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आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान

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सादर प्रकाशनार्थ

 

आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान

 

आत्म निर्भर भारत बनाना हम सभी की जिम्मेदारी… सुनील सोनी, सांसद

रायपुर, 20 जनवरी, 2022: सांसद सुनील सोनी ने कहा कि कहा कि आने वाले पच्चीस वर्षों में हमें ऐसा भारत बनाना है जो आत्म निर्भर हो और अपने पैरों पर खड़ा हो। जहाँ पर आम आदमी भी सुखपूर्वक जीवन यापन कर सके। यह हम सबकी जिम्मेदारी है।

 

श्री सोनी आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसका आयोजन ब्रह्माकुमारी संस्थान और भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में वर्ष भर चलाए जाने वाले अभियान का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्चुअल शुभारम्भ करने के बाद किया गया। इस अखिल भारतीय अभियान को ब्रह्माकुमारीज संस्थान के संस्थापक पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मïा बाबा की ५३ वीं पुण्यतिथि पर लाँच किया गया।

 

उन्होने आगे कहा कि गाँधी जी की कल्पना थी कि स्वदेशी भारत बने। जो सोने की चिडिय़ा कहलाए। आज हमें यह सोचना होगा कि हम आने वाली पीढ़ी को क्या दे सकते हैं। उन्होने अपने महापौर कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि हम नगरीय निकायों से अधिकार की अपेक्षा तो करते हैं लेकिन अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं। केन्द्र सरकार का यह पूरा प्रयास है कि आने वाले वर्षों में एक नया भारत बने। वर्तमान कोरोना काल ने हमें बहुत बड़ी सीख दी है कि हम दुनिया में अकेले हैं और अकेले ही हमको जाना है। कोई साथ नहीं जाने वाला है।

 

कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने आजादी के अमृत महोत्सव की चर्चा करते हुए कहा कि देश आजाद हो गया इतना ही पर्याप्त नहीं है। देश को स्वर्णिम स्वरूप देना जरूरी है। पूरे विश्व को सुख शान्ति का मार्ग बतलाना है। हमें उन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अपना योगदान देना है जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान हिया है। उन्होने ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि सामाजिक जागरण के हर कार्य में ब्रह्माकुमारी संस्थान अग्रसर रहता है।

 

क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि आज नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का पतन होने से समाज में दुख और अशान्ति है। देश को प्रगति की राह पर आगे बढ़ाने के लिए लागों में जुनून का होना जरूरी है। ब्रह्माकुमारी संस्थान ने बस्तर के पैंसठ गावों में सेवाकेद्र खोलकर वहाँ के आदिवासियों के जीवन को निव्र्यसनी और सुखमय बनाया है।

 

वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने बतलाया कि इस अभियान के अन्तर्गत ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा पूरे राज्य में मेरा भारत स्वस्थ भारत, आत्म निर्भर किसान, महिलाएं नये भारत की ध्वज वाहक, शान्ति की शक्ति युवा बस यात्रा, भारत के विरासत स्थलों के लिए अनदेखा भारत साइकिल यात्रा, एक भारत श्रेष्ठ भारत मोटर बाईक यात्रा जैसे अनेकों कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाएंगे।

 

इस अवसर पर पार्षद अमर बंसल और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष छगन मुंदड़ा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

 

प्रेषक: मीडिया प्रभाग,

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय

रायपुर फोन: ०७७१-२२५३२५३, २२५४२५४

 

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भारत फिर भरपूर बनेगा, कोई नहीं कमी होगी…

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ब्रह्माकुमारी संस्थान के अखिल भारतीय अभियान ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मोदी जी ने आने वाले 25 वर्षों में स्वस्थ, समृद्ध, स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहभागिता के लिए लोगों का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये संस्था अध्यात्म के साथ सामाजिक चेतना लाने का भी काम कर रही है।
इस भव्य और गौरवशाली कार्यक्रम को आप भी देखें और स्वर्णिम भारत के नवनिर्माण में अपनी-अपनी भूमिकाएं स्वयं निश्चित करें। क्योंकि हम सब मिलकर ही इस सुंदर स्वप्न को साकार कर सकते हैं।

जय हिंद। जय भारत। जय छत्तीसगढ़।

 

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कैदियों की सूनी कलाइयों में ब्रह्माकुमारी बहनों ने राखी बाँधी

