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नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से बच्चों को संस्कारित करने की जरूरत- रमेश बैस, राज्यपाल
सादर प्रकाशनार्थ
शिक्षक दिवस पर यू-ट््यूब में ऑनलाईन वेबीनार
नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों से बच्चों को संस्कारित करने की जरूरत- रमेश बैस, राज्यपाल
रायपुर, 05 सितम्बर: शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद सेवा प्रभाग द्वारा सोशल मीडिया यू-ट््यूब पर ऑनलाईन वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय था- युवाओं को गढऩे में शिक्षकों की भूमिका।
चर्चा में भाग लेते हुए झारखण्ड के माननीय राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि कोई भी देश सोने, चांदी अथवा वहॉं पाए जाने वाले बहुमूल्य सम्पदा के आधार से महान नही बनता, वरन्ï जिस देश के बच्चे महान होंगे, वह देश ही महान बनेगा। निश्चय ही बच्चे राष्ट्र की सम्पत्ति हैं और भावी भारत के कर्णधार हैं। आज बच्चों की नैतिक और चारित्रिकआधारशिला मजबूत बनाई जाए तो यही बच्चे भावी स्वर्णिम भारत के भविष्य को साकार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल पुस्तकों से ही प्राप्त नही होती अपितु माता-पिता और पास-पड़ोस के वातावरण का भी बच्चों के चिन्तन पर स्थाई प्रभाव पड़ता है। व्यक्तिको शिक्षित करने में शिक्षक के व्यावहारिक जीवन और आचरण का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए शिक्षक का जीवन समाज के आगे आदर्श रूप में होना चाहिए। तब ही वह अपने चरित्र से बच्चों को प्रेरणा दे सकता है।
राज्यपाल रमेश बैस ने आगे कहा कि आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा से मनुष्य का व्यवहार श्रेष्ठ और चरित्र महान बनता है। उससे अच्छे संस्कारों का निर्माण होता है। वर्तमान शिक्षा में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को शामिल कर बच्चों को अच्छी तरह सुसंस्कारित करने की जरूरत है। आध्यात्मिक शिक्षा को प्राप्त करने वाला व्यक्ति केवल अपने लिए ही नहीं जीता बल्कि वह करूणाशील और परोपकारी होता है। शिक्षा मनुष्य को अन्धकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाती है और उसका सही मार्गदर्शन करती है।
छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह ने कहा कि विद्यार्थी जीवन कच्चे घड़े की तरह होता है, उसे हम जैसा आकार देना चाहे वह दे सकते हैं। इसीलिए विद्यार्थियों को बचपन से नैतिक शिक्षा देने की जरूरत है। नैतिक शिक्षा देने का अभिप्राय है कि उनका चारित्रिक विकास हो। खुशी की बात है कि ब्रह्माकुमारी संस्था बच्चों को नैतिक शिक्षा देकर चरित्रवान बना रही है। उन्होने वर्तमान शिक्षा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि क्या शिक्षा ने अपना उद्देश्य प्राप्त कर लिया? क्या शिक्षा प्राप्त करने वाला विद्यार्थी अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर पा रहे हैं? उन्होंने शिक्षकों से बच्चों के चरित्र निर्माण में विशेष योगदान करने की अपील भी की।
उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए बतलाया कि माता-पिता के बाद सबसे अधिक पूज्यनीय शिक्षक होता है। गुरूजन उनके रोल माडल रहे हैं। उनके व्यक्तिगत चरित्र निर्माण में शिक्षकों का बहुत योगदान रहा है। वर्तमान समय शिक्षा और शिक्षकों में नई टेक्नॉलाजी का उपयोग करने की जरूरत है। उन्होंने अपने पिता स्व. नन्दकुमार पटेल का स्मरण करते हुए कहा कि वह हर वर्ष शिक्षक दिवस पर सेवानिवृत्त गुरूजनों का सम्मान किया करते थे। वह कहते थे कि भले ही आप सेवानिवृत्त हो गए हैं किन्तु समाज के प्रति आज भी आपकी जिम्मेदारी पूरी नहीं हुई है।
