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Brahmakumaris Raipur

तपस्वीमूर्त बीके सूरज भाई की क्लास शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर, रायपुर (छ.ग.)

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आज मैं एकाग्रता पर बात करूंगा। मन की एकाग्रता से ही सिद्घियाँ मिलती है। पढ़ाई के लिए भी एकाग्रता जरूरी है। बहुत छोटी उम्र में मैने गीता पढ़ी थी। उसमें शब्द था योग दर्शन और सांख्य दर्शन। उसे जानने के लिए मैंने किताबें खरीदी। उस किताब की हिन्दी संस्कृत मिली हुयी हिन्दी होने के कारण मुझे बहुत ही कठिन लगी। ज्यादा कुछ तो समझ में नहीं आया लेकिन एक बात समझ में आ गयी कि जो मनुष्य बत्तीस मिनट तक मन को एकाग्र कर दे उसे मन चाहे सिद्घियाँ मिल जाएंगी। जब समर्पित होकर मधुबन में आए तो उस समय पाण्डव भवन के आसपास कुछ नहीं था। मानो कि पाण्डव भवन जंगल में था। हमें बहुत अच्छा एकान्त का समय मिला तो मैने लक्ष्य बनाया कि मैं अपनी एकाग्रता को बहुत ज्यादा बढ़ाउँ। जो -जो बातें एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करती हैं उनका विकास करूँ।

उन्होंने अगले तीन महिनों के लिए रायपुर के भाई -बहनों को पुरूषार्थ बतलाते हुए कहा कि जब मैं जनवरी २०२४ में योगभ_ी कराने के लिए रायपुर आउंगा तब तक आप लोग यह तपस्या करना। यह हमारा ब्रह्माकुमारी संस्था का मार्ग तपस्या और साधनाओं का मार्ग है। तपस्या इसलिए कहते हैं क्योंकि तपस्या माना सरल भाषा में कहँू तो बहुत प्रैक्टिस। तो हम अगर बहुत प्रैक्टिस करते हैं तो हर चीज में आगे बढ़ जाते हैं। प्रैक्टिस ही सब कुछ है। तो हम अपने को तैयार करें कि मुझे बहुत अच्छी साधना करनी है। हम देख रहे हैं कि समय भी समाप्ति की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह बहुत तेजी से विनाश की ओर बढ़ता जा रहा है।

विश्व युद्घ की ओर संसार बढ़ता जा रहा है लेकिन उससे भी भारी होंगे प्राकृतिक प्रकोप, भूकम्प आदि। इनके आगे किसीकी नहीं चलेगी। समय को जानते हुए हम सब अपने से बातें करें। यह सब तरीके हैं एकाग्रता को बढ़ाने की। भगवान से बातें करें। मुझे इस संगम युग पर बाबा से सर्व खजाने ले लेने हैं। यह समय दोबारा नहीं आएगा। भगवान खुले हाथ भाग्य बांट रहा है। मुझे भरपूर भाग्य लेना है। बाकि सब कुछ तो जन्म-जन्म मिलता रहेगा। तीन युगों तक हम भरपूर रहेंगे बाकि चौथा युग भी आधा युग तक हम सम्पन्न रहेंगे। सिर्फ धन की ही बात नहीं है अपितु संसार में जो भी कुछ प्राप्तियाँहोती हैं उसकी कोई कमी जीवन में नहीं रहेगी। किन्तु परमात्म मिलन का सुख जो कि अभी मिलता है मुझे उसमें सम्पन्नता लानी है। यही समय है सुन्दर अनुभवों का। बाकि तो युगों तक परमात्मा को ढूंढते ही रहेंगे। यह चिन्तन हमें अनेक उन व्यर्थ विचारों से मुक्त करेगा जो मन को भटकाती हैं। एक बार आपने नेट पर कोई गलत चीज देख ली बुद्घि भटक गई ख्याल आएगा कि नहीं यह मेरा लक्ष्य नहीं है। मुझे तो बाबा से सब कुछ लेना है। एकाग्रता माना अब एक संकल्प पक्का कर दें कि मुझे एक बाबा से ही सब कुछ लेना है। बाबा ने मुरली में कहा था कि मैं तुम्हें सब कुछ देकर, खाली होकर वतन में जाकर विश्राम करता हूँ। मुरलियों में ऐसी बातें बार-बार नहीं आती हैं। एकाधबार ही बाबा ऐसा कहते हैं। हालांकि बाबा खाली तो कभी होते नहीं। मैं बाबा से बातें करता था कि मैं आपको खाली करूंगा। आप भी बाबा से ऐसी बातें करें।

