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हास्पीटल को क्रोध मुक्त क्षेत्र बनाएं, लोगों की दुआएं अर्जित कर उनका विश्वास जीतें… ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी

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हास्पीटल को क्रोध मुक्त क्षेत्र बनाएं, लोगों की दुआएं अर्जित कर उनका विश्वास जीतें… ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी
रायपुर, २९ सितम्बर: इण्डियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (IAN) के २६ वें वार्षिक अधिवेशन देश भर से आए चिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने हास्पीटल को क्रोध मुक्त क्षेत्र (नो एंगर जोन) में तब्दील कर मरीजों की दुआएं प्राप्त करने का आह्वान किया। इसके लिए चिकित्सकों को स्वयं का जीवन क्रोधमुक्त बनाना होगा। हास्पीटल का वातावरण मन्दिर की तरह शान्त और पवित्र होना चाहिए। ताकि हीलिंग इनर्जी बढ़े और मरीज जल्दी स्वस्थ हो सकें।
अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के आखिरी दिन ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी और फिल्म अभिनेता सुरेश ओबेराय ने साइन्स कालेज ग्राउण्ड में स्थित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में इण्डियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (IAN) के २६ वें वार्षिक अधिवेशन में भाग लिया। चर्चा का विषय था एम्पावरिंग हीलिंग माईण्ड्स (Empowering Healing Minds)।
ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने आगे कहा कि आज से पच्चीस साल पहले चिकित्सकों को भगवान का दर्जा प्राप्त था। किन्तु इस पवित्र व्यवसाय में सेवा भावना की बजाय व्यावसायिकता का भाव आ जाने से बहुत बदलाव आया है। जो हाथ पैर छूते थे, वही हाथ अब चिकित्सकों पर उठने लगे हैं। यह गहन सोच का विषय है कि समाज में चिकित्सकों के प्रति इतना बदलाव क्यों और कैसे आया? आप चेरिटी मत करो परन्तु जो भी करो सेवाभाव से करो। इससे लोगों की दुआएं मिलेंगी।
उन्होंने कहा कि दुआएं प्राप्त करना बहुत बड़ी सम्पत्ति है। मरीजों से पैसा लो लेकिन यह ध्यान रहे कि जो पैसा घर में जा रहा है उसके साथ मरीजों की दुआएं भी घर में आएंं। आपने बड़े-बड़े हास्पीटल्स बना लिए गाडिय़ाँ खरीद ली किन्तु यह सब चीजें यहीं रह जाएंगी। आत्मा के साथ सिर्फ आपके कर्म और संस्कार ही जाएंगे। इसलिए अपने संस्कारों को अच्छा और नेक बनाएं।
उन्होंने चिकित्सकों को राजयोग मेडिटेशन के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हास्पीटल का वायुमण्डल मन्दिर की तरह पवित्र और शान्तिमय बनाना यह आपकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है। इससे हीलिंग एनर्जी बढ़ जाएगी। उन्होंने पूछा कि लोग मन्दिरों में क्यों जाते हैं? क्योंकि मन्दिर का वातावरण शान्त होता है। ऐसे ही हास्पीटल का वायुमण्डल हमें बनाना चाहिए। हास्पीटल में धुसते ही मरीज का विश्वास हम पर बढ़ जाए। मरीज के मन से संशय और भय को निकालना होगा। उसका विश्वास जीतना होगा। वह आपके पास दु:ख दर्द लेकर आता है, दो प्रश्न ज्यादा पूछ लेता है तो आप नाराज न होकर उससे प्यार से बातें करें। इससे मरीज का आधा दु:ख तुरन्त ही कम हो जाएगा। इससे निगेटिव इनर्जी को कम करने में मदद मिलेगी।
ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने चिकित्सकों को दवा कम्पनियों आदि का अहसान नही लेने की सलाह देते हुए कहा कि यह बात याद रखों कि एहसान लेंगे तो झुकना पड़ेगा। बहुत लोग आएंगे जो कि आपको आई फोन ऑफर करेंगे, हालीडे ऑफर करेंगे किन्तु आप इन प्रलोभनों से स्वयं को बचाएं।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, रायपुर
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देशभक्ति के रंग में डूबा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर… – क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी ने तिरंगा ध्वज फहराया…

पूरे सभागार को तीन रंगों से सजाया गया था…
– अंग्रजों की गुलामी से मुक्ति मिली किन्तु विकारों से मुक्त होना शेष…
रायपुर, 15 अगस्त 2024: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के तत्वावधान में शान्ति सरोवर रिट्रीट सेंटर में बड़े ही धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस अवसर पर इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी एवं सविता दीदी संग राजधानी रायपुर की सभी ब्रह्माकुमारी बहनों ने मिलकर तिरगंा फहराया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्थान के बाल कलाकारों द्वारा देशभक्ति के गीतों पर आधारित सुन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा कि बहुत संघर्षों के बाद हमें आजादी मिली थी इसलिए इसके महत्व को हमें समझना होगा ताकि आजादी के लिए शहीद होने वाले नवजवानों का बलिदान व्यर्थ न जाए। स्वतंत्र का मतलब है स्व पर शासन। हरेक कर्मइन्द्रियाँ हमारे वश में हो। अब हमें सारे विश्व में भाई- चारा की भावना को बढ़ाना है। हरेक व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार करना है। राजयोग मेडिटेशन से काम, क्रोध आदि विकारों से मुक्त होने का पुरूषार्थ करना है।
रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि 15 अगस्त को देश अंग्रेजों की गुलामी से तो मुक्त हो गया लेकिन क्या हम विकारों और व्यसनों की गुलामी से मुक्त हो पाए है? सच्चे अर्थों में हम स्वतंत्र तभी कहलाएंगे जब हम इन बुराइयों से भी मुक्त होंगे।
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तनावमुक्त जीवन जीने की कला विषय पर व्याख्यान… – जिन्दल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड में एक्जीक्यूटिव्स के लिए हुआ आयोजन…