इन्दौर से मुख्य क्षेत्रीय समन्वयक ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि वर्तमान शिक्षा किसी को अच्छा डॉक्टर, इन्जीनियर बना सकती है किन्तु वह उसे अच्छा इन्सान नहीं बना सकती है। युवाओ का मनोबल कमजोर हो गया है इसलिए वह परिस्थितियों का सामना करने में असफल हो जाता है। युवको के पास अच्छी डिग्री तो होती है लेकिन जीवन में सफल होने के लिए नैतिक मूल्यों की डिग्री नहीं होती है। आध्यात्मिकता के अभाव में उसके पास निर्णय शक्ति, परखने की शक्ति, आत्मनियंत्रण की शक्ति और नैतिकता की शक्ति नहीं है। वह सहनशीलता, दिव्यता, मधुरता और करूणा, दया आदि दिव्य गुणों से भी वंचित है।
इन्दिरा गाँधी कृषि वि.वि के कुलपति डॉ. एस.के.पाटिल ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। ईश्वर से पहले गुरू को प्रणाम करने की परम्परा हमारे देश में रही है। कदम कदम पर बच्चे को मार्गदर्शन की जरूरत होती है। उसका सही मार्गदर्शन करना गुरू का काम है। शिक्षा मनुष्य को परिपूर्ण बनाती है। स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था कि असली शिक्षा वही है जो मनुष्य की बुद्घि का विकास करे, उसके चरित्र का निर्माण करे और उसे पैरों पर खड़ा होना सिखाए।
क्षेत्रीय निदेशिका एवं शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर की संचालिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि यदि बच्चों को माँ की गोद से ही नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा दी जाए तो अच्छे इन्सान समाज को मिलेंगे। आध्यात्मिकता हमारे जीवन को नैतिक मूल्यों से संवारने में मदद करती है। राजयोग मेडिटेशन इसमें बहुत अधिक मददगार सिद्घ हो सकती है। सद्गुणों की प्राप्ति अध्यात्म से ही हो सकती है।
इस अवसर पर रायपुर के स्थानीय गायक स्वप्निल कुशतर्पण तथा कु. शारदा नाथ ने प्रेरणादायक सुन्दर गीत प्रस्तुत किया। साथ ही कु. आयुषी और कु. परिणीता द्वारा मनोरंजक नृत्य मनभावन प्रस्तुत किया गया। संचालन ब्रह्माकुमारी स्नेहमयी बहन ने किया।
प्रेषक: मीडिया प्रभाग
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय
रायपुर फोन: 0771-2253253, 2254254
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
बेटों को महिलाओं की इज्जत करना सिखलाना होगा… श्रीमती डॉ. किरणमयी नायक
– महिलाओं की खुशहाली के लिए लैंगिक समानता जरूरी…श्रीमती डॉ. किरणमयी नायक
– अध्यात्म से दूर होने से महिलाओं में सद्गुणों की कमी… ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी
– अध्यात्म से दूर होने के कारण परिवारों में बिखराव … ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
रायपुर, 05 मार्च 2024: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के महिला प्रभाग द्वारा विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में महिला जागृति आध्यात्मिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। विषय था- महिला सशक्तिकरण के लिए सकारात्मक परिवर्तन ।
समारोह में बोलते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि बेटा और बेटी में भेद करके बेटियों को कमजोर बनाने की सदियों से चली आ रही परम्परा को बन्द करें। इस बदलाव की शुरूआत अपने घर से करनी होगी। जब तक यह भेदभाव करना खत्म नहीं करेंगे महिलाएं खुशहाल नहीं बन सकती है। आज जरूरत है कि हम बेटियों को दुर्गा के रूप में संस्कारित करें। बेटों को बेटियों की तरह और बेटियों को बेटों की तरह पालना शुरू करें। बेटों को महिलाओं की इज्जत करना सीखलाएं। जब घर में वह महिलाओं की इज्जत करना सीखेंगे तब वह बाहर जाकर महिलाओं का सम्मान करेंगे।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। फिर भी भारतीय समाज में महिलाओं को दूसरा दर्जा दिया जाता है इसके लिए महिलाएं स्वयं ही दोषी हैं। हम यह न सोचें कि बेटों से वंश आगे चलेगा क्योंकि यदि बहु ही नहीं होगी तो सृष्टि में उत्पत्ति कैसे होगी? घर में बेटी पैदा होने पर बहु को तंग न करें। हम बदलेंगे तो जग बदलेगा।