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काम, क्रोध आदि विकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत…. ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
रायपुर, 07 अगस्त, 2025: केन्द्रीय कारागार में कैदियोंं को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की दैवी बहनों ने रक्षाबन्धन का आध्यात्मिक महत्व समझाते हुए प्रवचन किया और उनकी सूनी कलाइयों में राखी बाँधी। कार्यक्रम मेंं जेल के कल्याण अधिकारी दिलेश पाण्डे, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी, सौम्या दीदी, सिमरण दीदी, अंशु दीदी और जागृति दीदी आदि उपस्थित रहीं।
कैदियों को सम्बोधित करते हुए रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन का पर्व हमें मन-वचन-कर्म से पवित्रता को अपनाने का सन्देश देता है। वरन् हमें काम, क्रोध आदि मनोविकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत है। रक्षा का अभिप्राय शारीरिक रक्षा से नहीं है। रक्षाबन्धन में जो तिलक लगाते हैं वह आत्म स्मृति का प्रतीक है। इससे यह याद कराया जाता है कि हम शरीर नहीं हैं अपितु इसके माध्यम से कर्म करने वाली चैतन्य आत्मा हैं। मुख मीठा कराना इस बात का सूचक है कि मुख से सदैव मधुर बोल ही निकलें। हमारी जुबान से कभी दूसरों को दु:ख पहुंचाने वाले कटु वचन न निकलें। इसी प्रकार रक्षासूत्र बांधने का मतलब जीवन में आगे बढऩे के लिए कोई न कोई दृढ़ संकल्प करने का सूचक है।
उन्होंने कैदियों से अपने समय का सदुपयोग स्वचिन्तन में करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह विचार करने की जरूरत है कि मेरे अन्दर कौन-कौन सी बुराइयाँ हैं? उन्होने श्रेष्ठï कर्मों को सुख-शान्ति का आधार बतलाते हुए कहा कि जीवन को सुखी बनाना है तो हमें अपने कर्मों को श्रेष्ठï बनाना होगा। ऐसे समय में परमात्मा हमें रक्षा का वचन दे रहे हैं कि हे आत्माओं अब देह से न्यारे बनो और मुझे याद करो तो मैं तुम्हारी सभी मनोविकारों से रक्षा करूंगा।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने विचारों की शक्ति को स्पष्ट करते हुए व्याख्यान दिया। ब्रह्माकमारी रश्मि दीदी ने कैदियों को जीवन में अच्छाइयों को अपनाने की प्रतिज्ञा कराई। अन्त में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी को रक्षासूत्र बाँधकर मुख मीठा कराया। संचालन ब्रह्माकुमारी सिमरण दीदी ने किया।
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योग भट्ठी की क्लास

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– शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” पर क्लास…
– बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया है… ब्रह्माकुमार राजू भाई
– परखने की शक्ति के लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाना होगा…

रायपुर, 20 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारीजके रायपुर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर के शान्त एवं मनोरम वातावरण में माताओं और कन्याओं (शिवशक्तियों) की योग भट्ठी के बाद आज से पाण्डवों (अधरकुमार व कुमारों) की गहन योग तपस्या की शुरूआत हुई। माउण्ट आबू से ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष आदरणीय ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आज ”ब्राह्मण जीवन का सुरक्षा कवच” विषय पर सारगर्भित क्लास कराई।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि पुरूषार्थी जीवन में माया भिन्न-भिन्न रीति से वार करती है जिनसे हमें अपनी सेफ्टी करनी पड़ती है। माया अनेक रूपों में भेष बदलकर आएगी। बाबा हमें अपनी रक्षा के लिए बहुत सारे सुरक्षा कवच दिए हैं। हम अभी युद्घ के मैदान में हैं। रामायण में भी वर्णन आता है कि राजमहल के ऐशो आराम का त्याग कर जंगल में आने वाली सीता भी माया को न पहचान सकी और सोने के हीरण के पीछे फंस गयी। फलस्वरूप उसे शोक वाटिका में दिन बिताने पड़े। लक्ष्मण ने मर्यादा की लकीर खींची थी उसका भी वह उल्लंघन कर बैठी।

ब्रह्माकुमार राजू भाई ने आगे बतलाया कि बाबा ने हम बच्चों की रक्षा के लिए सुरक्षा घेरा बनाया हुआ है। माया सिर्फ विकार के रूप में ही नहीं आती है। वह ईष्र्या, द्वेष, प्रलोभन आदि के साथ भी आती है। न जाने कब, कौन व्यक्ति छल करके चला जाएगा, पता ही नहीं पड़ेगा। हमें किसी के प्रभाव में नहीं आना है। भोला नहीं बनना है। हमको ज्ञानमार्ग में बहुत समझ और युक्ति से चलने की जरूरत है। परखने की शक्ति को बढ़ाना होगा। इसके लिए साईलेन्स पावर को बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि आजकल बहुत अधिक और व्यर्थ सोचने की बिमारी बढ़ रही है जिसके कारण सुगर और ब्लडप्रेशर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टर भी कहते हैं कि अधिकतर बिमारी ज्यादा सोचने के कारण हो रही हैं। जो चीजें मेरे काम की नहीं है उनके बारे में बिलकुल भी नहीं सोचना है। हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना होनी चाहिए।

उन्होंने बतलाया कि दूसरा कोई आपके बारे में कितना ही बुरा क्यों न सोच रहा हो? यदि आपके उपर बाबा की याद का सुरक्षा कवच है तो उसका कोई असर आपके उपर नहीं पड़ेगा। बाबा ने निम्न सुरक्षा कवच हम बच्चों को दिए हैं:-

