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ब्रह्माकुमारी कमला दीदी की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई…

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ब्रह्माकुमारी कमला दीदी की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई…
– बाल कलाकारों ने कमला दीदी की जीवनगाथा को नृत्य नाटिका द्वारा प्रस्तुत कर भावुक कर दिया…
– पूरे इन्दौर जोन के भाई-बहन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे…
– जोन की वरिष्ठ बहनों ने कमला दीदी के साथ के अपने संस्मरण सुनाए…

रायपुर, 7 दिसम्बर 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी की तीसरी पुण्यतिथि श्रद्घापूर्वक मनायी गई। शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित इस कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी संस्थान के बाल कलाकारों ने कमला दीदी की जीवनगाथा और सेवाओं को नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत कर सभी को भावुक कर दिया।

नृत्य नाटिका के संवाद, कहानी, नृत्य और गीत संगीत आदि सब कुछ अत्यन्त दर्शनीय और आकर्षक था। बच्चों ने बहुत ही सधे हुए अन्दाज में नृत्य नाटिका विजयपथ का मंचन कर कमला दीदी के जीवन वृत्तान्त को मंच पर जीवन्त कर दिया।

नृत्य नाटिका में भाग लेने वाले कलाकार थे- कु. इन्द्राणी साहू, कु. टीकेश्वरी साहू, कु. करूणा साहू, कु. अनन्या यादव, कु. अक्षिता श्रीवास्तव, कु. दीक्षा साहू, कु. परिणीता साहू, कु. नीलम साहू, कु. लावण्या, कु. मनीषा साहू, कु. बबीता साहू, कु. देविशा साहू, कु. पंछी साहू, कु. पलक गोदेजा, कु. वर्षा साहू, कु. साक्षी साहू, कु. हिमांशी साहू, कु. सम्पदा अग्रवाल, कु. पूनम द्विवेदी, कु. रश्मि साहू, कु. वैशाली साहू, कु. मुस्कान, कु. पलक आदि।

ब्रह्माकुमारी कमला दीदी को सेवाओं की बहुत अधिक लगन रहती थी- ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी

इस अवसर पर बोलते हुए क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि कमला दीदी सदैव उमंग-उत्साह से भरपूर रहती थी। ईश्वरीय सेवाओं के प्रति गहरी रूचि थी। उनका लक्ष्य रहता था कि सभी मनुष्यों तक परमात्मा का सन्देश पहुंचे। उनका जीवन नियम और मर्यादाओं से सम्पन्न था। वह ममतामयी होने के साथ ही अनुशासन को भी उतना ही महत्व देती थीं। अपने से उम्र में छोटे लोगों को भी बराबर सम्मान देती थीं। अपने गुणों और विशेषताओं के बल पर वह आगे बढ़ी।

भिलाई केन्द्र की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कहा कि कमला दीदी इस दुनिया में रहते हुए भी सबसे न्यारी और प्यारी थीं। वह बहुत ही निर्माणचित्त होकर रहीं। कभी उनके अन्दर अहंकार नहीं आया। वह कहती थी कि कुछ भी हो जाए लेकिन जीवन में खुशी कम न हो।

जबलपुर केन्द्र की निदेशिका ब्रह्माकुमारी विमला दीदी ने कहा कि बीता हुआ कल कभी वापिस नहीं आता है सिर्फ यादें ही रह जाती हैं। कमला दीदी के साथ वह रायपुर में जब पहली प्रदर्शनी लगी तब से उनके साथ रही उन्होंने दीदी से बहुत कुछ सीखा। कमला दीदी का समूचा जीवन ईश्वरीय सेवा के लिए समर्पित रहा।

कार्यक्रम में बालाजी हास्पीटल के डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र नायक, धमतरी की संचालिका ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी, जगदलपुर की संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजूषा दीदी, अम्बिकापुर की संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी और बिलासुपर संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने भी अपने संस्मरण सुनाए। कार्यक्रम का संचालन रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने किया।

https://youtu.be/cOutwDGOAYg link

 

