Brahmakumaris Raipur
शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर में सात दिवसीय योग महोत्सव आज से शुरू…

योग को अपनाने से सामाजिक टकराव और संघर्ष समाप्त हो सकता है…अरूण देव गौतम, गृह सचिव
– राजयोग से परमात्मा की शक्तियाँहम आत्माओं में समाहित होने लगती हैं…ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी
– साधकों ने विभिन्न आसनों के साथ राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास किया…
रायपुर, 16 जून 2024: गृह सचिव एवं अग्निशमन व आपदा प्रबन्धन के महानिदेशक अरूण देव गौतम ने कहा कि योग हमें समाज के लिए उपयोगी बनाता है। योग को अपनाने से सामाजिक टकराव और जीवन से संघर्ष समाप्त हो सकता है।
गृह सचिव आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित योग महोत्सव के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होने बतलाया कि महर्षि पतंजलि ने कहा था कि चित्त का निरोध ही योग है। चित्त शरीर का अंग नहीं है। चित्त को समझने के लिए देह और उसके सभी पक्षों को समझना होगा। देह के उपर है मन और बुद्घि। उसके उपर है चित्त। मन में विचार पैदा होते हैं। चित्त में पुराने संस्कार भरे रहते हैं। इन सबको एकनिष्ठ व समन्वित करना ही योग है।
इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि आत्मा का सम्बन्ध परमपिता परमात्मा से जोडऩा ही राजयोग है। राजयोग सेे हमारे कर्मोंमें श्रेष्ठता और कुशलता आती है। राजयोग हमें अनेक बिमारियों से भी मुक्ति दिलाता है। इससे परमात्मा के गुण और शक्तियाँहम आत्माओं में समाहित होने लगती हैं। योग से हमारा जीवन अनुशासित होता है। नकारात्मकता को समाप्त करने की ताकत इस राजयोग में निहित है। हमारा व्यवहार सौम्य और मधुर हो जाता है।
संयुक्त जिलाधीश एवं उप मुख्य कार्यपालन अधिकारी (स्वास्थ्य संचालनालय) विनय अग्रवाल ने कहा कि राजयोग तन और मन दोनों को स्वस्थ बनाता है। उन्हें एलर्जी की शिकायत थी। हमेशा सर्दी, जुकाम लगा रहता था। डॉक्टर उन्हें एन्टीबायोटिक दवाएं दे देते थे किन्तु समस्या हल नहीं हो रही थी। जब मैने राजयोग मेडिटेशन करना शुरू किया तो पूरी तरह से मेरी एलर्जी ठीक हो गयी।
रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि स्वास्थ्य हमारे जीवन की बहुमूल्य सम्पत्ति है। स्वास्थ्य के प्रति हरेक व्यक्ति सचेत रहता है। सुबह वह अपने स्वास्थ्य के लिए अनेक उद्यम करता है। हमारा तन तभी स्वस्थ रहेगा जब हमारा मन स्वस्थ होगा। मन ठीक नही होने से आदमी डिप्रेशन में चला जाता है। मन के कमजोर होने से मनुष्य परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाता है। मन को शक्तिशाली बनाने के लिए राजयोग का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
छत्तीसगढ़ योग आयोग के मुख्य प्रशिक्षक छबिराम साहू ने कहा कि महर्षि पतजंलि ने योग को जीवन से जोडऩे का कार्य किया। अपने कार्य को अच्छी तरह से कुशलता पूर्वक करना ही योग है। योग हमारे चित्त और वृत्तियों को नियंत्रित करता है। यह जीवन जीने की कला है।
* राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी* ने कहा कि आजकल लोगों में योग के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है लेकिन उन्हें पता नहीं है कि कौन सा योग सही है। अनेक अनुसंधानों से यह साबित हो गया है कि नब्बे प्रतिशत बिमारियों का सम्बन्ध मन से है। इसलिए मन को शक्तिशाली बनाने के लिए राजयोग जरूरी है क्योंकि राजयोग का सीधा सम्बन्ध हमारे मन और विचारों से है। राजयोग में हम सकारात्मक चिन्तन करते हैं।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ योग आयोग की ओर से उपस्थित मुख्य प्रशिक्षक छबिराम साहू, श्रीमती ज्योति साहू, अनिता साहू, विश्राम यादव, उमाभारती साहू और परस साहू ने ब्रह्माकुमारी संगठन के साधकों को वृक्षासन, पाद हस्तासन, वज्रासन, दण्डासन आदि विभिन्न आसनों का अभ्यास कराया। कु. शारदा नाथ ने अपने मधुर स्वर में योग दिवस से सम्बन्धित स्वरचित गीत गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। संचालन ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने किया।
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गीता रहस्य प्रवचनमाला