1. शुद्घ और पवित्र सोच का कवच: हमें न व्यर्थ बोलना है और न ही व्यर्थ सोचना है। सदैव स्वचिन्तन में रहना और शुद्घ व पवित्र संकल्प करना है। स्वमान के स्वचिन्तन में रहो। श्रेष्ठ विचारों का आभामण्डल (औरा) अपने चारों ओर बना लो। अच्छे विचारों में रमण करें।

2. ईश्वरीय नियम/मर्यादाओं का कवच: हमें यज्ञ के नियम/ मर्यादाओं का पूरा पालन करना है। मर्यादा के अन्दर रहेंगे तो तंत्र-मंत्र कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रावण किसी भी रूप में आए हम सदा सुरक्षित रहेंगे। बाबा ने संकल्प, बोल, कर्म और दृष्टि सबके लिए मर्यादाएं बतलायी हैं। जो नियमों में दृढ़ हैं वह सच्चे योगी हैं। नियमों में दृढ़ नहीं रहने से योग भी नहीं लगेगा। संकल्प हमारे श्रेष्ठ हों, बोल हमारे मर्यादित हों, दृष्टि हमारी पवित्र रहे, वृत्ति हमारी शुद्घ हो। कर्म हमारे न्यारे-प्यारे हों। व्यवहार में सरलता और नम्रता हो। दादियों की तरह एक-दो के विचारों को परस्पर सम्मान दें।

3. बाबा की छत्रछाया: सदैव बाबा की याद की छत्रछाया में रहें। कभी बाबा की याद की छतरी से बाहर नहीं निकलना। बाबा से दृष्टि और शक्ति लेकर बाबा को अपने साथ ले जाएं। कभी असफल नहीं होंगे। बाबा के साथ कम्बाईण्ड होकर रहें तो हमेशा सुरक्षित अनुभव करेंगे। ओमशान्ति।

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माउण्ट आबू से ब्रह्माकुमार राजू भाई के मार्गदर्शन में दो दिवसीय गहन योग साधना..

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 माउण्ट आबू से ब्रह्माकुमार राजू भाई के मार्गदर्शन में दो दिवसीय गहन योग साधना…
 – सभी प्राणीमात्र के लिए मन में शुभ भावना और शुभ कामना रखें…ब्रह्माकुमार राजू भाई
– आत्म निरीक्षण करने से अपनी कमियों को सुधारने का मौका मिलता है…
– गहन योग साधना हमारे पुरुषार्थ को आगे बढ़ाने का माध्यम है…

रायपुर, 18 जुलाई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग पर शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में दो दिवसीय गहन योग साधना कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का शुभारम्भ माउण्ट आबू से पधारे ग्राम विकास प्रभाग के उपाध्यक्ष ब्रह्माकुमार राजू भाई, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, किरण दीदी, चन्द्रकला दीदी और निधि दीदी ने दीप प्रज्वलित करके किया।

इस अवसर पर बोलते हुए ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि गहन योग साधना का आयोजन करना हमारे पुरुषार्थ को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा माध्यम है। इससे हमें स्वचिन्तन करने और आत्म निरीक्षण करने का अवसर मिलता है। हम स्वचिन्तन करते करते शुभचिंतक बन जाएंगे। हरेक प्राणीमात्र के लिए हमारे मन में शुभ भावना और शुभकामना हो। हमें दूसरों की कमियाँ तो झट दिखाई देती हैं किन्तु अपनी कमियों को हम नजरअंदाज कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि यदि किसी से कोई गलती हो जाती है तो हमें उस व्यक्ति को शिक्षा देने की बजाए क्षमा करना सीखो। सब निर्दोष हैं ऐसी श्रेष्ठ भावना हम रखें तो स्वयं के साथ दूसरों में भी बदलाव ला सकते हैं। हमें हरेक परिस्थितियों में स्वयं को एडजस्ट करना सीखना होगा। मैं आत्मा देह से न्यारी हूँ यह शुद्ध संकल्प हमें शक्तिशाली और निर्भय बनाता है। स्वयं को देह को चलाने वाली चैतन्य शक्ति समझकर कर्म करें तो हर कर्म श्रेष्ठ बन जाएंगे।

उन्होंने बतलाया कि ज्ञान हमें समझदार बनाता है। इसलिए जीवन में नियम मर्यादाओं पर दृढ़ रहते हुए समझदारी के साथ चलने की जरूरत है। दुनिया में अनेक मत-मतान्तर हैं। मन को उलझाओ नहीं। मन की शक्ति को व्यर्थ न गंवाएं। एक परमात्मा का दिया हुआ ज्ञान सुनो। जीवन में परिस्थितियाँ तो आएंगी लेकिन हमें ज्ञान और योग से अपनी स्थिति को मजबूत बनाना है।

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