Connect with us

Brahmakumaris Raipur

शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में दस दिवसीय समर कैम्प का आयोजन

Published

on

कुलपतियों की उपस्थिति में हुआ शुभारम्भ…
– वर्तमान शिक्षा नैतिक मूल्यों के बिना अधूरी है… डॉ. गिरीश चन्देल, कुलपति
– सफल होने के लिए जीवन में चुनौतियों का सामना करना होगा… डॉ. टी. रामाराव, कुलपति
– वर्तमान शिक्षा जीविकोपार्जन तक सीमित … ब्रह्माकुमारी सविता

रायपुर, 2 मई 2024: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद सेवा प्रभाग द्वारा बच्चों के नैतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिए शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित समर कैम्प का शुभारम्भ इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चन्देल, आंजनेय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी. रामाराव, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया।

इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चन्देल ने कहा कि पहले घर में माता-पिता और बुजुर्गों से जो शिक्षा मिलती थी वह आज नहीं मिल पा रही है। नैतिक शिक्षा के अभाव में हम बच्चों को भविष्य में मिलने वाली असफलता के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं। फलस्वरूप बच्चे अपने जीवन को ही समाप्त कर लेते हैं। वर्चुअल शिक्षा पर ज्यादा निर्भर होने के कारण परिवार में वैचारिक लेन-देन का अभाव सा हो गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में टिके रहने के लिए आशा और निराशा दोनों का सामना करने की शक्ति हमारे अन्दर होनी चाहिए। इसलिए पारम्परिक शिक्षा पद्घति में नैतिक शिक्षा को शामिल करने की जरूरत है।

आंजनेय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी. रामाराव ने कहा कि जीवन में अनेक समस्याएं आएंगी किन्तु उन चुनौतियों से घबराकर दूर नही भागना है। बल्कि उनका सामना कर आगे बढऩा है। तभी हम सफल कहलाएंगे। उन्होंने बतलाया कि घड़ी को अंग्रेजी में वाच कहते हैं। इसका एक-एक शब्द हमें शिक्षा देता है। पहला शब्द है डब्लू जो कि हमें बतलाता है कि वाच युअर वर्ड अर्थात अपने शब्दों पर ध्यान दो। सबसे मीठा बोलो। कटु वचन न बोलो। फिर है -ए शब्द जो कहता है कि वाच युअर एक्शन अर्थात अच्छे कर्म करो। फिर आता है -टी शब्द जो कहता है कि वाच युअर थॉट्स। सदैव सबके लिए शुभ सोचो। फिर है सी अर्थात वाच युअर कैरेक्टर। हमारा व्यवहार ठीक हो। अन्त में है-एच शब्द जो कहता है कि वाच युअर हार्ट अर्थात इस जगत में जितने प्राणी हैं उन सबके साथ प्रेम से रहना।

रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि आज बच्चों के सामने जीवन को महान बनाने का कोई लक्ष्य नहीं है। जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान शिक्षा महज जीविकोपार्जन का माध्यम बनकर रह गई है। ऐसे समय पर ब्रह्माकुमारी संस्थान एकमात्र ऐसा संगठन है जहॉं पर मानव मात्र को दैवी गुणों से सम्पन्न बनाने का कार्य किया जा रहा है।

राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने कहा कि बाल्यावस्था जीवन का सबसे अनमोल समय है। इस समय हम जैसा चाहें वैसा अपने संस्कारों और विचारों को ढाल सकते हैं। बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ दैवी गुणों को धारण करने पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए। तब ही उनका व्यक्तित्व सम्पूर्ण और आकर्षक बन सकेगा।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका कौशल ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने किया।

Brahmakumaris Raipur

आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा

Published

on

By

रायपुर, छ.ग.। आज छत्तीसगढ़ के नम्बर वन न्यूज चैनल आई बी सी 24 पर “आदि शक्ति से साक्षात” विषय पर सामयिक चर्चा रखी गई थी।

परिचर्चा में छत्तीसगढ़ की विभिन्न विधाओं में पारंगत नारी शक्ति को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया।