बाबा को पवित्र महान आत्माएं ही चाहिए जो उनके सर्व खजानों को समा लें। खजाना है ज्ञान का, गुणों और शक्तियों का। जो यहाँ ज्ञान के खजाने से भरपूर रहेंगे। खुद लेंगे और दूसरों को देंगे वह जन्म-जन्म धनवान रहेंगे। जो शक्तियों के खजाने से भरपूर होंगे उनके सिर पर अनेक बार सत्ता का ताज आएगा। जो पवित्रता के खजाने से भरपूर होंगे उनके हर जन्म में धर्म की शक्ति हर जन्म उनके साथ चलेगी। जो समय को सफल करेंगे तो समय हर जन्म में हर कदम पर उन्हें सफलता दिलाएगा। जो संकल्पों का खजाना जमा करेंगे हर जन्म में उनके विचार महान होंगे। उनके विचारों का संसार में सम्मान होगा। जो गुणों के खजाने से भरपूर होंगे हर जन्म में वह गुणवान रहेंगे तो सम्बन्धों का सुख उन्हें मिलेगा। जो संगमयुग पर परमात्म प्यार में मग्न होंते हैं उन्हें जन्म-जन्म सम्बन्धों में प्यार मिलता है। सम्बन्धों का प्यार बहुत बड़ी चीज होती है। आजकल यही सम्बन्ध तो बिगड़ गया हैै। जिन देवियोंं ने अपने साथियों को प्यार नहीं दिया, उनके मन्दिर में पुजारी नहीं होते। वहाँ कोई दीपक जलाने वाला भी नहीं होता। खाली पड़ा रहता है। कभी-कभी कोई जाकर दीप जला आता है। मुझे खजानों से स्वयं को भरपूर करना है।यह पावरफुल संकल्प हमें व्यर्थ संकल्पों से मुक्त करेगा।

जिन बच्चों में पढ़ाई का, अपने भविष्य को सुन्दर बनाने का और कैरियर को चमकाने का लक्ष्य रहता है वह इधर-उधर व्यर्थ की बातों में नहीं लगे रहते हैं। वह मोबाईल आदि गैजेट्स से भी दूर रहते हैं। अच्छा और महान लक्ष्य हमें एक्टिव भी करता है और व्यर्थ विचारों से भी बचाता है। आजकल युवको में मानसिक रोग बहुत बढ़ता जा रहा है। कारण तो बहुत है लेकिन असली कारण है उसके पूर्व जन्मों का खाता। इन्टरनेट आदि उसमें आग में घी का काम करता है। उकाग्रचित्त होना है हमें तो विजुवालाईज करो। आत्मा को देखने का अभ्यास करें। चित्र बनाओ। एक मिनट अभ्यास कर लिया जाए तो अनेक व्यर्थ संकल्प इसमें समाकर समाप्त हो जाएंगे। विजुवालाईज में बहुत बड़ी ताकत है। इसको बढ़ाते-बढ़ाते अशरीरीपन का बहुत अभ्यास करना है। इसी में दूसरा अभ्यास मैं आत्मा परमधाम में हूँ। बैठ जाओ घर में जाकर। एक मिनट। आपको अनुभव होगा परमधाम में कोई संकल्प नहीं होगा। परमधाम में जाकर बैठने से लगेगा अनेक संकल्प आत्मा में समाकर समाप्त हो गए। यह बहुत सुन्दर तरीका है मन की एकाग्रता को बढ़ाने का। व्यर्थ संकल्पों को हटाने का यह अच्छा तरीका है। साथ ही स्वमानों का और पांच स्वरूपों का अभ्यास करें। पांच स्वरूपों में स्वमान भी आ जाएंगे। रोज एक-दो स्वमान ले लें। कर्म में उसका रोज अभ्यास करें। जो लोग कहते हैं कि मेरा योग नहीं लगता, मन भटकता है। वह सब ठीक हो जाएगा। हमारा स्वमान मन की भटकन को समाप्त करता है। रहस्य यह है कि स्वमान एक पावरफुल संकल्प है। आपने संकल्प किया कि मैं पुण्य आत्मा हँू, मैं इष्ट देवी हूँ, मैं पवित्रता की देवी हूँ। यह बहुत बड़े महान संकल्प हैं। एक-एक महान संकल्प से सैंकड़ों व्यर्थ संकल्प समाप्त हो जाते हैं। इसलिए स्वमान पर बहुत ध्यान देना है। आपके घर में वायब्रेशन्स फैलेंगे, आपके घर में सुख-शान्ति होगी।

