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सारा दिन कोरोना की बातें देखते और सुनते हुए लोगों में भय और चिन्ता बढ़ी- -ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी

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प्रेस विज्ञप्ति

कोरोना वैश्विक महामारी के बीच सोशल मीडिया पर ऑनलाईन व्याख्यान

सारा दिन कोरोना की बातें देखते और सुनते हुए लोगों में भय और चिन्ता बढ़ी-
-ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी

रायपुर, १४ जून: जीवन प्रबन्धन विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने कहा कि पिछले दो माह से रोज हमें एक ही बात सुनने को मिल रही है। सारा दिन कोरोना की ही बात सुनते, पढ़ते और देखते मन में भय और चिन्ता व्याप्त बढ़ गई है। इस समय हमें अपने मन का ध्यान रखना होगा। अगर हमने मन का ध्यान नहीं रखा तो हम तनाव और अवसाद की एक और संक्रामक बिमारी पैदा कर रहे हैं। सावधानी रखें परन्तु अशान्त न हों।

ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी विशेष रूप से छत्तीसगढ़ वासियों के लिए सोशल मीडिया यू-ट््यूब पर ऑनलाईन आयोजित व्याख्यान में अनिश्चितता से मुकाबला (Coping with Uncertainty) विषय पर अपने विचार रख रही थीं।

उन्होंने आगे कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरी दुनिया में एक समान समस्या पैदा हुई है जिसके फलस्वरूप सभी एक ही चिन्ता से ग्रसित है। कई लोग सोचते हैं कि भय और चिन्ता होना सामान्य बात है। इस समय एक ही बात सुनने, पढऩे और देखने के कारण करोड़ों लोगों के मन में चिन्ता और भय पैदा हो गया है। वातावरण में निगेटिविटी बढ़ रही है।

जिस प्रकार हम स्वयं को वायरस से बचा रहे हैं। उसी प्रकार चिन्ता और भय के वातावरण से भी बचना है। विगत एक माह में देश में मानसिक तनाव और अवसाद बीस प्रतिशत बढ़ गया है। इसलिए अब हमें अच्छा और सकारात्मक सोचना है। अपने और परिवार के साथ ही कोरोना वारियर्स जो कि अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगों की नि:स्वार्थ सेवा कर रहे हैं, उन सभी के लिए शुभ सोचना होगा। हमारे शरीर का ध्यान रखने के लिए सरकार और डॉक्टर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। हमें अपने आपसे पूछना है कि वर्तमान परिस्थितियों में समाज को हमारा योगदान क्या है? हम परिस्थितियों से प्रभावित न हों, बल्कि हम उसे बदलने में सक्षम बनेंं। कोरोना से पहले भी जीवन था, उसके बाद भी रहेगा लेकिन शायद यह जीवन जीने का तरीका बदल देगा?

हम घरों में रहकर सबके लिए शुभ सोंचें, अच्छा सोंचें। सकारात्मक वातावरण बनाने में हम अपना योगदान करें। इससे हम स्वयं तो निगेटिविटी से बचेंगे ही अन्य दुखी आत्माओं को भी शान्ति प्रदान कर सकेंगे। यह न सोचें कि मेरे एक से क्या होगा? समाज का एक-एक व्यक्ति महत्वपूर्ण है।

संकल्प से सृष्टि और संकल्प से सिद्घि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे संकल्पों में बहुत ताकत होती है। हम जैसा सोचते हैं वैसा प्रैक्टिकल में होने लगता है। इसलिए अपने विचारों को श्रेष्ठ बनाना होगा। अब साधारण सोचने का समय नहीं है। हम सारे दिन में श्रेष्ठ विचार करें। हमें अपने शब्दों को बदलना होगा। एक भी निगेटिव शब्द हमारे मुख से न निकले। सुबह मेडिटेशन करें। सर्वशक्तिवान परमात्म से सम्बन्ध जोड़कर शक्ति प्राप्त करें। संकट के समय लोग आशीर्वाद मांगते हैं। कहते हैं मेरे लिए दुआ करो। अभी धरती पर संकट आया है इसलिए पूरी दुनिया के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है। लोग बहुत दुख और दर्द में हैं। उनकी सहायता करें। अभी हमें लोगों की दुआएं प्राप्त करने का अवसर मिला है।

