (४). मुझे क्या करना है? उन्होंने कहा कि हम श्रेष्ठ आत्माएं हैं जिन पर परमात्मा की नजर पड़ी है। उसने करोड़ों आत्माओं में से सिर्फ मुझे चुना है। उन्होंने कहा कि हमेशा अपने को परीक्षा हाल में समझो। विषम परिस्थितियाँ तो आएंगी किन्तु उसमें सफल होना है। ड्रामा की नालेज हमें हर परिस्थिति में एकरस बनाती है और हलचल से बचाती है। जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है। हरेक कार्य में कल्याण छिपा हुआ है। सब कुछ बिल्कुल एक्युरेट हो रहा है। सुगम युग में इतना अच्छा ज्ञान ईश्वरीय मिला, परमात्मा का साथ मिला और क्या चाहिए?
आगे उन्होंने संगमयुग में ब्रह्माभोजन की महिमा बतलाते हुए कहा कि यह परमात्मा की याद में रहकर पवित्र ब्राह्मणों के हाथों से बनाया हुआ शुद्घ अन्न है। साथ ही शिवबाबा को भोग स्वीकार कराया हुआ भोजन है। इसलिए इसमें बहुत अधिक शुद्घता और ताकत है। यह भोजन तन और मन दोनों को शुद्घ और शान्त करेगा। यह हमको ताकत देगा। इसे बाबा की याद में खाना है।
उन्होंने ब्रह्माकुमारी सविता दीदी (वर्तमान रायपुर संचालिका) की सेवाओं की प्रशंसा करते हुए बतलाया कि उनके अन्दर बाल्यकाल से ही ईश्वरीय सेवा करने की प्रबल उत्कण्ठा थी। जिसके फलस्वरूप जब वह भिलाई में अध्ययन कर रही थी तब मुरली क्लास के बाद बड़ी ही जिम्मदारी से सेवाकेन्द्र में सेवाएं करती थी। बाद में कालेज में पढऩे के दौरान वह आदरणीय बीके कमला दीदी के पास महात्मा गाँधी मार्ग स्थित सेवाकेन्द्र में रहकर ईश्वरीय सेवा करने रायपुर आ गई थीं। बीके सविता बहन ने आदरणीय ओमप्रकाश भाईजी और कमला दीदी के सान्निध्य में रहकर बहुत कुछ सीखा और सेवा में आगे बढ़ती गई। ओमशान्ति
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गीता रहस्य प्रवचनमाला

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पर्यावरण महोत्सव

पर्यावरण महोत्सव में पर्यावरण सरंक्षण पर चर्चा हुई…
– प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने की जरूरत… रामसेवक पैकरा, अध्यक्ष वन विकास निगम
– प्लास्टिक से प्रकृति का दम घुट रहा है… प्रेम कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक
– प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत… ब्रह्माकुमारी सविता
रायपुर,01 जून, 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में पर्यावरण दिवस पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा, वन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार और ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने की। चर्चा का विषय था -पर्यावरण सरंक्षण और हमारा दायित्व।
इस अवसर पर बोलते हुए वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुमूल्य सम्पदा के रूप में अनेक उपहार दिए हैं। एक ओर विकास हो रहा है तो दूसरी ओर विनाश हो रहा है। प्रकृति को प्रदूषित करने के लिए हम सब दोषी हैं। प्राकृतिक वन को हमने उजाड़ा है। वन सरंक्षण के लिए लोगों में जन जागृति लाने की जरूरत है। हमें प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने के लिए कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश नदी-नालों और जंगलों से घिरा हुआ है। उन्हें सरंक्षित करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक असन्तुलन के कारण हमें अतिवृष्टि और अनावृष्टि का सामना करना पड़ रहता है। इसी प्रकार खेती में रसायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाने की जरूरत है। वन विकास निगम ने इस वर्ष औद्योगिक क्षेत्रों में 15 से 18 लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है।
अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार ने कहा कि वर्तमान समय प्रदूषण इतना विकराल रूप ले चुका है कि हरेक को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। आजकल प्लास्टिक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे प्रकृति का दम घुट रहा है। हर साल हम तिरालिस लाख टन प्लास्टिक कचरा धरती और नदियों में हम डाल रहे हैं। प्लास्टिक का कुछ अंश हमारे ब्लड में भी घुल चुका है।
उन्होंने कहा कि अगर जीवन में खुशी चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनका संवर्धन करें। लोग जंगलों में घूमने जाते हैं तो प्लास्टिक वहीं छोड़कर आ जाते हैं जिसको हिरन आदि जानवर खाकर मर रहे हैं। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि प्रकृति ने हमारी जरूरत के मुताबिक सब कुछ दिया है लेकिन जब हम लोभवश उसका अत्यधिक दोहन करने लगते हैं तब समस्या शुरू होती है। हमें पानी की कीमत तब पता चली जब वह बोतल में बिकने लगा। इसी प्रकार आक्सीजन का महत्व हमें कोविड के दौरान पता चली। आज दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत है कि हम प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। अपने साथ एक खाली कपड़े की थैली जरूर रखें।
इससे पहले ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जानवरों की सुरक्षा से ही पर्यावरण सरंक्षण संभव है। उन्होंने बतलाया कि प्रकृति के साथ-साथ मन के प्रदूषण को भी खत्म करने की जरूरत है। किसी के घर में मृत्यु होने पर उसके नाम से एक पेड़ जरूर लगाएं।
इस अवसर पर वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा और अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक प्रेमकुमार ने शान्ति सरोवर में वृक्षारोपण भी किया।
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समर कैम्प का समापन……

रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ समर कैम्प का समापन…
– समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवर रहा है…राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम
– बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आध्यात्मिक शिक्षा जरूरी… डॉ. पी.के. पात्रा, कुलपति आयुष वि.वि.
– बच्चों के चारित्रिक विकास में ब्रह्माकुमारीज का समर कैम्प मददगार… ले. जन. अशोक जिन्दल, डायरेक्टर एम्स
– राजयोग मेडिटेशन से मिलेगी मन की शान्ति… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, रायपुर संचालिका
रायपुर, 12 मई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित प्रेरणा समर कैम्प का समापन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ। शान्ति सरोवर मे आयोजित समापन समारोह में छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल,दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने विचार व्यक्त किए।
छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने समर कैम्प आयाजित करने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवारने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आजकल माता-पिता को बच्चों की चिन्ता कम हो गई है। सब बच्चों के हाथों में मोबाईल आ गई है। बच्चे स्कूल से आकर माबाईल में व्यस्त हो जाते हैं। उनकी आँखे कमजोर हो रही है। उनकी फिजीकल एक्टीवीटी खत्म हो गई है। खेलकूद में उनकी रूचि नहीं रही। फलस्वरूप बच्चों का मानसिक स्तर कमजोर होता जा रहा है। इसके लिए माता-पिता को दोषी बतलाते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को फिजीकल एक्टीवीटी के लिए प्रेरित करने की जरूरत है।
दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नैतिक मूल्यों के बिना जीवन आसुरियत से भरा हो जाता है। आजकल हमारा जीवन मशीन जैसा हो गया है। धीरे-धीरे समाज से नैतिक और मानवीय मूल्य कमजोर होते जा रहे हंै। नैतिक मूल्यों के बिना अच्छे समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते। माता-पिता दोनों नौकरी करने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि बच्चों के लिए उनके पास समय ही नहीं है। पहले दादा-दादी से बच्चे कहानियाँ सुनते थे उससे भी नैतिक मूल्यों की शिक्षा मिलती थी। अब वह सब समाप्त हो गया है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल ने कहा कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि इसमें बच्चों में रचनात्मकता की झलक दिखाई देती है। बच्चों को सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा की भी जरूरत है। बच्चों को यहाँ टीमवर्क सिखने को मिला जो कि विकास और शान्ति के लिए जरूरी है।
रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि राजयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी राजयोग मेडिटेशन जरूरी है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और मन को शान्ति मिलती है।
कार्यक्रम की शुरूआत में बच्चों के द्वारा गणेश वन्दना सहित विभिन्न गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने किया। समर कैम्प में विजयी बच्चों को पुरस्कार व प्रमाण पत्र भी दिया गया।
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