मैं सभी को होमवर्क देता हूँ अगले ढाई मास के लिए अपने-अपने घरों में सुबह उठकर (भले ही सब सोए हों) उठकर या बैठकर यह संकल्प करें कि मैं पवित्रता की देवी हूँ, मैं परमपवित्र आत्मा हूँ। तीन मिनट यह वायब्रेशन्स फैलाना अपने घर में। बस अपने को इन गुड फीलिंग में, पवित्र संकल्पों में लाना है। यह बात याद कर लो। मुझ आत्मा से पवित्र किरणें, गोल्डन किरणें निकल रही हैं। फील करना कि गोल्डन किरणों से घर भर गया है। पूरे घर में दृष्टि घुमा लो। संकल्पों को रिपीट कर सकते हैं। अगले दिन संकल्प करना कि मैं शिवशक्ति हूँ, मुझसे पूरे घर में लाल किरणें फैल रही हैं। मेरा पूरा घर लाल किरणों से भर गया है। मेरे घर में सभी महान आत्माएं हैं, मेरा घर पुण्य आत्माओं से सजा हुआ है। यह सब देवकुल की पवित्र आत्माएं हैं। यह तीन संकल्प कर देना आपको सात दिन में ही रिजल्ट पता चल जाएगा। आपको बाहर से आने वाले यह बात बतलाएंगे। आपके घरवाले बतलाएंगे।

बाबा को याद करते समय अपने मन में बाबा का चित्र बना लीजिए। बाबा के चित्र पर एकाग्रचित्त होना है हमें। अपनी आँखों के सामने, सामने की दीवार पर, सिर के उपर बाबा को महसूस करिए। फिर परमधाम में चले जाइए। पहले आधा-आधा मिनट करें फिर एक मिनट तक बढ़ाएं। या तो मन को हम संकल्प दें या फिर मन स्वयं संकल्प करेगा। ब्रह्माबाबा को आखिरी तीन-चार सालों में ब्रह्माबाबा को यह बहुत याद रहने लगा था कि जो कुछ इन आँखों से दिखता है वह नहीं रहेगा। मुझे सब कुछ छोड़कर अब वापस घर चलना है।

हमारी रूहानियत, पवित्रता, आध्यात्मिकता, ज्ञान-योग और शुद्घ विचार भारत को महान बनाने में बहुत बड़ा काम कर रहे हैं। हमारे शुद्घ विचार प्रकृति को पावन कर रहे हैं।

 

 