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पर्यावरण महोत्सव

पर्यावरण महोत्सव में पर्यावरण सरंक्षण पर चर्चा हुई…
– प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने की जरूरत… रामसेवक पैकरा, अध्यक्ष वन विकास निगम
– प्लास्टिक से प्रकृति का दम घुट रहा है… प्रेम कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक
– प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत… ब्रह्माकुमारी सविता
रायपुर,01 जून, 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में पर्यावरण दिवस पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा, वन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार और ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने की। चर्चा का विषय था -पर्यावरण सरंक्षण और हमारा दायित्व।
इस अवसर पर बोलते हुए वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुमूल्य सम्पदा के रूप में अनेक उपहार दिए हैं। एक ओर विकास हो रहा है तो दूसरी ओर विनाश हो रहा है। प्रकृति को प्रदूषित करने के लिए हम सब दोषी हैं। प्राकृतिक वन को हमने उजाड़ा है। वन सरंक्षण के लिए लोगों में जन जागृति लाने की जरूरत है। हमें प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने के लिए कार्य करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश नदी-नालों और जंगलों से घिरा हुआ है। उन्हें सरंक्षित करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक असन्तुलन के कारण हमें अतिवृष्टि और अनावृष्टि का सामना करना पड़ रहता है। इसी प्रकार खेती में रसायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाने की जरूरत है। वन विकास निगम ने इस वर्ष औद्योगिक क्षेत्रों में 15 से 18 लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है।
अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार ने कहा कि वर्तमान समय प्रदूषण इतना विकराल रूप ले चुका है कि हरेक को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। आजकल प्लास्टिक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे प्रकृति का दम घुट रहा है। हर साल हम तिरालिस लाख टन प्लास्टिक कचरा धरती और नदियों में हम डाल रहे हैं। प्लास्टिक का कुछ अंश हमारे ब्लड में भी घुल चुका है।
उन्होंने कहा कि अगर जीवन में खुशी चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनका संवर्धन करें। लोग जंगलों में घूमने जाते हैं तो प्लास्टिक वहीं छोड़कर आ जाते हैं जिसको हिरन आदि जानवर खाकर मर रहे हैं। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि प्रकृति ने हमारी जरूरत के मुताबिक सब कुछ दिया है लेकिन जब हम लोभवश उसका अत्यधिक दोहन करने लगते हैं तब समस्या शुरू होती है। हमें पानी की कीमत तब पता चली जब वह बोतल में बिकने लगा। इसी प्रकार आक्सीजन का महत्व हमें कोविड के दौरान पता चली। आज दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत है कि हम प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। अपने साथ एक खाली कपड़े की थैली जरूर रखें।
इससे पहले ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जानवरों की सुरक्षा से ही पर्यावरण सरंक्षण संभव है। उन्होंने बतलाया कि प्रकृति के साथ-साथ मन के प्रदूषण को भी खत्म करने की जरूरत है। किसी के घर में मृत्यु होने पर उसके नाम से एक पेड़ जरूर लगाएं।
इस अवसर पर वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा और अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक प्रेमकुमार ने शान्ति सरोवर में वृक्षारोपण भी किया।
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समर कैम्प का समापन……

रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ समर कैम्प का समापन…
– समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवर रहा है…राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम
– बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आध्यात्मिक शिक्षा जरूरी… डॉ. पी.के. पात्रा, कुलपति आयुष वि.वि.
– बच्चों के चारित्रिक विकास में ब्रह्माकुमारीज का समर कैम्प मददगार… ले. जन. अशोक जिन्दल, डायरेक्टर एम्स
– राजयोग मेडिटेशन से मिलेगी मन की शान्ति… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, रायपुर संचालिका
रायपुर, 12 मई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित प्रेरणा समर कैम्प का समापन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ। शान्ति सरोवर मे आयोजित समापन समारोह में छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल,दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने विचार व्यक्त किए।
छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने समर कैम्प आयाजित करने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवारने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आजकल माता-पिता को बच्चों की चिन्ता कम हो गई है। सब बच्चों के हाथों में मोबाईल आ गई है। बच्चे स्कूल से आकर माबाईल में व्यस्त हो जाते हैं। उनकी आँखे कमजोर हो रही है। उनकी फिजीकल एक्टीवीटी खत्म हो गई है। खेलकूद में उनकी रूचि नहीं रही। फलस्वरूप बच्चों का मानसिक स्तर कमजोर होता जा रहा है। इसके लिए माता-पिता को दोषी बतलाते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को फिजीकल एक्टीवीटी के लिए प्रेरित करने की जरूरत है।
दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नैतिक मूल्यों के बिना जीवन आसुरियत से भरा हो जाता है। आजकल हमारा जीवन मशीन जैसा हो गया है। धीरे-धीरे समाज से नैतिक और मानवीय मूल्य कमजोर होते जा रहे हंै। नैतिक मूल्यों के बिना अच्छे समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते। माता-पिता दोनों नौकरी करने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि बच्चों के लिए उनके पास समय ही नहीं है। पहले दादा-दादी से बच्चे कहानियाँ सुनते थे उससे भी नैतिक मूल्यों की शिक्षा मिलती थी। अब वह सब समाप्त हो गया है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल ने कहा कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि इसमें बच्चों में रचनात्मकता की झलक दिखाई देती है। बच्चों को सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा की भी जरूरत है। बच्चों को यहाँ टीमवर्क सिखने को मिला जो कि विकास और शान्ति के लिए जरूरी है।
रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि राजयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी राजयोग मेडिटेशन जरूरी है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और मन को शान्ति मिलती है।
कार्यक्रम की शुरूआत में बच्चों के द्वारा गणेश वन्दना सहित विभिन्न गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने किया। समर कैम्प में विजयी बच्चों को पुरस्कार व प्रमाण पत्र भी दिया गया।
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