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गीता रहस्य प्रवचनमाला

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शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में तीन दिवसीय गीता रहस्य प्रवचनमाला शुरू…
 – गीता स्वयं भगवान के श्रीमुख से निकली ऐसी ज्ञान निधि है जिससे जीवन खुशहाल बनेगा…
 –  गीता सिर्फ धर्मशास्त्र नहीं बल्कि जीवन जीने की कला है… ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी
  रायपुर, 3 जून 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग पर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित गीता ज्ञान महोत्सव का शुभारम्भ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरडिय़ा, सीमा सुरक्षा बल के महानिरीक्षक हरिलाल, ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी और रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने दीप जलाकर किया। गीता रहस्य प्रवचनमाला का विषय रखा गया है-श्रीमद् भगवद् गीता का सत्य सार- खुशहाल जीवन का आधार।
ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी ने बतलाया कि जीवन एक संघर्ष है जिसमें व्यक्ति को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जो लोग चुनौती के वक्त सही निर्णय ले पाते हैं उनके लिए सफलता के द्वार खुल जाते हैं। जो लोग दुविधाओं में घिरे होते हैं वह असफल रह जाते हैं। ऐसे तनाव, हताशा और निराशा से बाहर निकालने में गीता बहुत मददगार सिद्घ हो सकती है। गीता सिर्फ धर्मशास्त्र नहीं है वरन जीवन जीने की कला है। इसलिए इसे मृत्यु के लिए नहीं अपितु जीने के लिए सुनने की जरूरत है। अगर युवावस्था में गीता सुनेंगे तो बुढ़ापा मुश्किल नहीं रहेगा। बचपन में सुनेंगे तो जीवन सुनहरा हो जाएगा। बुढ़ापे में सुनेंगे तो कुछ नहीं कर पाएंगे।
  ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी ने कहा कि गीता पढ़ते समय मन में प्रश्न उठता था कि इतना श्रेष्ठ ज्ञान क्या एक अर्जुन के लिए था? नहीं यह ज्ञान सारी मानव जाति के लिए है। श्रीमद् भगवद् गीता स्वयं भगवान के श्रीमुख से सुनाई गई ऐसी ज्ञान निधि है जिसको धारण करने से जीवन खुशहाल बन जाएगा। गीता में कुल सात सौ श्लोक हैं उन सबकी चर्चा तीन दिन में करना सम्भव नहीं है इसलिए हम सिर्फ उन्हीं की चर्चा करेंगे जो कि खुशहाल जीवन के लिए जरूरी हैं।
  उन्होंने बतलाया कि रूस में शासन ने यह कहते हुए कि यह हिंसा को प्रशस्त करता है गीता पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन जब हमारे उच्चायोग के लोग वहाँ के कोर्ट में गए तो कोर्ट ने प्रतिबन्ध को खारिज करते हुए कहा कि गीता एक जीवन पद्घति है और किसी के जीवन पद्घति पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया जा सकता है। गीता में कहीं पर भी युद्घ की कला नहीं सिखायी गई है। अर्जुन की समस्या सामाजिक समस्या थी। वह दुविधा में उलझा हुआ था। उनसे बाहर निकलने का रास्ता गीता के माध्यम से भगवान ने उसे बताया। समस्याओं को जीतने और उनसे निकलने का समाधान हमें गीता से मिलता है। इक्कीसवीं सदी में सबसे बड़ी समस्या पहचान की समस्या है। हम नहीं जानते हैं कि हम कौन हैं? हम लोग गीता को पढ़ते रहे किन्तु उसे जीवन में नहीं उतारा। सिर्फ पढऩे से नहीं बल्कि गीता में बतलाए गए मार्ग पर चलने से सुखी बनेंगे।