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Brahma Kumaris News

PM मोदी जी करेंगे ब्रह्माकुमारीज़ के ‘शांति शिखर’ का लोकार्पण, नवा रायपुर – लाइव 1 Nov, सुबह 10 बजे

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🚨 PM मोदी करेंगे ब्रह्माकुमारीज़ के ‘शांति शिखर’ का लोकार्पण, नवा रायपुर – लाइव 1 Nov, सुबह 10 बजे

भारत के गौरवशाली आध्यात्मिक इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है! ब्रह्माकुमारीज़ के नव-निर्मित मेडिटेशन सेंटर ‘शांति शिखर, एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड’ के भव्य लोकार्पण समारोह का यह आधिकारिक प्रोमो देखें। यह केंद्र केवल एक भवन नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्थल है, जहाँ राजयोग, ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान से जीवन में संतुलन आएगा और मन को शांति मिलेगी। इस प्रभावशाली स्थान का लोकार्पण भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कर-कमलों द्वारा किया जाएगा। 📍 स्थान: नवा रायपुर, छत्तीसगढ़” 🗓️ तिथि और समय: शनिवार, 1 नवंबर 2025, सुबह 10:00 बजे (IST)” इस समारोह की शोभा बढ़ाएंगे :

    • छत्तीसगढ़ के माननीय राज्यपाल, श्री रामेन डेका
    • माननीय मुख्यमंत्री, श्री विष्णु देव साय
    • माननीय विधानसभा अध्यक्ष, डॉ. रमन सिंह
    • राजयोगिनी जयंती दीदी जी
    • राजयोगी मृत्युंजय भाई जी और अन्य वरिष्ठ राजयोगिनी एवं राजयोगी।
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.ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी……क्लास