ब्रह्माकुमारी संस्थान की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि नारी परिवार की धूरी है। वह घर को स्वर्ग बनाने वाली और बच्चों को सुसंस्कारित करने वाली है। आदिकाल से नारी पूज्यनीय और वन्दनीय रही है। आजकल वह भले ही आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से सशक्त हुयी है किन्तु अध्यात्म से दूर होने के कारण उसके अन्दर सहनशीलता, नम्रता और मधुरता जैसे सद्गुणों की कमी हो गयी है। आध्यात्मिकता को अपनाने से हमें समस्याओं का सामना करने की शक्ति मिलती है। राजयोग के अभ्यास से आत्मा का सम्बन्ध परमात्मा से जोड़कर उनसे शक्तियाँ प्राप्त कर महिला फिर शिवशक्ति बन सकती है।
जिला पंचायत रायपुर की अध्यक्ष श्रीमती डोमेश्वरी वर्मा ने कहा कि महिला ईंट और गारे के मकान को घर बनाती है। बच्चों को शिक्षित और संस्कारित कर वह घर, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण में सहयोग करती है। शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है। माताओं पर यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। शिक्षा बच्चों को कुमार्ग पर गिरने नहीं देगा और संस्कार उसे डूबने नहीं देगा।
पं. जवाहर लाल नेहरू स्मृति मेडिकल कॉलेज की भूतपूर्व डीन डॉ. आभा सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण से आशय उसके सर्वांगीण विकास से है। डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि किसी समाज की प्रगति के बारे में जानना हो तो उस समाज की महिलाओं को देखो। उसके बारे में जान लेने से समाज की स्थिति का पता चल जाएगा। समाज की सबसे महत्वपूर्ण इकाई महिलाएं हैं। इस पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की शिक्षा से लेकर शादी तक सब कुछ पुरूष ही तय करता है। इसमें पुरूष और स्त्री दोनों की समान भागीदारी जरूरी है। दायित्व निर्वाह करने के चक्कर में बेटियों की जल्दी शादी नहीं करनी चाहिए।
रायपुर सेवाकेन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि एक समय था जब समाज में खुशहाली थी। संयुक्त परिवार में सभी मिल-जुलकर रहते थे। एक दूसरे का सम्मान करते थे। किन्तु आज आध्यात्मिक शिक्षा से दूर होने के कारण परिवारों में बिखराव आ रहा है। जीवन में खुशी के लिए महिला सशक्तिकरण जरूरी है। सकारात्मक सोच रखें, एक-दूसरे की भावना का सम्मान करना सीख जाएं तो परिवार में खुशहाली आ सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती प्रियंका कौशल ने कहा कि सारे विश्व में ब्रह्माकुमारी संस्थान अकेली ऐसी संस्थान है जिसका आद्योपान्त संचालन नारी शक्ति के द्वारा किया जाता है। उन्होंने सभा में उपस्थित महिलाओं से आध्यात्मिकता को अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि अपने जीवन में परिवर्तन लाकर ही हम विश्व परिवर्तन के कार्य में मददगार बन सकते हैं।
Brahmakumaris Raipur
भाई दूज पर रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने राज्यपाल सहित अनेक वीआईपीज को तिलक लगाया
भाई दूज पर रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने राज्यपाल सहित अनेक वीआईपीज को तिलक लगाया