  उन्होंने कहा कि भगवान ने गीता ज्ञान भारत में दिया। हम सब कितने भाग्यशाली हैं जो कि इस महान देश में हमारा जन्म हुआ। गीता को सिर्फ सुनना नहीं है बल्कि उसे समझना और धारण करना है। आज से तीन दिन हम सब अर्जुन अर्थात ज्ञान अर्जन करने वाला बनकर ज्ञान सुनेंगे और जीवन को खुशहाल बनाएंगे। समाज में रहते खुश रहना चाहते हैं तो आध्यात्मिकता को सहारा बनाने की जरूरत है। अर्जुन के मन में जो व्याकुलता और दुविधा थी वह भगवान की बातों को सुनकर दूर हो गई। भगवान ने बतलाया कि तुम इस शरीर को चलाने वाली चैतन्य आत्मा हो। आत्मा अविनाशी है। आग, पानी आदि कुछ भी इसका विनाश नहीं कर सकते। शरीर पुराना होने पर इसे छोड़कर तुम चले जाओगे। इसे मृत्यु कहते हैं। फिर तुम्हे नया शरीर धारण करना पड़ेगा। उसे जन्म कहते हैं। जो जन्म लेता है उसे एक दिन शरीर छोड़कर जाना ही पड़ता है। इसलिए शोक मत करो। यह चक्र है इससे कोई छूट नहीं सकता।
उन्होंने बतलाया कि ईश्वर ने हमें करोड़ों रूपयों का कीमती शरीर दिया है। घुटनों में समस्या हो जाए तो पांच-पांच लाख इसको बदलने में खर्च हो जाते हैं। आँख की सर्जरी करानी पड़ जाए तो पचास-पचास हजार खर्च करने पड़ते हैं। हार्ट की बिमारी होने पर दस-पन्द्रह लाख तक खर्च हो जाता है। ब्रेन की सर्जरी, किडनी और लीवर आदि में भी लाखों -लाखों का रूपया खर्चा आता है। लेकिन इतना मूल्यवान शरीर के होते हुए भी आत्मा के निकल जाने पर यह शरीर कुछ काम का नहीं रह जाता है। इसकी कोई कीमत नहीं रह जाती। लोग इसे तुरन्त श्मसान घाट ले जाकर जला देते हैं। आत्मा के रहते तक ही शरीर की कीमत है। फिर लोग किस बात पर इतना इतराते हैं? आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो अपने साथ किए हुए कर्मों का फल साथ लेकर जाती है इसलिए हमें अपने कर्मों का ध्यान रखना चाहिए। कभी किसी को दुखी मत करो। सबको सुख दो तो सुखी रहेंगे।
  उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम ज्ञानी बनें। ज्ञानी बनने के लिए समझना होगा कि मैं कौन हूँ? मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है? मैं इस धरा पर क्यों आया हूँ? गीता में भगवान ने कहा कि तुम चेतन हो, अविनाशी हो। आत्मज्ञान को समझने से दूसरों में अच्छाई देखने की समझ मिलती है। आजकल हम लोग सबके अन्दर अवगुण देखने लगे हैं। भगवान ने हमें आँखें अच्छाई को देखने के लिए दी हैं लेकिन हम सभी की बुराई देखते-देखते खुद भी बुरे बन गए हैं। प्रेम, शान्ति, आनन्द, पवित्रता आदि हम आत्माओं के धर्म हैं। इन्हें देखो और अपनाओ। काम, क्रोध, लोभ आदि नर्क के द्वार हैं। इनसे किसी का उत्थान नहीं हो सकता है इसलिए इनका त्याग करना चाहिए। गीता में जो राजयोग का वर्णन है उसके अभ्यास से हम काम, क्रोध आदि मनोविकारों पर काबू पा सकते हैं। गीता बार-बार कहता है कि स्वधर्म में रहो और विकारों का त्याग करो।