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गीता रहस्य प्रवचनमाला

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शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में तीन दिवसीय गीता रहस्य प्रवचनमाला का दूसरा दिन…
 – भगवान को नकारने और अहंकार से इतराने वाले बच नहीं पाए उनका संहार हो गया…ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी
 – स्वयं खुश रहने के लिए दूसरों को खुशियाँ बाँटना सीखो…
   रायपुर, 4 जून 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग पर स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित गीता ज्ञान महोत्सव के दूसरे दिन गीता मर्मज्ञ ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी ने कहा कि दुनिया में जितने भी लोग अहंकार वश इतराते थे उन सभी का अन्त हो गया। भगवान को नकारकर उनका अपमान करने वाले रावण, कंस आदि कोई भी बच नहीं पाए। आप मानो या न मानो लेकिन भगवान जरूर है। उसके अस्तित्व से इंकार नहीं किया जा सकता।
  उन्होंने कहा कि गीता में भगवान ने अपना परिचय खुद दिया है और कहा कि मैं देवताओं और महर्षियों से भी आदि हूँ। मैं अपना परिचय खुद देता हूँ। मनुष्यात्माएं परमात्मा का परिचय नहीं दे सकती हैं। खुश रहने के लिए भगवान ने गीता के माध्यम से हमें स्पष्ट रूप से अपना परिचय दिया और अनन्य एवं अव्यभिचारी भाव से याद करने को कहा है। कितने भी लोगों के बीच में रहो किन्तु मन से एकान्त में रहो। यदि आप स्वयं खुश रहना चाहते हैं तो आपको दूसरों को खुशी देनी पड़ेगी। जितना हो सके ज्ञान ओर खुशी बाँटते रहो। बाँटने से खुशी मिलेगी।
  उन्होंने कहा कि भगवान एक है तो एक में मन को लगाओ। यहाँ-वहाँ मन को मत भटकाओ। भगवान ने कहा कि जो भी जिस भी भावना से भक्ति करेगा उसका फल मैं ही देता हूँ। जैसे चांद सितारों आदि की अपनी कोई रोशनी नहीं होती। यह सभी सूरज से रोशनी लेकर हमें देते हैं वैसे ही जितने भी देवआत्माएं, महात्माएं और पुण्यात्माएं हैं वह सभी परमात्मा से शक्ति लेकर हमें देते हैं। दाता एक परमात्मा ही है। इसीलिए गीता कहती है कि जब दाता एक ही है तो उसी एक की शरण में आओ जिससे परम शान्ति और आनन्द की प्राप्ति होगी। मन को इधर-उधर भटकाना बन्द करो। एक परमात्मा को अच्छे से समझकर साफ दिल से याद करो।
  उन्होंने कहा कि परमात्मा अजन्मा हैं। वह सर्व के माता-पिता हैं उनके अपने कोई माता-पिता नहीं हैं। परमात्मा सूर्य-चांद तारों से पार परमधाम निवासी हैं उनको यहाँअनुभव करने के लिए हमने यहाँमन्दिरों में निराकार परमात्मा की प्रतिमा शिवलिंग बनाई। हम परमात्मा के पास शरीर के साथ नहीं जा सकते हैं इसे यहीं छोडऩा पड़ेगा। इसी की निशानी मन्दिर में जूता-चप्पल बाहर निकालकर प्रवेश करते हैं। जूता प्रतीक है शरीर और देह अभिमान का।
उन्होंने कहा कि पहले टीवी मोटा होता था और हम पतले थे लेकिन आज टीवी पतला और हम मोटे हो रहे हैं। पुरानी बीती हुई बातों को सोंच-सोंच कर अन्दर से भी और बाहर से भी मोटे हो गए हैं। कोई बात हुई तो माफ करो और भूल जाओ। मन में दबाकर मत रखो। इससे तो बिमारी को निमंत्रण दे रहे हैं।
  उन्होंने कहा कि हमें परिवर्तन की शुरूआत खुद से करनी है। खुद को बदलें और खुद की सोच को बदलें। हमने इस दुनिया को नर्क बनाया है तो हमें ही इसे बदलना होगा। आज मनुष्य इतना डरावना हो गया है कि अस्सी साल की बुढ़ी महिला से लेकर तीन साल की छोटी बच्ची तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। कैसी दुनिया हो गई है? यह ही धर्मग्लानि का समय है। यदि अब नहीं तो कब आएंगे भगवान। आज सभी बातों  के मायने बदल गए हैं, अर्थ बदल गए हैं। शब्द वही है भावना बदल गए हैं। भावनाओं को पुन श्रेष्ठ बनाने, कर्मों को सुखदायी और जीवन को सुखमय बनाने के लिए भगवान ने जो बातें बतलायी हैं उसे धारण करना जरूरी है।
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पर्यावरण महोत्सव

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पर्यावरण महोत्सव में पर्यावरण सरंक्षण पर चर्चा हुई…
– प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने की जरूरत… रामसेवक पैकरा, अध्यक्ष वन विकास निगम
– प्लास्टिक से प्रकृति का दम घुट रहा है… प्रेम कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक
– प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत… ब्रह्माकुमारी सविता

रायपुर,01 जून, 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में पर्यावरण दिवस पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा, वन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार और ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने की। चर्चा का विषय था -पर्यावरण सरंक्षण और हमारा दायित्व।

इस अवसर पर बोलते हुए वन विकास निगम के अध्यक्ष राम सेवक पैकरा ने कहा कि प्रकृति ने हमें बहुमूल्य सम्पदा के रूप में अनेक उपहार दिए हैं। एक ओर विकास हो रहा है तो दूसरी ओर विनाश हो रहा है। प्रकृति को प्रदूषित करने के लिए हम सब दोषी हैं। प्राकृतिक वन को हमने उजाड़ा है। वन सरंक्षण के लिए लोगों में जन जागृति लाने की जरूरत है। हमें प्रकृति और संस्कृति दोनों को बचाने के लिए कार्य करना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारा प्रदेश नदी-नालों और जंगलों से घिरा हुआ है। उन्हें सरंक्षित करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक असन्तुलन के कारण हमें अतिवृष्टि और अनावृष्टि का सामना करना पड़ रहता है। इसी प्रकार खेती में रसायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती को अपनाने की जरूरत है। वन विकास निगम ने इस वर्ष औद्योगिक क्षेत्रों में 15 से 18 लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है।

अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीवन) प्रेम कुमार ने कहा कि वर्तमान समय प्रदूषण इतना विकराल रूप ले चुका है कि हरेक को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। आजकल प्लास्टिक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इससे प्रकृति का दम घुट रहा है। हर साल हम तिरालिस लाख टन प्लास्टिक कचरा धरती और नदियों में हम डाल रहे हैं। प्लास्टिक का कुछ अंश हमारे ब्लड में भी घुल चुका है।