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अन्तिम समय का पेपर ईश्वरीय माया के रूप में आएगा जिसे पहचान पाना मुश्किल होगा…ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी
  रायपुर, 6 जून 2025: सिरसी (कर्नाटक) से तीन दिवसीय गीता ज्ञान महोत्सव के लिए रायपुर पधारी श्रद्घेय ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी का आज चौबे कालोनी स्थित विश्व शान्ति भवन में शुभागमन हुआ। ज्ञातव्य हो कि विश्व शान्ति भवन परम श्रद्घेय ब्रह्माकुमारी कमला दीदी का तपस्या स्थली रहा है जहाँपर उन्होंने साधना करके अकेले (अपने दम पर) शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर और एकेडमी फॉर ए पीसफुल वल्र्ड-शान्ति शिखर का निर्माण कराने के साथ ही समूचे छत्तीसगढ़ में बाबा की सेवाओं को फैलाने की निमित्त बनीं।
  रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी के साथ श्रद्घेय ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी का सेवाकेन्द्र में पहुंचने पर चौबे कालोनी के पार्षद भ्राता आनन्द अग्रवाल जी ने गुलदस्ता देकर स्वागत किया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने तिलक लगाकर और ब्रह्माकुमारी सिमरन, अंशू, गायत्री आदि ने नैन मुलाकात कर अभिनन्दन किया।
  चौबे कालोनी सेवाकेन्द्र में उपस्थित बी के भाई-बहनों के बीच श्रद्घेय ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी ने अत्यन्त अनुभवयुक्त क्लास कराया। उन्होंने बतलाया कि हम कितने भी ज्ञानी और कितने भी अच्छे वक्ता क्यों न बन जाएं किन्तु यदि हमारी अवस्था (स्थिति) अच्छी नहीं है तो जन मानस पर हमारा कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  वर्तमान समय हमारा पुरूषार्थ कैसा हो? इस बात की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पुरूषार्थ के बीच में सबके पास माया जरूर आती है। लेकिन बाबा ने बतलाया है कि अन्तिम समय में जो माया आएगी वह होगी ईश्वरीय माया। यह आपके पास बाबा के बच्चे के रूप में आएगी। आपके लिए उसे पहचान पाना भी मुश्किल होगा। ऐसे लोगों को हितशत्रु कहते हैं। वह बहुत खतरनाक स्वरूप में होगा। वह लोग आपके साथ मित्रता का दिखावा भी करेंगे। आपको लगेगा कि यह हमारे हितचिन्तक हैं। लेकिन वह होगी सबसे बड़ी माया। ऐसे दुश्मनों से बचने के लिए हमें चार बातों से मुक्त रहना होगा- (१). स्वभाव (२). अभाव (३). प्रभाव (४). दबाव। हम इन चारों बातों पर बारी-बारी से चर्चा करेंगे-
  (१). स्वभाव – हमें चेक करना है कि क्या मेरा स्वभाव बाबा की तरह है? अगर नहीं है तो मिसमैच हो जाएगा। बाबा के साथ घर नहीं चल पाएंगे। बाबा का स्वभाव सो मेरा स्वभाव होना चाहिए। बाबा से मैच करके चलना है।
(२). अभाव – पहले सेवाकेन्द्रों में संसाधनों का बहुत अभाव हुआ करता था। इतने साधन और सुविधाएं नहीं होती थी। गरीबी के दिन थे। उन दिनों साधन कम और साधना अधिक थी। अभाव में भी सेवा करने में बड़ा सुकून मिलता था। अभी बहुत सारी सहूलियलत उपलब्ध हैं लेकिन साधना में फर्क आ गया है।
  अन्त में यह कोई भी साधन काम नहीं आएंगे। उस समय जबकि कोई साधन काम नहीं करेंगे तब हमारी साधना डांवाडोल नहीं होनी चाहिए। इसलिए अभाव में भी जीना आना चाहिए। अभाव हमारी स्थिति पर असर न करे। पंखा नहीं, कूलर नहीं, ए.सी. नहीं तब भी हमारी अवस्था डगमग नहीं हो। अभाव हमारे पुरूषार्थ को प्रभावित नहीं करे। अन्त में साधन नहीं बल्कि हमारी अवस्था ही काम आएगी।
  (३). प्रभाव – आजकल भाई-बहनों पर मोबाईल/यूट्यूब का बहुत अधिक प्रभाव है। कुछ लोग अमृत बेला का योग यूट्यूब पर कमेन्ट्री सुनकर करने लगे हैं। यह उचित नहीं है। क्या हम अपने पिता से खुद बात नहीं कर सकते? कोई दूसरा हमें सिखाएगा कि कैसे बात करना है? मुरली संवाद है बाबा का बच्चों से। मुरली की अच्छे से स्टडी करके योग में दोहराएं। आपको बड़ा मजा आएगा। किसी देहधारी से प्रभावित न हों। क्योंकि सारा ज्ञान शिवबाबा का सुनाया हुआ है। हम बच्चे माईक मात्र हैं। रामायण में उल्लेख आता है कि लव कुश जब युद्घ करते थे तो अपने चारों ओर रक्षा वलय बनाकर उसके अन्दर रहकर युद्घ करते थे। ऐसे हमें भी अपने चारों ओर बाबा का रक्षाकवच बना लेना चाहिए। हमें किसी व्यक्ति के प्रभाव में नहीं आना है
। (४). दबाव – हमें अपने स्वभाव, संस्कार, रिश्तेदार, लोकलाज आदि के दबाव में कभी नहीं आना है। विनाश के पहले हमें अपनी कमजोरियों का विनाश करना है। अध्यात्म हमें भगवान से बातें करना सिखलाता है। दुनिया में जब हम कार्य व्यवहार अर्थ जाते हैं तो लोग हमें आब्जर्व करते रहते हैं। इसलिए हमें अपने कर्मों पर पूरा-पूरा अटेन्शन देने की जरूरत है। हमारा व्यवहार भी लोगों को प्रभावित करता है। इससे भी सेवा हो सकती है।
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