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रक्तदान शिविर

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– ब्रह्माकुमारीज के शांति सरोवर रिट्रीट सेंटर में दो दिवसीय रक्तदान शिविर में कुल 180 यूनिट रक्त संग्रह किया गया…
– रक्तसंग्रह का ब्रह्माकुमारीज का प्रयास सराहनीय… स्वास्थ्य मंत्री, छ.ग.
– यह शिविर देश में रक्त की कमी को पूरा करेगा… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
– कोई व्यक्ति साल में चार बार रक्तदान कर सकता है…अशोक अग्रवाल, चेयरमेन, रेडक्रास
– सिर्फ पुरूष ही नहीं महिलाएं भी रक्तदान कर सकती हैं…एम.के. राऊत, सीईओ, रेडक्रास रायपुर

रायपुर (छ.ग.)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 18 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 23 और 24अगस्त को शांति सरोवर रिट्रीट सेंटर में 129 भाई और 51 माताओं ने रक्तदान किया जिससॆ कुल 180 युनिट रक्त संग्रह हुआ। इसका उद्घाटन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने किया।

उल्लेखनीय है कि ब्रह्मकुमारी संस्थान ने भारत के 6000 से ज्यादा सेंटरों और नेपाल में एक साथ रक्तदान महाअभियान की शुरुआत की । एक लाख यूनिट से ज्यादा रक्तदान के लक्ष्य के साथ शुरू इस अभियान को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराया जाएगा।

उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि भारत में अर्थ दान, भूमि दान, कन्या दान सहित विभिन्न दान की परंपरा है। इनमें रक्तदान महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे लोगों को नया जीवन मिलता है। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी संस्थान का यह प्रयास सराहनीय है। छत्तीसगढ़ शासन भी इस दिशा में लगातार प्रयास कर जागरूकता अभियान चला रहा है। हर जिले में ब्लड बैंक खुल चुके हैं।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रेडक्रास सोसायटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी व पूर्व आईएस एमके राऊत ने कहा कि रेडक्रास सोसायटी जल्द ही खून की जांच के लिए 10 मोबाइल एटीएम चालू करने जा रही है। इससे महज पांच मिनट में खून की जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। अभी दूर-दराज के इलाकों में खून की जांच में 12 घंटे लग जाते हैं। रक्तदान को लेकर एक मिथक है कि सिर्फ पुरुष ही दान कर सकते हैं। रक्तदान के लिए इस संस्थान की बहनों का उत्साह इस मिथक को तोड़ेगा।

रेडक्रास सोसायटी के चेयरमैन अशोक अग्रवाल (आईएएस) ने कहा कि एक व्यक्ति साल में चार बार रक्तदान कर सकता है। आज कई बीमारियां हैं जिनके इलाज के लिए खून की जरूरत होती है। सोसायटी के ब्लड बैंकों में खून के लिए आने वालों को पास डोनर नहीं हो तो भी हम निर्धारित शुल्क लेकर ब्लड देते हैं। जो न्यूनतम शुल्क देने में भी सक्षम नहीं हैं, उन्हें मुफ्त दिया जाता है।

रायपुर सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि इस रक्तदान शिविर का आयोजन भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय तथा रेडक्रॉस रायपुर के सहयोग से किया गया था। यह शिविर न केवल रक्त की कमी को पूरा करेगा, बल्कि समाज में मानवता और बंधुत्व की भावना को भी सशक्त करेगा। रक्तदान से आयरन लेवल संतुलित रहता है और हृदय रोग का खतरा भी कम होता है।

उन्होने कहा कि रक्तदान केवल सामाजिक कर्तव्य नहीं बल्कि यह मानवता की सबसे बड़ी सेवा है।

प्रारम्भ में ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी ने अभियान की रूपरेखा बताई और ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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श्रीकृष्ण मनमोहक झाँकी..