परिचर्चा में ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने हिस्सा लिया और नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझाते हुए आदि शक्तियों के महत्व को प्रतिपादित किया।

परिचर्चा में ब्र.कु. सविता दीदी के अलावा डॉ शिखा पाण्डेय- वैदिक ज्योतिषि, डॉ नीना मोइत्रा- वास्तु व टैरो कार्ड रीडर, विद्या दुबे- कथा वाचिका, गरिमा जैन- जसगीत गायिका, साध्वी डॉ किरण ज्योति प्रेम- विशेषज्ञ, योग विज्ञान, पद्मश्री फूलबासन बाई यादव- सामाजिक कार्यकर्ता, नीता डुमरे- पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, डॉ दिव्या देशपांडे- प्रोफेसर, संस्कृत कॉलेज ने भाग लिया।

Continue Reading

Brahmakumaris Raipur

कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

Published

on

By

काम, क्रोध आदि विकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत…. ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
रायपुर, 07 अगस्त, 2025: केन्द्रीय कारागार में कैदियोंं को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की दैवी बहनों ने रक्षाबन्धन का आध्यात्मिक महत्व समझाते हुए प्रवचन किया और उनकी सूनी कलाइयों में राखी बाँधी। कार्यक्रम मेंं जेल के कल्याण अधिकारी दिलेश पाण्डे, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी, सौम्या दीदी, सिमरण दीदी, अंशु दीदी और जागृति दीदी आदि उपस्थित रहीं।
कैदियों को सम्बोधित करते हुए रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन का पर्व हमें मन-वचन-कर्म से पवित्रता को अपनाने का सन्देश देता है। वरन् हमें काम, क्रोध आदि मनोविकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत है। रक्षा का अभिप्राय शारीरिक रक्षा से नहीं है। रक्षाबन्धन में जो तिलक लगाते हैं वह आत्म स्मृति का प्रतीक है। इससे यह याद कराया जाता है कि हम शरीर नहीं हैं अपितु इसके माध्यम से कर्म करने वाली चैतन्य आत्मा हैं। मुख मीठा कराना इस बात का सूचक है कि मुख से सदैव मधुर बोल ही निकलें। हमारी जुबान से कभी दूसरों को दु:ख पहुंचाने वाले कटु वचन न निकलें। इसी प्रकार रक्षासूत्र बांधने का मतलब जीवन में आगे बढऩे के लिए कोई न कोई दृढ़ संकल्प करने का सूचक है।
उन्होंने कैदियों से अपने समय का सदुपयोग स्वचिन्तन में करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह विचार करने की जरूरत है कि मेरे अन्दर कौन-कौन सी बुराइयाँ हैं? उन्होने श्रेष्ठï कर्मों को सुख-शान्ति का आधार बतलाते हुए कहा कि जीवन को सुखी बनाना है तो हमें अपने कर्मों को श्रेष्ठï बनाना होगा। ऐसे समय में परमात्मा हमें रक्षा का वचन दे रहे हैं कि हे आत्माओं अब देह से न्यारे बनो और मुझे याद करो तो मैं तुम्हारी सभी मनोविकारों से रक्षा करूंगा।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने विचारों की शक्ति को स्पष्ट करते हुए व्याख्यान दिया। ब्रह्माकमारी रश्मि दीदी ने कैदियों को जीवन में अच्छाइयों को अपनाने की प्रतिज्ञा कराई। अन्त में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी को रक्षासूत्र बाँधकर मुख मीठा कराया। संचालन ब्रह्माकुमारी सिमरण दीदी ने किया।
Continue Reading

Brahmakumaris Raipur

योग भट्ठी की क्लास

Published

on

By

– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” पर क्लास…
– बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया है… ब्रह्माकुमार राजू भाई
– परखने की शक्ति के लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाना होगा…