यदि भय और चिन्ता से बचना है तो इस समय मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बना लें। क्योंकि जो हम देखते, सुनते और पढ़ते हैं तो उसका सीधा प्रभाव मन पर पड़ता है। यदि दुनिया का हाल जानना चाहें तो पन्द्रह मिनट अखबारों की हेडलाइन्स देख लें। पूरा न पढ़ें। सुबह दिन की शुरूआत परमात्मा की शुक्रिया के साथ करें। जो भी कोरोना वारियर्स हैं उन सभी का शुक्रिया करें। स्वयं को शान्त स्वरूप आत्मा समझें। शक्ति स्वरूप आत्मा सोंचें। विचार करें कि मेरा शरीर स्वस्थ और सम्पूर्ण है। मैं निर्भय हूँ। मैं और मेरा परिवार ईश्वर की छत्रछाया में सुरक्षित हैं। परमात्मा की दुआएं और सुरक्षा मेरे साथ हैं। ऐसे-ऐसे अच्छे विचार करें। परमात्मा के साथ बातें करें। रात्रि को सोने से पहले भी मेडिटेशन करें। अच्छा हो कि रात को सारे दिन की बातों को डायरी में लिखकर हल्का हो जाएं। इससे नींद अच्छी आएगी।

उन्होंने कहा कि परमात्मा की याद रहकर भोजन बनाएं और खाएं तो भोजन प्रसाद बन जाएगा। मन्दिरों और गुरूद्वारों में भगवान की याद में भोजन बनाया जाता है तो उसको खाने से मन को सुकुन मिलता है।

इस अवसर पर इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी और क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने भी अपने विचार रखे। वेबीनार का संचालन ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने किया।

प्रेषक: मीडिया प्रभाग
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
रायपुर फोन: ०७७१-२२५३२५३, २२५४२५४


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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस

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बेटों को महिलाओं की इज्जत करना सिखलाना होगा… श्रीमती डॉ. किरणमयी नायक
– महिलाओं की खुशहाली के लिए लैंगिक समानता जरूरी…श्रीमती डॉ. किरणमयी नायक
– अध्यात्म से दूर होने से महिलाओं में सद्गुणों की कमी… ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी
– अध्यात्म से दूर होने के कारण परिवारों में बिखराव … ब्रह्माकुमारी सविता दीदी

रायपुर, 05 मार्च 2024: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के महिला प्रभाग द्वारा विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में महिला जागृति आध्यात्मिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। विषय था- महिला सशक्तिकरण के लिए सकारात्मक परिवर्तन ।

समारोह में बोलते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि बेटा और बेटी में भेद करके बेटियों को कमजोर बनाने की सदियों से चली आ रही परम्परा को बन्द करें। इस बदलाव की शुरूआत अपने घर से करनी होगी। जब तक यह भेदभाव करना खत्म नहीं करेंगे महिलाएं खुशहाल नहीं बन सकती है। आज जरूरत है कि हम बेटियों को दुर्गा के रूप में संस्कारित करें। बेटों को बेटियों की तरह और बेटियों को बेटों की तरह पालना शुरू करें। बेटों को महिलाओं की इज्जत करना सीखलाएं। जब घर में वह महिलाओं की इज्जत करना सीखेंगे तब वह बाहर जाकर महिलाओं का सम्मान करेंगे।

उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। फिर भी भारतीय समाज में महिलाओं को दूसरा दर्जा दिया जाता है इसके लिए महिलाएं स्वयं ही दोषी हैं। हम यह न सोचें कि बेटों से वंश आगे चलेगा क्योंकि यदि बहु ही नहीं होगी तो सृष्टि में उत्पत्ति कैसे होगी? घर में बेटी पैदा होने पर बहु को तंग न करें। हम बदलेंगे तो जग बदलेगा।