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– ब्रह्माकुमारीज द्वारा शान्ति सरोवर सड्ढू में सजाई मई मनमोहक झाँकी…
– बाल कलाकारों द्वारा ”श्री कृष्ण का तुलादान” प्रसंग की मनभावन प्रस्तुति…
– श्रीकृष्ण के दैवी गुणों को जीवन में उतारने का प्रयास करें…ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी
– बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत महारास ने सभी को लुभाया…

रायपुर, 16 अगस्त, 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में विधानसभा मार्ग पर शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में बहुत ही आकर्षक झाँकी सजाई गई है। जिसमें इस संस्थान के बाल कालाकारों द्वारा महारास और श्रीकृष्ण का तुलादान नामक नृत्य नाटक की प्रस्तुति मन को मोह लेती है। इस झाँकी का शुभारम्भ क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी और रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने किया।

इस अवसर पर क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि श्रीकृष्ण जयन्ती का यही ईश्वरीय सन्देश है कि श्रीकृष्ण के दैवी गुणों को जीवन में उतारने का पुरूषार्थ किया जावे। उन्होंने कहा कि विज्ञान के इस युग में श्रीकृष्ण की जयन्ती मना लेना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के बारे में गहन चिन्तन कर उसे धारण करने की जरूरत है।

उन्होंने बतलाया कि मनुष्य के अन्दर व्याप्त काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार ही उसके परम शत्रु हैं। जब हम इन विकारों पर विजय प्राप्त कर लेंगे तभी हम सुख और शान्ति से जीवन यापन कर सकेंगे। गीता के माध्यम से समाज को यह सन्देश दिया गया है कि परमात्मा के साथ प्रीत बुद्घि होकर रहो क्योंकि इससे ही परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने में परमात्मा की मदद मिल सकेगी।

इस अवसर पर रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने अवगत कराया कि श्रीकृष्ण का तुला दान नाटक में यह दर्शाया गया है कि सत्यभामा ने कृष्ण को माया और शक्ति के माध्यम से प्राप्त करना चाहा किन्तु पा न सकी। वहीं दूसरी ओर रूक्मणी ने सच्ची प्रीत से प्रभु को पा लिया। यह जीवन्त झाँकी रविवार को शाम पांच बजे से रात के दस बजे तक जन सामान्य के अवलोकनार्थ खुली रहेगी।

 

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स्वतंत्रता दिवस

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शान्ति सरोवर में ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने फहराया तिरंगा

– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में धूमधाम से पन्द्रह अगस्त मनाया गया…
– शहर के बाल कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम से जमाया रंग…
– पूरे सभागार को तीन रंगों से सजाया गया था…
– अंग्रजों की गुलामी से तो आजादी मिली किन्तु विकारों की गुलामी से आजादी पाना शेष…हेमलता दीदी

रायपुर, 15 अगस्त 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेंटर में हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने तिरगंा फहराया।

क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा कि बहुत संघर्षों के बाद हमें अंग्रेजों से आजादी मिली थी इसलिए इसके महत्व को समझना होगा। ताकि आजादी के लिए संघर्ष करने वाले नवजवानों का बलिदान व्यर्थ न जाए। अब हमें सारे विश्व में भाई- चारा को बढ़ाना है। हरेक व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार करना है। काम, क्रोध आदि विकारों से मुक्त होने का पुरूषार्थ करना है।

उन्होंने कहा कि सच्ची आजादी पाने के लिए हमें अपने भीतर की बुराइयों को दूर करना होगा। ऐसा लगता है कि असली आजादी अभी बाकी है। वह तभी मिलगी जब हम प्रेम और शान्ति से रहना सीखेंगे। हर-घर तिरंगा अभियान से राष्ट्रीयता और देश प्रेम की भावना सारे देश में फैली है।

रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि 15 अगस्त को देश अंग्रेजों की गुलामी से तो मुक्त हो गया लेकिन क्या हम विकारों और व्यसनों की गुलामी से मुक्त हो पाए है? सच्चे अर्थों में हम स्वतंत्र तभी कहलाएंगे जब इन बुराइयों से भी मुक्त होंगे।

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