रायपुर, 15 नवम्बर, 2023: भाई दूज के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के माननीय राज्यपाल भ्राता बिश्वभूषण हरिचन्दन जी और महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल रमेश बैस जी (जो कि दीपावली मनाने के लिए मुम्बई से अपने घर रायपुर आए हुए थे) को रायपुर संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सविता दीदी के द्वारा आत्म स्मृति का तिलक लगाकर मुख मीठा कराया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने छ.ग. उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं वर्तमान में छ.ग. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरडिय़ा जी, दैनिक भास्कर के स्टेट एडीटर भ्राता शिव दुबे जी, पत्रिका के स्टेट एडीटर भ्राता राजेश लाहोटी जी, हरिभूमि के प्रधान सम्पादक भ्राता हिमांशु द्विवेदी जी, पूर्व मंत्री भ्राता बृजमोहन अग्रवाल जी, सूचना आयुक्त भ्राता अशोक अग्रवाल जी (आईएएस), पूर्व मंत्री भ्राता विधान मिश्रा जी आदि को भी भाई दूज क तिलक लगाकर दीपावली का ईश्वरीय प्रसाद (टोली) प्रदान किया।
Brahma Kumaris News
आज शान्ति शिखर नवा रायपुर में हर्षोल्लास से दीपावली मनाई गई
आज शान्ति शिखर नवा रायपुर में हर्षोल्लास से दीपावली मनाई गई
– नन्हे बाल कलाकारों ने रंगारंग सास्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर मन मोह लिया…
– घर के साथ मन की सफाई भी जरूरी… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
रायपुर, 12 नवम्बर, 2023: आज छत्तीसगढ़ राज्य की नयी राजधानी नवा रायपुर के सेक्टर-20 स्थित एकेडमी फॉर ए पीसफुल वल्र्ड-शान्ति शिखर में दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। समारोह में सीमा सुरक्षा बल के पुलिस महानिरीक्षक संजय सिंह और कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा एवं रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी सहित रायपुर की ब्रह्माकुमारी बहनों ने दीप प्रज्वलित कर का कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि दीपावली त्यौहार में हम सब जिस प्रकार घर की सफाई का ध्यान रखते हैं उसी प्रकार अन्तर्मन की सफाई भी जरूरी है। बाहर के अन्धकार को तो मिट्टी के दीपक जलाकर दूर कर सकते हैं किन्तु अन्र्तमन में छाए हुए अन्धकार को दूर करने के लिए हमें शुभसंकल्पों के दीप जलाने होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि आओ हम सभी सत्य परमात्मा से सत्य ज्ञान लेकर अपने जीवन को पावन बनाएं। अपनी आत्म ज्योति जगाकर ईश्वरीय मिलन का वास्तविक सुख प्राप्त करें। ऐसे मनोपरिवर्तन से ही पृथ्वी पर स्वर्ग आएगा। जहाँ श्री लक्ष्मी और श्री नारायण का राज्य होगा।
उन्होंने कहा कि आत्मा ही सच्चा दीपक है। विकारों के वशीभूत हो जाने के कारण आत्मा की चमक आज मलिन हो गयी है। लोगों का अन्तर्मन काम, क्रोध आदि विकारों के अधीन हो चुका है। ऐसे विकारी मनुष्यों के बीच श्री लक्ष्मी का शुभागमन भला कैसे हो सकता है? यह कैसी विडम्बना है कि मन-मन्दिर की सफाई करने की जगह बाहरी सफाई से ही हम खुश हो जाते हैं। इस समय परमपिता परमात्मा जो कि जन्म-मरण के चक्र में न आने के कारण सदा ही जागती ज्योति हैं, हम मनुष्य आत्माओं की ज्ञान और योग से ज्योति जगाकर पावन बना रहे हैं। दीपावली का त्यौहार परमात्मा के इन्हीं कर्मों की यादगार है।
उन्होंने कहा कि हमेशा दूसरों के लिए अच्छा सोचें। सदैव शुभ सोचेंगे तो लाभ होना ही है। इसीलिए हमारी भारतीय संस्कृति में जब कोई नया कार्य शुरू करते हैं तो स्वस्तिक के साथ शुभ और लाभ लिखते हैं क्योंकि शुभ के साथ लाभ जुड़ा हुआ है।
इस अवसर पर सेवाकेन्द्र को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया था। आंगन में रंगोली भी सजायी गयी थी, जो कि बड़ा ही सुन्दर प्रतीत हो रहा था। इससे पहले परमात्मा शिवबाबा को भोग स्वीकार कराया गया। सविता दीदी ने सभी को अपने कमल हस्तों से भोग वितरित कर दीपावली की शुभकामनाएं दी। पश्चात रायपुर के बाल कलाकारों ने बहुत ही जादुई चश्मा नामक सुन्दर नृत्यनाटिका और मनोरंजक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया।
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