रायपुर, 20 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजके रायपुर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर के शान्त एवं मनोरम वातावरण में माताओं और कन्याओं (शिवशक्तियों) की योग भट्ठी के बाद आज से पाण्डवों (अधरकुमार व कुमारों) की गहन योग तपस्या की शुरूआत हुई। माउण्ट आबू से ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष आदरणीय ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आज ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” विषय पर सारगर्भित क्लास कराई।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि पुरूषार्थी जीवन में माया भिन्न-भिन्न रीति से वार करती है जिनसे हमें अपनी सेफ्टी करनी पड़ती है। माया अनेक रूपों में भेष बदलकर आएगी। बाबा हमें अपनी रक्षा के लिए बहुत सारे सुरक्षा कवच दिए हैं। हम अभी युद्घ के मैदान में हैं। रामायण में भी वर्णन आता है कि राजमहल के ऐशो आराम का त्याग कर जंगल में आने वाली सीता भी माया को न पहचान सकी और सोने के हीरण के पीछे फंस गयी। फलस्वरूप उसे शोक वाटिका में दिन बिताने पड़े। लक्ष्मण ने मर्यादा की लकीर खींची थी उसका भी वह उल्लंघन कर बैठी।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आगे बतलाया कि बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। माया सिर्फ विकार के रूप में ही नहीं आती है। वह ईष्र्या, द्वेष, प्रलोभन आदि के साथ भी आती है। न जाने कब, कौन व्यक्ति छल करके चला जाएगा, पता ही नहीं पड़ेगा। हमें किसी के प्रभाव में नहीं आना है। भोला नहीं बनना है। हमको ज्ञानमार्ग में बहुत समझ और युक्ति से चलने की जरूरत है। परखने की शक्ति को बढ़ाना होगा। इसके लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आजकल बहुत अधिक और व्यर्थ सोचने की बिमारी बढ़ रही है जिसके कारण सुगर और ब्लडप्रेशर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि अधिकतर बिमारी ज्यादा सोचने के कारण हो रही हैं। जो चीजें मेरे काम की नहीं है उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचना है। हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना होनी चाहिए।

उन्होंने बतलाया कि दूसरा कोई आपके बारे में कितना ही बुरा क्यों न सोच रहा हो? यदि आपके उपर बाबा की याद का सुरक्षा कवच है तो उसका कोई असर आपके उपर नहीं पड़ेगा। बाबा ने निम्न सुरक्षा कवच हम बच्चों को दिए हैं:-

1. शुद्घ और पवित्र सोच का कवच: हमें न व्यर्थ बोलना है और न ही व्यर्थ सोचना है। सदैव स्वचिन्तन में रहना और शुद्घ व पवित्र संकल्प करना है। स्वमान के स्वचिन्तन में रहो। श्रेष्ठ विचारों का आभामण्डल (औरा) अपने चारों ओर बना लो। अच्छे विचारों में रमण करें।

2. ईश्वरीय नियम/मर्यादाओं का कवच: हमें यज्ञ के नियम/ मर्यादाओं का पूरा पालन करना है। मर्यादा के अन्दर रहेंगे तो तंत्र-मंत्र कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रावण किसी भी रूप में आए हम सदा सुरक्षित रहेंगे। बाबा ने संकल्प, बोल, कर्म और दृष्टि सबके लिए मर्यादाएं बतलायी हैं। जो नियमों में दृढ़ हैं वह सच्चे योगी हैं। नियमों में दृढ़ नहीं रहने से योग भी नहीं लगेगा। संकल्प हमारे श्रेष्ठ हों, बोल हमारे मर्यादित हों, दृष्टि हमारी पवित्र रहे, वृत्ति हमारी शुद्घ हो। कर्म हमारे न्यारे-प्यारे हों। व्यवहार में सरलता और नम्रता हो। दादियों की तरह एक-दो के विचारों को परस्पर सम्मान दें।

3. बाबा की छत्रछाया: सदैव बाबा की याद की छत्रछाया में रहें। कभी बाबा की याद की छतरी से बाहर नहीं निकलना। बाबा से दृष्टि और शक्ति लेकर बाबा को अपने साथ ले जाएं। कभी असफल नहीं होंगे। बाबा के साथ कम्बाईण्ड होकर रहें तो हमेशा सुरक्षित अनुभव करेंगे। ओमशान्ति।

Continue Reading

News