तनावमुक्त जीवन जीने की कला विषय पर व्याख्यान…
– जिन्दल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड में एक्जीक्यूटिव्स के लिए हुआ आयोजन…
– तनाव हमें बीमार कर रहा है… ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी
– तनाव से बचने हेतु जीवन में जो मिला है और जितना मिला है उसमें सन्तुष्ट रहना सीखिए…
रायपुर, 14 अगस्त 2024: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा जिन्दल स्टील एवं पावर लिमिटेड मन्दिर हसौद में तनाव मुक्त जीवन जीने की कला (Art of stress free Living) विषय पर वहाँ के एक्जीक्यूटिव्स के लिए व्याख्यान आयोजित कर सभी को राखी बांधी गई।
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी ने कहा कि इस समय तनाव और अवसाद सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। यह तनाव मनुष्यों को बीमार कर रहा है। तनाव हमारी क्षमता को आधा कर देता है। आधुनिक जीवनशैली हमें दिनों दिन आध्यात्मिकता से दूर कर रही है। हम अपने निज स्वरूप को न जानने के कारण नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। राजयोग मेडिटेशन हमें परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देता है।
उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य हमेशा सोचता है कि अमुक काम हो जाए फिर मैं सुखी हो जाउंगा। बस यह काम और हो जाए फिर कोई तनाव नहीं रहेगा। इसी उघेड़बुन में वह जिन्दगी के अनमोल क्षणों को व्यर्थ में गंवा देता है। किसी भी कार्य को यदि सुव्यवस्थित तरीके से और सम्पूर्णता के साथ किया जाए तो उसे आर्ट कहते हैं। हमें अगर तनाव प्रबन्धन की कला आ जाए तो हंसी-खुशी जीवन को जिया जा सकता है। गुस्सा, भय, चिडचिड़ापन, एकाग्रता की कमी, भय, चिन्ता, उदासी आदि तनाव के ही लक्षण हैं।
ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी ने आगे बतलाया कि समस्याएं सबके सामने आती है। किन्तु जब हमारी आन्तरिक शक्ति कमजोर हो जाती है तब हमें तनाव महसूस होता है। अब सवाल पैदा होता है कि हम तनाव को बैलेन्स कैसे करें? उसे कम करें या खत्म करें? किसी कार्य को करने के लिए जुनून की जरूरत होती है। जुनून की विशेषता यह है कि उसमें खुशी भी शामिल होती है। हमें अब खुद ही अपने जीवन का टेक्नीशियन बनना होगा। अपने जीवन को खुशनुमा बनाना होगा। यह हमारे ही हाथ में निर्भर है। अब तक जो मिला है और जितना मिला है उसमें खुश और सन्तुष्ट रहना सीखिए।
रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि दुनिया में जिस तेजी से विज्ञान और तकनीक का विकास हो रहा है, उसी तेजी से नैतिक मूल्यों का पतन भी हो रहा है। पहले इतने भौतिक सुख के साधन नही थे किन्तु लोगों में परस्पर भाई-चारा, स्नेह और अपनापन था। इन दिनों मनुष्य हर समय तनाव, भय और असुरक्षा के साए में जीवन गुजार रहा है। तनाव का एक कारण सहनशक्ति की कमी होना भी है। सहनशक्ति की कमी होने से मनुष्य झट तनाव में आ जाता है।
कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने किया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी वनिषा दीदी ने भी अपने विचार रखे।
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रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने लोकसभा सांसद और जिन्दल कम्पनी के मालिक भ्राता नवीन जिन्दल को माउण्ट आबू पधारने का निमंत्रण दिया और राखी बाँधी

रायपुर, 31 जुलाई : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने लोकसभा सांसद और जिन्दल कम्पनी के मालिक नवीन जिन्दल के रायपुर आगमन पर उनसे मुलाकात कर उन्हें माउण्ट आबू में आयोजित उद्योग एवं व्यापार प्रभाग के सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी और ब्रह्माकुमारी दीक्षा दीदी भी उपस्थित थीं।
रायपुर प्रवास के दौरान सांसद नवीन जिन्दल अपने व्यस्ततम दिनचर्या में से समय निकालकर ब्रह्माकुमारी बहनों से बहुत ही आत्मियता से मिले। उन्होंने अवगत कराया कि ब्रह्माकुमारी बहनों का आशीर्वाद उन्हें हर जगह मिलता रहता है। इस पर ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने उन्हें रायपुर में की जा रही ईश्वरीय सेवाओं से अवगत कराते हुए समय निकालकर यहाँ के शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में भी पधारने का निमंत्रण दिया। सांसद महोदय द्वारा वर्र्तमान समय लेकसभा का सत्र चालू होने के कारण माउण्ट आबू जाने में असमर्थता जताने पर सविता दीदी ने उन्हें सितम्बर माह में आबू में आयोजित सम्मेलन में चलने का आग्रह किया तब उन्होंने बतलाया कि उस समय हरियाणा में विधानसभा चुनाव होना है। फिर उन्होंने कहा कि रायपुर में उनके लायक कोई सेवा हो तो जरूर बतलाएं। पश्चात सविता दीदी ने उन्हें राखी बाँधी और ईश्वरीय प्रसाद दिया जिसे उन्होंने बहुत ही श्रद्घा और आदर के साथ स्वीकार किया।
उल्लेखनीय है कि सांसद नवीन जिन्दल आज राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए रायपुर आए थे। इसी दौरान रायपुर से वापिस जाते वक्त बहनों ने उनसे मुलाकात की थी। ओमशान्ति।
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