ब्रह्माकुमारी संस्थान की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि नारी परिवार की धूरी है। वह घर को स्वर्ग बनाने वाली और बच्चों को सुसंस्कारित करने वाली है। आदिकाल से नारी पूज्यनीय और वन्दनीय रही है। आजकल वह भले ही आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से सशक्त हुयी है किन्तु अध्यात्म से दूर होने के कारण उसके अन्दर सहनशीलता, नम्रता और मधुरता जैसे सद्गुणों की कमी हो गयी है। आध्यात्मिकता को अपनाने से हमें समस्याओं का सामना करने की शक्ति मिलती है। राजयोग के अभ्यास से आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा से जोड़कर उनसे शक्तियाँ प्राप्त कर महिला फिर शिवशक्ति बन सकती है।

जिला पंचायत रायपुर की अध्यक्ष श्रीमती डोमेश्वरी वर्मा ने कहा कि महिला ईंट और गारे के मकान को घर बनाती है। बच्चों को शिक्षित और संस्कारित कर वह घर, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण में सहयोग करती है। शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है। माताओं पर यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। शिक्षा बच्चों को कुमार्ग पर गिरने नहीं देगा और संस्कार उसे डूबने नहीं देगा।

पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज की भूतपूर्व डीन डॉ. आभा सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण से आशय उसके सर्वांगीण विकास से है। डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि किसी समाज की प्रगति के बारे में जानना हो तो उस समाज की महिलाओं को देखो। उसके बारे में जान लेने से समाज की स्थिति का पता चल जाएगा। समाज की सबसे महत्वपूर्ण इकाई महिलाएं हैं। इस पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की शिक्षा से लेकर शादी तक सब कुछ पुरूष ही तय करता है। इसमें पुरूष और स्त्री दोनों की समान भागीदारी जरूरी है। दायित्व निर्वाह करने के चक्कर में बेटियों की जल्दी शादी नहीं करनी चाहिए।

रायपुर सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि एक समय था जब समाज में खुशहाली थी। संयुक्त परिवार में सभी मिल-जुलकर रहते थे। एक दूसरे का सम्मान करते थे। किन्तु आज आध्यात्मिक शिक्षा से दूर होने के कारण परिवारों में बिखराव आ रहा है। जीवन में खुशी के लिए महिला सशक्तिकरण जरूरी है। सकारात्मक सोच रखें, एक-दूसरे की भावना का सम्मान करना सीख जाएं तो परिवार  में खुशहाली आ सकती है।

वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती प्रियंका कौशल ने कहा कि सारे विश्व में ब्रह्माकुमारी संस्थान अकेली ऐसी संस्थान है जिसका आद्योपान्त संचालन नारी शक्ति के द्वारा किया जाता है। उन्होंने सभा में उपस्थित महिलाओं से आध्यात्मिकता को अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि अपने जीवन में परिवर्तन लाकर ही हम विश्व परिवर्तन के कार्य में मददगार बन सकते हैं।

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Brahmakumaris Raipur

भाई दूज पर रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने राज्यपाल सहित अनेक वीआईपीज को तिलक लगाया

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भाई दूज पर रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने राज्यपाल सहित अनेक वीआईपीज को तिलक लगाया

रायपुर, 15 नवम्बर, 2023: भाई दूज के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के माननीय राज्यपाल भ्राता बिश्वभूषण हरिचन्दन जी और महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल रमेश बैस जी (जो कि दीपावली मनाने के लिए मुम्बई से अपने घर रायपुर आए हुए थे) को रायपुर संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सविता दीदी के द्वारा आत्म स्मृति का तिलक लगाकर मुख मीठा कराया गया।

इस अवसर पर वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने छ.ग. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं वर्तमान में छ.ग. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरडिय़ा जी, दैनिक भास्कर के स्टेट एडीटर भ्राता शिव दुबे जी, पत्रिका के स्टेट एडीटर भ्राता राजेश लाहोटी जी, हरिभूमि के प्रधान सम्पादक भ्राता हिमांशु द्विवेदी जी, पूर्व मंत्री भ्राता बृजमोहन अग्रवाल जी, सूचना आयुक्त भ्राता अशोक अग्रवाल जी (आईएएस), पूर्व मंत्री भ्राता विधान मिश्रा जी आदि को भी भाई दूज क तिलक लगाकर दीपावली का ईश्वरीय प्रसाद (टोली) प्रदान किया।