उन्होंने कहा कि अगर जीवन में खुशी चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनका संवर्धन करें। लोग जंगलों में घूमने जाते हैं तो प्लास्टिक वहीं छोड़कर आ जाते हैं जिसको हिरन आदि जानवर खाकर मर रहे हैं। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि प्रकृति ने हमारी जरूरत के मुताबिक सब कुछ दिया है लेकिन जब हम लोभवश उसका अत्यधिक दोहन करने लगते हैं तब समस्या शुरू होती है। हमें पानी की कीमत तब पता चली जब वह बोतल में बिकने लगा। इसी प्रकार आक्सीजन का महत्व हमें कोविड के दौरान पता चली। आज दृढ़ संकल्पित होने की जरूरत है कि हम प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। अपने साथ एक खाली कपड़े की थैली जरूर रखें।

इससे पहले ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जानवरों की सुरक्षा से ही पर्यावरण सरंक्षण संभव है। उन्होंने बतलाया कि प्रकृति के साथ-साथ मन के प्रदूषण को भी खत्म करने की जरूरत है। किसी के घर में मृत्यु होने पर उसके नाम से एक पेड़ जरूर लगाएं।

इस अवसर पर वन विकास निगम के अध्यक्ष रामसेवक पैकरा और अपर प्रधान मुख्य वन सरंक्षक प्रेमकुमार ने शान्ति सरोवर में वृक्षारोपण भी किया।

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समर कैम्प का समापन……

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रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ समर कैम्प का समापन…
– समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवर रहा है…राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम
– बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आध्यात्मिक शिक्षा जरूरी… डॉ. पी.के. पात्रा, कुलपति आयुष वि.वि.
– बच्चों के चारित्रिक विकास में ब्रह्माकुमारीज का समर कैम्प मददगार… ले. जन. अशोक जिन्दल, डायरेक्टर एम्स
– राजयोग मेडिटेशन से मिलेगी मन की शान्ति… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी, रायपुर संचालिका

रायपुर, 12 मई 2025: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित प्रेरणा समर कैम्प का समापन रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ। शान्ति सरोवर मे आयोजित समापन समारोह में छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल,दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने विचार व्यक्त किए।

छ.ग. राज्य औद्योगिक केन्द्र विकास निगम के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने समर कैम्प आयाजित करने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान समर कैम्प के माध्यम से बच्चों के जीवन को संवारने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आजकल माता-पिता को बच्चों की चिन्ता कम हो गई है। सब बच्चों के हाथों में मोबाईल आ गई है। बच्चे स्कूल से आकर माबाईल में व्यस्त हो जाते हैं। उनकी आँखे कमजोर हो रही है। उनकी फिजीकल एक्टीवीटी खत्म हो गई है। खेलकूद में उनकी रूचि नहीं रही। फलस्वरूप बच्चों का मानसिक स्तर कमजोर होता जा रहा है। इसके लिए माता-पिता को दोषी बतलाते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को फिजीकल एक्टीवीटी के लिए प्रेरित करने की जरूरत है।

दीनदयाल उपाध्याय स्वास्थ्य एवं आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.के. पात्रा ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नैतिक मूल्यों के बिना जीवन आसुरियत से भरा हो जाता है। आजकल हमारा जीवन मशीन जैसा हो गया है। धीरे-धीरे समाज से नैतिक और मानवीय मूल्य कमजोर होते जा रहे हंै। नैतिक मूल्यों के बिना अच्छे समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते। माता-पिता दोनों नौकरी करने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि बच्चों के लिए उनके पास समय ही नहीं है। पहले दादा-दादी से बच्चे कहानियाँ सुनते थे उससे भी नैतिक मूल्यों की शिक्षा मिलती थी। अब वह सब समाप्त हो गया है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक लेफ्टिेनेण्ट जनरल अशोक जिन्दल ने कहा कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि इसमें बच्चों में रचनात्मकता की झलक दिखाई देती है। बच्चों को सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा की भी जरूरत है। बच्चों को यहाँ टीमवर्क सिखने को मिला जो कि विकास और शान्ति के लिए जरूरी है।

रायपुर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि राजयोग से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी राजयोग मेडिटेशन जरूरी है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और मन को शान्ति मिलती है।

कार्यक्रम की शुरूआत में बच्चों के द्वारा गणेश वन्दना सहित विभिन्न गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने किया। समर कैम्प में विजयी बच्चों को पुरस्कार व प्रमाण पत्र भी दिया गया।

 

 

 

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