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आज शान्ति शिखर नवा रायपुर में हर्षोल्लास से दीपावली मनाई गई

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आज शान्ति शिखर नवा रायपुर में हर्षोल्लास से दीपावली मनाई गई

– नन्हे बाल कलाकारों ने रंगारंग सास्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर मन मोह लिया…
– घर के साथ मन की सफाई भी जरूरी… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी

रायपुर, 12 नवम्बर, 2023: आज छत्तीसगढ़ राज्य की नयी राजधानी नवा रायपुर के सेक्टर-20 स्थित एकेडमी फॉर ए पीसफुल वल्र्ड-शान्ति शिखर में दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। समारोह में सीमा सुरक्षा बल के पुलिस महानिरीक्षक संजय सिंह और कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा एवं रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी सहित रायपुर की ब्रह्माकुमारी बहनों ने दीप प्रज्वलित कर का कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि दीपावली त्यौहार में हम सब जिस प्रकार घर की सफाई का ध्यान रखते हैं उसी प्रकार अन्तर्मन की सफाई भी जरूरी है। बाहर के अन्धकार को तो मिट्टी के दीपक जलाकर दूर कर सकते हैं किन्तु अन्र्तमन में छाए हुए अन्धकार को दूर करने के लिए हमें शुभसंकल्पों के दीप जलाने होंगे।

उन्होंने आगे कहा कि आओ हम सभी सत्य परमात्मा से सत्य ज्ञान लेकर अपने जीवन को पावन बनाएं। अपनी आत्म ज्योति जगाकर ईश्वरीय मिलन का वास्तविक सुख प्राप्त करें। ऐसे मनोपरिवर्तन से ही पृथ्वी पर स्वर्ग आएगा। जहाँ श्री लक्ष्मी और श्री नारायण का राज्य होगा।

उन्होंने कहा कि आत्मा ही सच्चा दीपक है। विकारों के वशीभूत हो जाने के कारण आत्मा की चमक आज मलिन हो गयी है। लोगों का अन्तर्मन काम, क्रोध आदि विकारों के अधीन हो चुका है। ऐसे विकारी मनुष्यों के बीच श्री लक्ष्मी का शुभागमन भला कैसे हो सकता है? यह कैसी विडम्बना है कि मन-मन्दिर की सफाई करने की जगह बाहरी सफाई से ही हम खुश हो जाते हैं। इस समय परमपिता परमात्मा जो कि जन्म-मरण के चक्र में न आने के कारण सदा ही जागती ज्योति हैं, हम मनुष्य आत्माओं की ज्ञान और योग से ज्योति जगाकर पावन बना रहे हैं। दीपावली का त्यौहार परमात्मा के इन्हीं कर्मों की यादगार है।

उन्होंने कहा कि हमेशा दूसरों के लिए अच्छा सोचें। सदैव शुभ सोचेंगे तो लाभ होना ही है। इसीलिए हमारी भारतीय संस्कृति में जब कोई नया कार्य शुरू करते हैं तो स्वस्तिक के साथ शुभ और लाभ लिखते हैं क्योंकि शुभ के साथ लाभ जुड़ा हुआ है।

इस अवसर पर सेवाकेन्द्र को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया था। आंगन में रंगोली भी सजायी गयी थी, जो कि बड़ा ही सुन्दर प्रतीत हो रहा था। इससे पहले परमात्मा शिवबाबा को भोग स्वीकार कराया गया। सविता दीदी ने सभी को अपने कमल हस्तों से भोग वितरित कर दीपावली की शुभकामनाएं दी। पश्चात रायपुर के बाल कलाकारों ने बहुत ही जादुई चश्मा नामक सुन्दर नृत्यनाटिका और मनोरंजक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया।

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